जरा सोचिए....
हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ रहा है..
कंही-न-कंही इसके लिए हम पुरुष ही जिम्मेदार है..।।
हम कहते है- "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता"
हम सब भारतीय दीवाल पर और मंदिर में स्थित देवियो को तो रोज नमन करते है..।। मगर घर में अपनी माँ,बहन,दादी,बुआ,चाची सबसे क्या हम प्रेम से बात करते है..ये हमारे मूड के ऊपर निर्भर करता है,मूड खराब रहा तो झिड़क देते है।।
अगर उनका मूड खराब रहे,और वो झिड़क दे तो क्या होगा.. हम सब भली-भांति जानते है..।। इसके लिए हमारी पितृसत्तात्मक समाज ही जिम्मेदार रहा है..।
महिलाओं की सम्मान की सब बात करते है...।।
मगर क्या आप जानते है कि 90% से ज्यादा भारतीय पुरुष, घर की महिलाओं की सम्मान नही करते..
आखिर क्यों...??
क्योंकि उन्हें कोई कहने वाला नही है कि आप जो कर रहे है वो गलत है,बल्कि उन्हें तो पुरुष होने का अहसास कराया जाता है।।
महिलाओं का हमारे समाज मे ऐसी दशा क्यों है...
क्योंकि वो शिक्षित नही है...
क्योंकि वो आर्थिक रूप से सम्पन्न नही है...।।
जिस रोज महिला शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न हो जाएगी उस रोज हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत नही पड़ेगी...
जब आप भारतीय देवी-देवता को देखेंगे तो आप पाएंगे कि सबसे ज्यादा अस्त्र-सस्त्र से देवी ही सुसज्जित है..
यंही तक नही बल्कि,
देवता भी इन देवियों की अस्तुति करते है,और अपने कल्याण की कामना करते है..।।
तो फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमारी भारतीय महिला समाज के सबसे निचले हाशिया पे चली गई..?
इसके लिए कंही-न-कंही भारतीय महिला ही जिम्मेदार है ,क्योंकि उन्होंने अपने अधिकार के लिए कभी आवाज नही उठाया...।।