शनिवार, 16 अगस्त 2025

श्रीकृष्ण के जीवन का सारांश..

जिस कृष्ण को हम पूजते है,उससे कुछ सीखते ही नही.. तो फिर पूजने से क्या होगा..??


श्रीकृष्ण के पूरे जीवन का सारांश यही है,की संघर्ष से मत भागो,हां अगर भाग सकते हो तो इतना दूर भागो की वो तुम्हारा पीछा न कर पाए..।।

जब जरासंध बार-बार मथुरा पे आक्रमण कर रहा था तब कृष्ण थककर वंहा से अपने सगे संबंधी और प्रजा को लेकर द्वारका आ गए...और खुद को इतना सुदृढ़ किये की उन्होंने, जरासंध के अखाड़े में ही भीम के द्वारा उसे परास्त किया।।

कृष्ण से श्रीकृष्ण की यात्रा इतना आसान नही थी..जिसके जन्म से पहले ही मृत्यु पहरा दे रहा हो,उसका जीवन कैसा हो सकता है..?

श्रीकृष्ण के जीवन के झलकियों को देखे तो ताउम्र वो संघर्षों और द्वन्दों से ही जूझते रहें..मगर चेहरे पर हमेशा मंद मुस्कान मृत्यु तक बनाये रखें..।।

मगर उन्होंने हरेक का निराकरण किया उससे भागे नही,उसका सामना किया...।।

हम किसी को भगवान या पुण्यात्मा तब कहना शुरू करते है..जब हम उनके आचरणों का अनुसरण नही कर पाते या फिर उसके आसपास भी नही होते, तो हम उन्हें भगवान मान लेते है..।।

भगवान मानना आसान है,मगर सही आचरण का अनुसरण करना कठिन है..।।

और हमारे भारतभूमि में कई पुण्यात्मा हुए जो उन आचरणों का अनुशरण करके आज पूजनीय बने हुए है..।।

कृष्ण को पूजना तब सार्थक होगा,जब हम उनके आचरण से कुछ सीखें.. वो बहुत विस्तृत है..आप उनमें से जो भी कुछ चाहे,वो ले सकते है..और उस आचरण का अनुसरण कर सकते है..।।

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