हमसब गुलाम है, अपनी आदतों का..
कोई अच्छी आदतों का,तो कोई बुरी आदतों को..
एक गुलामी आपके जीवन को दिनप्रतिदिन बेहतर बनाती जाती है...।
तो एक गुलामी आपके जीवन को दिन-प्रतिदिन नर्कमय बनाती जाती है..।
मगर हमदोनो अवस्था में गुलाम है...।।
हममें से अक्सरहां लोग गलत आदतों के गुलाम है,और ये गुलामी ऐसी है कि अगर एक बार इसके जंजीर से बंध गए तो इस जंजीर को तोड़ना मुश्किल हो जाता है..।।
और एक समय ऐसा आता है,जब आप इससे कभी बाहर निकलना भी चाहो तो इससे निकल नही पाओगें.. क्योंकि आदतों की जंजीर इतनी मजबूत हो गई होती है कि इसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है..।।
और न चाहते हुए भी हम,इसके गुलाम बन करके जिंदगी जीने के आदि हो जाते है...।।
क्या आपमें कोई बुरी आदत है..?? क्या आप इसे छोड़ना चाहते है..?? तो रास्ते है.... अपने लक्ष्य की और देखें, अगर लक्ष्य नही है,तो अपना लक्ष्य चुने... और इन गंदी आदतों की गुलामी की जंजीर को तोड़ दे...।।
हममें से कई लोग अच्छी आदतों के भी गुलाम होंगे.. ये गुलामी अच्छी है,क्योंकि ये गुलामी आपके जिंदगी को सुदृढ़ करने में सहयोग करती है..।।
मगर इसकी गुलामी करना बहुत कठिन है..
इसकी गुलामी रोज की गुलामी है, हरेक दिन आपको इसकी गुलामी करने के लिए प्रयत्न करना होता है..।
अच्छी आदतों की गुलामी दिहाड़ी मजदूरी( daily worker) की तरह है,आज करोगे तो इसका परिणाम आज मिलेगा,कल नही करोगे तो फिर इसका परिणाम नही मिलेगा..।।
अच्छी आदतों की गुलामी सिर्फ आपके ही जिंदगी में बदलाव नही लाता बल्कि इसका प्रभाव दूसरों के जिंदगी पे भी पड़ता है..।।
अब निर्णय आपको करना है...
अच्छे आदतों की गुलामी करना है... या फिर
बुरी आदतों की गुलामी करनी है...।।
इस दोनों के अलावा एक और अवस्था है जब आप किसी आदतों के गुलाम नही होते... बल्कि आदतें आपके गुलाम होते है.. ।।
ये वो अवस्था है,जिस अवस्था में पहुंचकर ही आप अपने आप को जान पाओगे... और नए कीर्तिमान रच पाओगे..।।
आप आदतों के गुलाम नही,
बल्कि आदतों को अपना गुलाम बनाये...
ये आसान नही है,मगर मुश्किल भी नही..।।