सोमवार, 28 फ़रवरी 2022
सफलता असफलता और लक्ष्य
रविवार, 6 फ़रवरी 2022
लता मंगेशकर शून्य से शिखर की यात्रा
भविष्य के गर्भ में क्या है..??
ये किसी को नही पता ..।
28 सेप्टेम्बर 1929 को जब एक लड़की मध्यप्रदेश के इंदौर में पैदा हुई होगी तब किसी को अहसास तक नही हुआ होगा की ,ये लड़की सिर्फ परिवार की ही नही बल्कि पूरे भारत की विरासत हो जाएगी।।
"इस सृष्टि मैं आपका कुछ भी नही है,आपका नाम तक भी नही,यंहा सब कुछ खुद से अर्जित करना होता है,नही तो सब कुछ एक दिन छिन जाता है।बचता वही है जो आपने अर्जित किया है"।
हेमा को क्या पता था कि, एक दिन मेरा नाम भी मुझसे छिन जायेगा। पिता की अपनी ड्रामा कंपनी में लतिका का किरदार निभाने के बाद पिता ने लता नाम रख दिया।।
जिंदगी में कभी-कभी वो नही होता जो आप चाहते है,इसका ये मतलब नही की जिंदगी खत्म सी हो गई..।।
5 साल की उम्र तक लता पिता के सामने गाती तक नही थी,मगर एकदिन पिता ने गाते सुन लिया उसके बाद पिता ने खुद से गाना सिखाना शुरू किया।
शिक्षित आपको सिर्फ डिग्रियां नही,बल्कि परवरिश और परिस्थितियां भी बनाता है।
लता जी सिर्फ 2 दिन ही स्कूल जा पाई, मगर कई विश्वविद्यालय उन्हें डॉक्टरेट की उपाधियां देकर गौरवान्वित महसूस करती है।अपने जीवनकाल में उन्होंने 36 भाषाओं में 50,000 से ज्यादा गाना गाई। जिस कारण उन्हें 75 से ज्यादा अवार्ड दिया गया जिसमें 1989 में दादा साहब फाल्के अवार्ड। 2001 में भारत रत्न। 3बार बेस्ट प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवार्ड शामिल है।
उन्होंने संगीत की सारी शिक्षा पिता से ही सीखा,और कई भाषाओं का ज्ञान भी घर पर ही अर्जित किया। वो पहली बार 16 दिसंबर 1941 को स्टूडियो में रेडियो प्रोग्राम के लिए गाई.. उसके बाद अनवरत 7दशक तक गाने का सिलसिला चलता रहा।
परिस्थितियां हमेशा आपके अनुकूल हो ये जरूरी नही,बल्कि जरूरी ये है कि आप परिस्थितियों का सामना किस तरह से करते है..??
लता जी सिर्फ 13 साल की थी तब पिता की मृत्यु(24अप्रैल 1942)हो गई। और बड़ी होने के नाते बहन-भाई और माँ की जिम्मेदारी इनके ऊपर आ गई।
आप जो चाहे.... वो पाओ जिंदगी में... ये जरूरी नही,कभी-कभी परिस्थितियां तय करती है कि क्या करना है,और क्या होना है।
लता जी पैसों की किल्लत के कारण मराठी और हिंदी फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार करने लगी।पहली बार स्टेज पर गाने के लिए उन्हें 25₹ मिले। और उन्हें अहसास हुआ कि में किरदार निभाने के लिए नही बनी हूँ।
13 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म "पहिली मंगलागौर" के लिए गाया। उन्हें गाते हुए जब संगीतकार गुलाम हैदर ने सुना तो उन्होंने उस समय के सबसे सफल फ़िल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से मिलवाया। मगर मुखर्जी ने ये कह कर गवाने से इनकार कर दिया कि "आवाज बहुत पतली है नही चलेगी"। मगर गुलाम हैदर ने लता जी को पहला मौका दिया उसके बाद तो इनके पास काम का कमी न रहा।। आगे चलकर सशधर मुखर्जी को भी अपने गलती का अहसास हुआ और उन्होंने 'अनारकली' और जिद्दी फ़िल्म में लता जी से गवाया।।
असफलता जिंदगी का हिस्सा है,और निरंतर सीखते रहने से असफलता को सफलता में बदला जा सकता है।
लता जी को गुलाम हैदर ने हिंदी-उर्दू सीखने के लिए प्रेरित किया तो,अनिल विश्वास ने ये सिखाया की गाते वक़्त कैसे सांस लेना है और कैसे छोड़ना है। अपने आवाज को निखारने के लिए वो निरंतर कुछ-न-कुछ सीखती रही।
जो अपने वसूल से समझौता कर लेते है,उनका वजूद नही रहता।।
लता जी ने कभी द्विअर्थी वाले गाने नही गाये,और न ही उसका हिस्सा बना। इस वजह से कई बार राइटर से झगड़ा हो जाता मगर अंत मे राइटर को शब्द बदलना पड़ता या फिर वो काम करने से इनकार कर देती।।
सजा तो सब दे सकता है,मगर सजा देने में सक्षम होने के बाबजूद क्षमा करना महानता है।।
32 साल की उम्र में स्वर-कोकिला बन गई थी,मगर इसी समय किसी ने धीमा जहर दे दिया।जिसके कारण महीनों बीमार रही।जब स्वस्थ हुई तो किसी ने अफवाह उड़ा दी कि अब वो नही गाएंगी।। मगर उन्होंने "कंही दीप जले, कंही दिल जले" गाकर फ़िल्म फेयर अवार्ड जीत लिया।। उनलोगों को भी तबतक पता चल गया जिसने धीमा जहर दिया था,मगर उन्होंने किसी को नाम नही बताया।।
परिवार एक माला है, अगर टूट गया तो फिर व्यक्ति का अस्तित्व नही रह जाता।।
लता जी ने ये सोचकर शादी नही किया कि अगर मैं शादी कर लुंगी तो फिर मेरे परिवार का ख्याल कौन रखेगा,क्योंकि शादी के बाद तो मैं दूसरे घर चली जाऊंगी।उसके बाद मैं कैसे अपने माँ-बहन का ख्याल रख पाऊंगा..।।
उन्होंने "सा रे गा मा प ध नी सा" को सिर्फ गाया ही नही बल्कि उसे अपने जिंदगी में उतारा भी।
सा-सादगी ।। रे - रेश्मी ।। गा-गायकी ।। मा-माधुर्य ।।
प-परंपरा ।। ध-धवलता ।। नी-निर्मलता
लता जी आज हमारे बीच नही रही,मगर उन्होंने जो अर्जित किया उसे आनेवाली पीढ़ी के लिए छोड़ गई।
जिंदगी जीने का यही तो सलीका होता है कि आप आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ ऐसा छोड़कर जाए जो उन्हें अपनी जिंदगी को और बेहतरीन बनाने में मदद करे।।
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