मालूम नही कब से मनाया जा रहा है..??
शिवरात्रि क्यों मनाते है इसका भी कोई सटीक कारण नही मालूम है...।।
मगर विष्णुपुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिव प्रकट हुए।
एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन भगवान शिव का माँ पार्वती से विवाह हुआ।।
एक मान्यता ये भी है कि समुंद्रमंथन के समय भगवान शिव ने इसी दिन हलाहल(विष) पिया।।
मगर जो भी हो शिव आदिगुरु है..।।
क्योंकि जब आप इतिहास को पलटोगे तो आपको सिर्फ और सिर्फ आदि गुरु शिव के ही साक्ष्य मिलेंगे..।।
जब हड़प्पा जैसी प्रचीन और सबसे भव्य सभ्यता विकसित हुई थी उस समय सिर्फ और सिर्फ पशुपतिनाथ शिव ही मौजूद थे..।।
क्योंकि सिर्फ पशुपतिनाथ के मूर्ति ही हड़प्पा के खुदाई से मिले है..
शिव तब भी थे,
जब ये सृष्टि नही थी,
शिव तब भी रहेंगे,
जब सृष्टि नही रहेगी..।
क्योंकि वो कालो के काल
महाकाल है..।।
चलिए भगवान शिव से कुछ सीखते है...।।
◆ जीवनसाथी को पूरा सम्मान दे..।
भगवान शिव ने माँ पार्वती को अपने बराबरी का आसन दिया।
अगर पति-पत्नी के बीच में एक-दूसरे के लिए सम्मान और आदर का भाव नही है,तो दाम्पत्य जीवन कभी भी खुशमय नही रह सकता है।।
◆ बच्चों में आपस मे कभी स्पर्धा न कराए..।।
गणेश और कार्तिकेय के ब्रह्मांड के चक्कर लगाने वाली कहानी तो सब को मालूम ही होगी।।
दोनों की क्षमता अलग-अलग थी मगर दौड़ एक जैसी लगाई गई जिसके कारण आपस मे मतभेद हो गया।।
गलत स्पर्धा हमेशा नुकसानदेह होता है।।
◆ स्वभाव भले अलग हो,मगर परिवार एक रहे..
शिव के परिवार में ही देख लीजिए बैल,सिंह,चूहा,सांप,मोर का स्वभाव भले अलग-अलग है,मगर सब एक साथ रह रहे है।
प्रेम ही है जो हमें बांधे रखता है।
◆ किसी से भेदभाव न करें..
शिव को जिसने भी पूजा उसे उन्होंने बिना भेदभाव के आशीर्वाद दिया चाहे वो देव हो या दानव हो।
हम मनुष्यों को भी किसी से भेदभाव नही करना चाहिए।
◆ ध्यान करें..
भगवान शिव विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नही होते,
क्योंकि वो ध्यान के द्वारा अपने मन को स्थिर किये रहते है।
एक स्थिर मनुष्य ही विपरीत परिस्थितियों में विजय हासिल कर सकता है।
शिव खुद में ही परिपूर्ण है..
क्योंकि वो स्वयंभू है..
न उनका आदि है और न ही अंत है,
क्योंकि वो अनंत है..
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