बाबा भीमराव अम्बेडकर नाम तो सुने ही होंगे..??
आप इन्हें किस रूप में जानते है..??
शायद भारत की बहुत बड़ी आबादी इन्हें संविधान निर्माता और दलित नेता के रूप में जानते है..।।
अगर आप भी इन्हें इसी रूप में जानते है तो समय आ गया है कि आप इनके बारे में पढ़े ही नही बल्कि इन्हें जानने की कोशिश करें...।।
●बाबा भीमराव अंबेडकर लेखक,अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ,कानूनविद,महिला सशक्तिकरण के हिमायती,मानव अधिकारों के हितैषी, प्रखर विद्वान और बुद्धिस्ट थे।
●साथ ही बाबा भीमराव अंबेडकर से बड़ा राष्ट्रवादी नेता कोई नही था..।।
●वो भारत के विभाजन के सख्त विरोधी थे,उन्होंने कहा था अगर भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हो रहा है तो पूर्णतया हो सबों मुस्लिमों को पाकिस्तान भेज दिया जाय और हिंदुओं को पाकिस्तान भारत ले आया जाय नही तो ये समस्या बनी ही रहेगी।
● जब शेख अब्दुल्ला नेहरू के पास अनुच्छेद 370 और 35A कश्मीर में लागू करवाने के लिए आये थे तो उन्होंने अब्दुल्ला को अम्बेडकर के पास भेजा ।अम्बेडकर जी ने उनसे कहा कि आपको भारत से अलग संविधान चाहिए,अलग प्रधानमंत्री चाहिए,अलग तिरंगा चाहिए बदले में भारत को क्या मिलेगा..???
अब्दुल्ला ने कहा कश्मीर के पास देने के लिए कुछ नही है तो अम्बेडकर जी ने कहा था कि मैं ये घोर पाप नही करूंगा।।
आप इन्हें किस रूप में जानते है..??
शायद भारत की बहुत बड़ी आबादी इन्हें संविधान निर्माता और दलित नेता के रूप में जानते है..।।
अगर आप भी इन्हें इसी रूप में जानते है तो समय आ गया है कि आप इनके बारे में पढ़े ही नही बल्कि इन्हें जानने की कोशिश करें...।।
●बाबा भीमराव अंबेडकर लेखक,अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ,कानूनविद,महिला सशक्तिकरण के हिमायती,मानव अधिकारों के हितैषी, प्रखर विद्वान और बुद्धिस्ट थे।
●साथ ही बाबा भीमराव अंबेडकर से बड़ा राष्ट्रवादी नेता कोई नही था..।।
●वो भारत के विभाजन के सख्त विरोधी थे,उन्होंने कहा था अगर भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हो रहा है तो पूर्णतया हो सबों मुस्लिमों को पाकिस्तान भेज दिया जाय और हिंदुओं को पाकिस्तान भारत ले आया जाय नही तो ये समस्या बनी ही रहेगी।
● जब शेख अब्दुल्ला नेहरू के पास अनुच्छेद 370 और 35A कश्मीर में लागू करवाने के लिए आये थे तो उन्होंने अब्दुल्ला को अम्बेडकर के पास भेजा ।अम्बेडकर जी ने उनसे कहा कि आपको भारत से अलग संविधान चाहिए,अलग प्रधानमंत्री चाहिए,अलग तिरंगा चाहिए बदले में भारत को क्या मिलेगा..???
अब्दुल्ला ने कहा कश्मीर के पास देने के लिए कुछ नही है तो अम्बेडकर जी ने कहा था कि मैं ये घोर पाप नही करूंगा।।
●भीम राव अम्बेडकर का जन्म 14अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ।वो अपने माता पिता की 14वी संतान थे उनके जन्म के कुछ सालों के बाद ही उनकी माता का निधन हो गया।उनके भाई और उनके चाची का उनके लालन पालन में अहम योगदान था।
कुछ सालों के बाद वो महाराष्ट्र के सतारा आ गए जंहा उनके पिताजी ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत अच्छे ओहदे पर कार्यरत थे।मगर महार जाति होने के कारण इनकी उपेक्षा समाज में होता रहा।जिसका असर अम्बेडकर पर बचपन से ही पड़ रहा था।
●भीमराव अंबेडकर मुम्बई गवर्मेंट हाई स्कूल (एल्फिंस्टोन रोड)में पढ़ने वाले पहले दलित छात्र थे।भारत के किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने वाले वे पहले छात्र थे जो निचले तबके से आते थे।
●वो पढ़ने में इतने तेज थे कि उनसे प्रभावित होकर वडोदा के महाराज सायाजी गायकवाड़ ने कोलोंबिया यूनिवर्सिटी(अमेरिका) में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दिया जिससे उन्होंने वंहा-राजनीति शास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र में M.A किया।
●उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से P.hd किया।
कुछ सालों के बाद वो महाराष्ट्र के सतारा आ गए जंहा उनके पिताजी ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत अच्छे ओहदे पर कार्यरत थे।मगर महार जाति होने के कारण इनकी उपेक्षा समाज में होता रहा।जिसका असर अम्बेडकर पर बचपन से ही पड़ रहा था।
●भीमराव अंबेडकर मुम्बई गवर्मेंट हाई स्कूल (एल्फिंस्टोन रोड)में पढ़ने वाले पहले दलित छात्र थे।भारत के किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने वाले वे पहले छात्र थे जो निचले तबके से आते थे।
●वो पढ़ने में इतने तेज थे कि उनसे प्रभावित होकर वडोदा के महाराज सायाजी गायकवाड़ ने कोलोंबिया यूनिवर्सिटी(अमेरिका) में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दिया जिससे उन्होंने वंहा-राजनीति शास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र में M.A किया।
●उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से P.hd किया।
●फिर उन्होंने कानून की पढ़ाई की।
●उन्होंने Problem of Rupees और The Evolution of Prevention Finance British India लिखा।
-इसी पुस्तक से प्रभावित होकर आगे RBI की स्थापना किया गया।
●उन्होंने Problem of Rupees और The Evolution of Prevention Finance British India लिखा।
-इसी पुस्तक से प्रभावित होकर आगे RBI की स्थापना किया गया।
●वो अपनी पढ़ाई पूरा करने के बाद सतारा के महाराज गायकवाड़ के यंहा मिलिट्री सेकेट्री की नॉकरी करने लगे मगर यंहा भी उनके साथ भेदभाव होने लगा चपरासी तक भी दूर से फ़ाइल फेक कर देने लगे जिस कारण यंहा नॉकरी करना उनके लिए दूभर हो गया।
और उन्होंने ये सारी बात गायकवाड़ महाराज को बताई।
गायकवाड़ महाराज ने उनसे कहा ये इतनी पुरानी बेड़िया है कि इसे तोड़ना इतना आसान नही है,मगर तुम्हें देखकर लग रहा है कि एकदिन ये बेड़िया जरूर टूटेगी।।
गायकवाड़ महाराज ने कहा मैं हमेशा चारों और इसी तरह के लोगों से घिरा रहता हूं इसीलिए मैं तुम्हारी समस्या को समझ सकता हूँ।तुम अगर चाहो तो ये काम छोड़ कर इससे अच्छा काम कर सकते हो जिससे जनता का हित हो।
अम्बेडकर जी गायकवाड़ महाराज के यंहा काम छोड़ने के बाद पत्रकारिता,और प्रोफेसर के रूप में कार्य करने लगे।
उनसे छात्र तो प्रभावित थे मगर वंहा के अन्य प्रोफेसर इनसे दूरियां बनाये रखते थे जिस कारण इन्होंने पढ़ाना भी छोड़ दिया।और अपना पूरा ध्यान पत्रकारिता और लेखनी पर लगा दिया।
●उनका विवाह रमाबाई से हुआ था जिनसे उन्हें 5 सन्तान हुई मगर एक के बाद एक 4 संतान की मृत्यु हो गई,आगे चलकर उनकी पत्नी की भी मृत्यु सही इलाज न होने के कारण हो गई।
-भीमराव अंबेडकर को बाबासाहब बनाने में रमाबाई का अहम योगदान था,जब अम्बेडकर जी P.Hd कर रहे थे तब रमाबाई ने घर-घर काम करके उन्हें पैसा भेजा करती थी।।
और उन्होंने ये सारी बात गायकवाड़ महाराज को बताई।
गायकवाड़ महाराज ने उनसे कहा ये इतनी पुरानी बेड़िया है कि इसे तोड़ना इतना आसान नही है,मगर तुम्हें देखकर लग रहा है कि एकदिन ये बेड़िया जरूर टूटेगी।।
गायकवाड़ महाराज ने कहा मैं हमेशा चारों और इसी तरह के लोगों से घिरा रहता हूं इसीलिए मैं तुम्हारी समस्या को समझ सकता हूँ।तुम अगर चाहो तो ये काम छोड़ कर इससे अच्छा काम कर सकते हो जिससे जनता का हित हो।
अम्बेडकर जी गायकवाड़ महाराज के यंहा काम छोड़ने के बाद पत्रकारिता,और प्रोफेसर के रूप में कार्य करने लगे।
उनसे छात्र तो प्रभावित थे मगर वंहा के अन्य प्रोफेसर इनसे दूरियां बनाये रखते थे जिस कारण इन्होंने पढ़ाना भी छोड़ दिया।और अपना पूरा ध्यान पत्रकारिता और लेखनी पर लगा दिया।
●उनका विवाह रमाबाई से हुआ था जिनसे उन्हें 5 सन्तान हुई मगर एक के बाद एक 4 संतान की मृत्यु हो गई,आगे चलकर उनकी पत्नी की भी मृत्यु सही इलाज न होने के कारण हो गई।
-भीमराव अंबेडकर को बाबासाहब बनाने में रमाबाई का अहम योगदान था,जब अम्बेडकर जी P.Hd कर रहे थे तब रमाबाई ने घर-घर काम करके उन्हें पैसा भेजा करती थी।।
★उनके पत्रकारिता और लेखनी के कारण उनसे लोग जुड़ते गए।उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि उन्हें 1926 में मुम्बई विधानपरिषद के लिए चुना गया।
★उन्होंने 1927 में पहली बार सत्याग्रह किया समाज के उनलोगों के लिए जिन्हें स्वछ कुएं, तालाब से पानी पीने और लेने का अधिकार नही था।इन लोगों को मंदिर में प्रवेश तक का अधिकार नही था।यंहा तक कि दलित महिलाओं को पूरा अंग ढकने तक का अधिकार नही था।इस सत्याग्रह आंदोलन ने समाज में बदलाव की नींव रखी।।
◆1930 में उन्होंने शोषित वर्ग का सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भारत के अनेक धर्म-संप्रदाय से जुड़े बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए जो समाज के इन पिछड़े तबके के जिंदगी में बदलाव लाना चाहते थे।
★1932 में पूना पेक्ट हुआ जो अम्बेडकर जी नही चाहते थे मगर वो गांधीजी का मृत्यु का कारण नही बनना चाहते थे।इस समझौता से फायदा हुआ कि अस्पृश्य कहे जाने वालों के लिए कुछ शीट आरक्षित कर दिया गया।इसी समझौता के बाद गाँधीजी ने हरिजन शब्द का इस्तेमाल किया।।
★1947 में नेहरू के कैबिनेट में अम्बेडकर का नाम नही था मगर गांधी जी के कहने पे शामिल किया गया।
-वो देश के पहले कानून मंत्री बने।
●वो साम्प्रदायिक राजनीति के घोर आलोचक थे
★1951 में उन्होंने हिन्दू कोड बिल(संपत्ति का अधिकार,तीन तलाक इत्यादि )लाया मगर पास नही हो पाया जिस कारण उन्होंने कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया।।
●उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया।
●6 दिसंबर 1957 को इनकी मृत्यु हो गई।
★उन्होंने 1927 में पहली बार सत्याग्रह किया समाज के उनलोगों के लिए जिन्हें स्वछ कुएं, तालाब से पानी पीने और लेने का अधिकार नही था।इन लोगों को मंदिर में प्रवेश तक का अधिकार नही था।यंहा तक कि दलित महिलाओं को पूरा अंग ढकने तक का अधिकार नही था।इस सत्याग्रह आंदोलन ने समाज में बदलाव की नींव रखी।।
◆1930 में उन्होंने शोषित वर्ग का सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भारत के अनेक धर्म-संप्रदाय से जुड़े बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए जो समाज के इन पिछड़े तबके के जिंदगी में बदलाव लाना चाहते थे।
★1932 में पूना पेक्ट हुआ जो अम्बेडकर जी नही चाहते थे मगर वो गांधीजी का मृत्यु का कारण नही बनना चाहते थे।इस समझौता से फायदा हुआ कि अस्पृश्य कहे जाने वालों के लिए कुछ शीट आरक्षित कर दिया गया।इसी समझौता के बाद गाँधीजी ने हरिजन शब्द का इस्तेमाल किया।।
★1947 में नेहरू के कैबिनेट में अम्बेडकर का नाम नही था मगर गांधी जी के कहने पे शामिल किया गया।
-वो देश के पहले कानून मंत्री बने।
●वो साम्प्रदायिक राजनीति के घोर आलोचक थे
★1951 में उन्होंने हिन्दू कोड बिल(संपत्ति का अधिकार,तीन तलाक इत्यादि )लाया मगर पास नही हो पाया जिस कारण उन्होंने कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया।।
●उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया।
●6 दिसंबर 1957 को इनकी मृत्यु हो गई।
इन्होंने एक भारत की कल्पना की थी,इन्होंने संविधान लिखते वक्त हरेक तबका के लोगों का ध्यान रखा।।
मगर अफसोस हमारे नेताओं ने उन्हें अपने वोट के कारण उन्हें एक ढांचे में ढालकर उनके योगदानों को भुला दिया।।
ये सिर्फ अफसोस ही नही बल्कि शर्म की भी बात है।।
●उन्होंने देश को वो दिया जिसके बारे में हमें जानकारी नही है-
•RBI की स्थापना में अहम योगदान
•संविधान निर्माता के रूप में अहम योगदान
•हिन्दू कोड बिल(महिलाओं का संपत्ति का अधिकार दिलाने में अहम योगदान,तीन तलाक प्रथा हटाने का प्रयास)
•मजदूर हितेषी(मजदूरों के कार्य को 14 घंटे से 8 घंटे करवाने में अहम योगदान)
•एटॉमिक एनर्जी के रूप में भारत को सुदृढ बनाने के लिए कदम उठाया ।
•दामोदर,हीराकुंड बांध के निर्माण में अहम योगदान एवम कई नदी परियोजना में अहम भूमिका निभाया उन्होंने।।
मगर अफसोस हमारे नेताओं ने उन्हें अपने वोट के कारण उन्हें एक ढांचे में ढालकर उनके योगदानों को भुला दिया।।
ये सिर्फ अफसोस ही नही बल्कि शर्म की भी बात है।।
●उन्होंने देश को वो दिया जिसके बारे में हमें जानकारी नही है-
•RBI की स्थापना में अहम योगदान
•संविधान निर्माता के रूप में अहम योगदान
•हिन्दू कोड बिल(महिलाओं का संपत्ति का अधिकार दिलाने में अहम योगदान,तीन तलाक प्रथा हटाने का प्रयास)
•मजदूर हितेषी(मजदूरों के कार्य को 14 घंटे से 8 घंटे करवाने में अहम योगदान)
•एटॉमिक एनर्जी के रूप में भारत को सुदृढ बनाने के लिए कदम उठाया ।
•दामोदर,हीराकुंड बांध के निर्माण में अहम योगदान एवम कई नदी परियोजना में अहम भूमिका निभाया उन्होंने।।
इन्होंने एक भारत की कल्पना की थी।
इन्होंने संविधान लिखते वक्त हरेक तबके के लोगों का ध्यान रखा।
मगर हमने क्या किया..??
उन्हें दलित नेता बना दिया,जो वो कभी बनना नही चाहते थे।
हमसे आरक्षण के नाम पर कुछ राजनेता उन्हें गाली दिलवा रहे है।
इन्होंने संविधान लिखते वक्त हरेक तबके के लोगों का ध्यान रखा।
मगर हमने क्या किया..??
उन्हें दलित नेता बना दिया,जो वो कभी बनना नही चाहते थे।
हमसे आरक्षण के नाम पर कुछ राजनेता उन्हें गाली दिलवा रहे है।
आज समय आ गया कि हम फिर से अम्बेडकर को जाने और पढ़े...।।
" शिक्षा वो शेरनी का दूध है,जिसने पिया उसने दहाड़ा है"
इस शब्द को उन्होंने सिर्फ कहा ही नही,बल्कि चरितार्थ करके दिखाया भी...।।