एक पुत्र का अपने पिता के प्रति क्या कर्तव्य है?
ये सवाल हरेक पिता और पुत्र के बीच मे रहता है,ये दोनों अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहते है।
मगर कभी-कभी परिस्थिति ऐसी नही रह पाती की अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकें।
हरेक पुत्र चाहता है कि पिता हमारी हर ख्वाहिश को पूरा करें।पिता करता भी है,ओर करने की कोशिश भी करता है।मगर कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी नही रहती की पिता अपने पुत्र की हर ख्वाहिश पूरा कर सकें।
हरेक पिता चाहता है कि मेरा पुत्र हमारा सम्मान करें वो हमारे हर अधूरे काम को पूरा करें, वो हमारे हर सपनों को पूरा करें। हरेक पिता चाहता है कि मेरा पुत्र कुछ ऐसा करें कि हम गौरवान्वित महसूस करें।।
हरेक पिता यही चाहता है और कुछ नही।
वो अपने पुत्र से और पुत्र के द्वारा समाज से सम्मान पाना चाहता है।।
और शायद पिता कुछ नही चाहता।।
पिता बस यही चाहता है कि जो कठिनाइयों का सामना हमनें किया है उस कठिनाइयों का सामना मेरा पुत्र न करें।।
बस पिता यही चाहता है।
मगर पुत्र अपने पिता की भावनाओ को समझ नही पाता,ओर पुत्र दोषारोपण करने लगता है कि आप हमेशा अंगुलियां ही करते रहते है।।
वो पिता अपनेआप को खुशनसीब समझते है,जो पुत्र अपने पिता का सम्मान करते है,जो अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करते है।।
अगर कोई पुत्र अपने पिता को सपनों को पूरा नही कर पाता तो कोई फर्क नही पड़ता,मगर फर्क तब पड़ता है जब पुत्र अपने सपनों को भी पूरा नही कर पाता तब उस पिता को सर्वाधिक तक़लीफ़ होता है।।
"इस दुनिया में सिर्फ आपका पिता ही है,
जो आपका सर्वाधिक सम्मान कर सकता है"।।
"इस दुनिया मे सिर्फ पिता ही है,
जो आपके उन्नति से,
आपसे ज्यादा खुश होगा"।।
इसीलिए पिता कैसा भी हो,
पिता का सम्मान करना चाहिए,
उनके भावनाओं का कद्र करना चाहिए।।
क्रमशः.....
Maa BAAP ka hamesha hi baat mananaa chaiye or pita ka jarur baat mananaa chaiye maa ka baat nhi v Mano ge tho chalega maa se koi v nhi darta hai Mai tho kisi se v nhi darta
जवाब देंहटाएंKyu nahi darte..
हटाएंDarna jaruri nahi hai,Magar sammaan karna jaruri hai