रविवार, 10 अप्रैल 2022

राम से श्री राम बनने की यात्रा।।

 राम से श्री राम बनने की यात्रा।।




यात्रा कोई भी हो उतना आसान नही होता,
भले ही वो घर से बाहर और बाहर से घर जाने की ही यात्रा  क्यों न हो आसान नही होता क्योंकि इस दौरान क्या होगा, न आप जानते है और न ही कोई और।।

तो फिर  राम से श्री राम बनने की यात्रा इतनी आसान कंहा से हो सकती है।।
चलिए इनकी यात्रा में आज गोता लगाते है क्योंकि बिना गोते लगाए तो मोतियां भी नही मिलता।
यंहा से तो जीवन का सार मिलने वाला है..।।

हम किसी राजा दशरथ के पुत्र राम की बात नही करेंगें हम उस चरित्र की बात करेंगे जो राम से श्री राम बन गए..

जन्म साधारण ही हुआ जैसा सबका होता है, हां जन्म से पहले पूजा-पाठ यज्ञ-होम किया गया .... 
ऐसा अभी भी होता है अगर कोई जल्दी माँ-बाप नही बन पाते। मगर वर्तमान में तो कोई माँ-बाप बनना ही नही चाहते क्योंकि स्वछंद जीना जो चाहते है।।

इनका लालन-पालन भी सामान्य हुआ जैसा सबका होता है।

वो तो परिवार के आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है कि बच्चा माँ के दूध के साथ-साथ गाय का दूध पियेगा या फिर सेरोलेक भी पियेगा।।
आज के माएं तो अपने बच्चे को दूध पिलाना ही नही चाहती क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी खूबसूरती बिगड़ जाएगी।। कौन समझाए इन मूर्खों को, की अगर कम से कम 6 महीने तक अगर आप अपने बच्चों को स्तनपान नही कराए तो आपके बच्चे का रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर ही रहेगा जीवन भर चाहे जितना कॉम्प्लान,बोर्नविटा,हॉर्लिक्स पिला लो...।।

जब बड़े हुए तो गुरुकुल गए.. 
सामान्य बच्चों के तरह ही शिक्षा-दीक्षा ग्रहण किया.. 
कम बोलते थे,शांत स्वभाव के थे इसीलिए गुरु के नजर में आ गए..
अभी भी यही होता है.. अगर आप शांत स्वभाव के है और कम बोलते है तो आप अच्छे लोगों के दायरे में आ सकते है..।।

शिक्षा संपन्न हुआ तो घर आये ऐशो-आराम की जिंदगी जीना शुरू किया..
अभी भी होता है अगर आप संपन्न परिवार से है तो शिक्षा समाप्त करने के बाद आपको मौका मिलता है कि आप क्या करना चाहते है..
मध्यम वर्ग की तरह नही की शिक्षा ग्रहण करने का मतलब नॉकरी होता है.. शिक्षा समाप्त और नॉकरी शुरू..
गरीब को तो शिक्षा का अधिकार ही नही है, भले शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार हो गया है मगर जब आप धरातल पर देखेंगे तब आपको पता चलेगा कि अच्छी शिक्षा भी पैसों से ही खरीदी जा सकती है..।।

कुछ दिन ऐशो आराम के बाद राम को लेने के लिए विश्वामित्र जी आ गए क्योंकि उनके यज्ञ-हवन में कुछ अतातायी लोग बाधा पहुंचा रहे थे.. 
राम-लक्ष्मण चल दिये उनकी रक्षा में क्योंकि राजा का कर्तव्य होता है कि वो अपनी प्रजा की रक्षा करें..
भले ही 100 में से 1-2 को नुकसान ही क्यों न पहुंचे..
पहले भी होता था आज भी होता है..
सरकार उन खनिजों को खोदने के लिए उन जनजाति लोगों के आवास उजाड़ने में नही हिचकती.. भले ही उनके लिए पुर्नवास की व्यवस्था क्यों न कर दिया जाए..
मगर आपको अपनी खेत की खुश्बू उस बंजर जमीन से थोड़े ही मिलेगी...

विस्वामित्र जी के ही आश्रम में जनक जी का संदेशा आया सीता जी का स्वयंवर का.. 
विस्वामित्र जी के साथ राम लक्ष्मण भी जनकपुर की और चल दिये...
उस सभा में एक-पर-एक योद्धा सब आये हुए थे..
 कोई भी धनुष उठाने में सक्षम नही था.. 
जनक जी उदास हुए और इस सभा को धिक्कारने लगे...
ये देख लक्ष्मण क्रोधित हुए और बोलना शुरू किया विस्वामित्र ने शांत होने का आदेश दिया और राम को धनुष तोड़ने की आज्ञा दी.. 
राम ने धनुष तोड़ा और सीता से व्याह रचाया..

वर्तमान समय में भी यही हो रहा है,जो सक्षम है वो समाज की बंदिशों को तोड़कर अपनी पसंद की शादी कर रहे है.. मगर उन लड़कियों का क्या जिनसे ये तक नही पूछा जाता कि उसे लड़का पसंद भी है कि नही...
मगर अब परिस्थितियां बदल रही है,मगर इसका सकारात्मक परिणाम कम नकारात्मक परिणाम बहुत ही देखने को आ रहा है..
क्योंकि हमारे मध्यम वर्ग को ये पता ही नही है कि इस समस्या से कैसे निजात पाये..
मैं उन लड़कियों से कहना चाहता हूं कि आप आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने क्योंकि तब ही आपका आवाज कोई सुनेगा.. कोई भी शुरुआत में बदलाव पसंद नही करता मगर बदलाव जरूरी है...

शादी के बाद राम सपरिवार खुशी-खुशी रहने लगे..
कुछ दिन बाद राम का राज्याभिषेक होने की चर्चा पूरे अयोध्या में फैल गई..
राम की राज्यभिषेक की तैयारी शुरू हो गई,जिस दिन राज्यभिषेक होने वाला था उस दिन वो सबकुछ त्याग कर वन को चल दिए...
बिना किसी राग-द्वेष के, उनके चेहरे पर आज भी वही भाव था जो कल था..

यही से उनका राम से श्री राम बनने की यात्रा शुरू होती है..