सफलता जिंदगी में बहुत मायने रखता है..।
सच कहूं तो आपका अस्तित्व कंही-न-कंही आपके सफलता पे ही टिकी हुई है..।।
आपने बगीचे में देखा होगा..
बच्चों का जमवाड़ा उसी पेड़ के पास होता है,
जिस पेड़ पे फल लदते है..
जिस पे फल नही लदते,उस पेड़ के चारोतारफ सिर्फ और सिर्फ झाड़ियां ही रहता है..।।
सफलता आपको अमूर्त रूप देता है..
सफलता से पहले आप कुछ नही होते,
ज्योहीं सफल होते है,
जिंदगी त्योंही 360° बदल जाती है..।।
सफल होना इसलिय जरूरी है कि,
सफलता आपको अपने अस्तित्व का अहसास दिलाता है..।
बिना सफलता की जिंदगी, उस भेड़ की भीड़ की तरह है..
जिस भीड़ का नेतृत्व करने वालों को, सिर्फ और सिर्फ पेट भरने की फिक्र रहता है..
निर्णय आपको करना है..
खुद के पेट भरने के लिए जीना है,
या फिर इस भीड़ का पेट भरने के लिए जीना है,
या फिर इस भीड़ को पेट भरने के फिक्र से मुक्त करना है.।
सफलता आपको इस काबिल बनाती है..
कि आप अपने पेट के साथ दूसरों का भी पेट भर सकते है,
यंहा तक कि सफलता आपको उस काबिल बनाती है कि आप इस भीड़ को पेट भरने की चिंता से भी मुक्त कर सकते है..।।
सफलता जरूरी है,अपने अस्तित्व का अहसास होने के लिए..।।
सफल होना इस प्रकृति की नियति है,
मगर मनुष्य ही है,जो अपने आप को असफल मान कर नियति को चुनौती देता है..।।
आप प्रकृति को एक बार गौर से देखे तो सही..
चाहे पर्वत हो या पठार हो,उसका सीना चीरकर जब पौधा निकलता है तो प्रकृति मुस्कुराती है..
चाहे चिलचिलाती गर्मी में रेगिस्तान की मिट्टी जल क्यों न रही हो.. जब उसके तपन को सहकर पौधा निकलता है तो उस प्रकृति को कितनी ख़ुशी होती है..।।
चाहे समुन्द्र की गहराइयों में सूर्य की रोशनी न पहुंचती हो, मगर उस अंधेरे में भी, जब पौधा निकलता है,और उस पौधे के झाड़ियों में जब मछली अपना आशियाना बनाती है,तो प्रकृति कितना खुश होती है..।।
एक मानव ही है,
जो हताश है,निराश है,
बेवजह है..
जबकि वो इस धरा पे सबसे लाजबाब है..।
फिर वो क्यों निराश है,हताश है..??
क्योंकि वो प्रकृति से विरक्त है..
इसीलिए तो वो हताश है,निराश है..।।