शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023

हम सब गुलाम है...अपनी आदतों के


 हमसब गुलाम है, अपनी आदतों का..

कोई अच्छी आदतों का,तो कोई बुरी आदतों को..

एक गुलामी आपके जीवन को दिनप्रतिदिन बेहतर बनाती जाती है...।

तो एक गुलामी आपके जीवन को दिन-प्रतिदिन नर्कमय बनाती जाती है..।

मगर हमदोनो अवस्था में गुलाम है...।।

हममें से अक्सरहां लोग गलत आदतों के गुलाम है,और ये गुलामी ऐसी है कि अगर एक बार इसके जंजीर से बंध गए तो इस जंजीर को तोड़ना मुश्किल हो जाता है..।।

और एक समय ऐसा आता है,जब आप इससे कभी बाहर निकलना भी चाहो तो इससे निकल नही पाओगें.. क्योंकि आदतों की जंजीर इतनी मजबूत हो गई होती है कि इसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है..।।



और न चाहते हुए भी हम,इसके गुलाम बन करके जिंदगी जीने के आदि हो जाते है...।।

क्या आपमें कोई बुरी आदत है..?? क्या आप इसे छोड़ना चाहते है..?? तो रास्ते है.... अपने लक्ष्य की और देखें, अगर लक्ष्य नही है,तो अपना लक्ष्य चुने... और इन गंदी आदतों की गुलामी की जंजीर को तोड़ दे...।।


हममें से कई लोग अच्छी आदतों के भी गुलाम होंगे.. ये गुलामी अच्छी है,क्योंकि ये गुलामी आपके जिंदगी को सुदृढ़ करने में सहयोग करती है..।।

मगर इसकी गुलामी करना बहुत कठिन है..

इसकी गुलामी रोज की गुलामी है, हरेक दिन आपको इसकी गुलामी करने के लिए प्रयत्न करना होता है..।

अच्छी आदतों की गुलामी दिहाड़ी मजदूरी( daily worker) की तरह है,आज करोगे तो इसका परिणाम आज मिलेगा,कल नही करोगे तो फिर इसका परिणाम नही मिलेगा..।। 

अच्छी आदतों की गुलामी सिर्फ आपके ही जिंदगी में बदलाव नही लाता बल्कि इसका प्रभाव दूसरों के जिंदगी पे भी पड़ता है..।।

अब निर्णय आपको करना है...

अच्छे आदतों की गुलामी करना है... या फिर

बुरी आदतों की गुलामी करनी है...।।

इस दोनों के अलावा एक और अवस्था है जब आप किसी आदतों के गुलाम नही होते... बल्कि आदतें आपके गुलाम होते है.. ।।

ये वो अवस्था है,जिस अवस्था में पहुंचकर ही आप अपने आप को जान पाओगे... और नए कीर्तिमान रच पाओगे..।।

आप आदतों के गुलाम नही, 

बल्कि आदतों को अपना गुलाम बनाये... 

ये आसान नही है,मगर मुश्किल भी नही..।।




गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

माता-पिता..पहली दफा तूने ही तो दुनिया से रु-ब-रु कराया..



 माता-पिता...

के हर दुआओं में, आप शामिल होते है...

उसके हर ख्वाहिशों में, आप शामिल होते है....

उसके हर सपनों में, आप शामिल होते है....

मगर न जाने वक़्त के साथ क्या हो जाता है...की..

हम अपने दुआओं, ख्वाहिशों और सपनों में उन्हें शामिल नही कर पाते.. 

आखिर क्यों..??

जबकि मेरे रगों में बह रहा खून उन्हीं का है..

आज ये शरीर,जिस पे मैं,गुमान कर रहा हूँ,उन्ही का है..।

मेरी हस्ती कितनी थी...??

जिस पे मैं गुमान कर रहा हूँ.....

जब मैं इस धरा पे आया, तो सिर्फ आंसू😭 ही तो लेके आया..

तुमने ही तो संवारा... खुद को उजाड़ करके..

पहली दफा तूने ही तो,इस संसार से रुब-रु कराया...

पहली दफा भूख से बिलखा,तो तूने ही तो सीने से लगाया..

पहली दफा तूने ही तो लोरिया सुनाकर के सोना सिखाया..

पहली दफा तूने ही तो बोलना सिखाया...

पहली दफा तूने ही तो चलना सिखाया..

पहली दफा तूने ही तो खाना, खाना सिखाया..

पहली दफा तूने ही तो पेंसिल पकड़ना सिखाया..

पहली दफा तूने ही तो दुनिया का सामना करना सिखाया...

अगर तुम न होते तो क्या मेरा होता...??

मैं तो इस धरा पे सिर्फ आंसू😢 ले के आया..

तूने तो हँसना😊 सिखाया.. 

तूने तो जीना सिखाया...।।

मगर वक़्त के साथ इस जिंदगी मैं तुम कंहा हो..??

अभी भी तुम्हारे दुआओं, सपनों, ख्वाइशों में, मैं जरूर हूँ..

मगर मेरे सपनों,दुआओं, ख्वाइशों में तुम नही...

आखिर क्यों..??

मुझे माफ़ करना.. मगर ये सच है...।।

आखिर क्यों...

हमारे दुआओं, ख्वाहिशों और सपनों में उनके लिए जगह नही है..।

आखिर क्यों..??





शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

भारतीय vs पाश्चात्य शिक्षा



 क्या आपको पता है..

टिम कुक एक दिन में कितना कमाते है..??                     (टिम कुक को गूगल पे सर्च कर लीजिए)                  

औसतन 1 करोड़ से ऊपर प्रतिदिन कमाता है। भारत की लगभग 20% से ज्यादा आबादी अपने पूरे जीवनकाल में भी 1 करोड़ नही कमा पाती है।

टिम कुक बचपन में अखबार बेचा करते थे , फिर माँ के साथ फार्मेसी के दुकान पे काम करने लगे..।। टिम कुक को इंजीनियर बनना था तो उसने अमेरिका के ऑबोर्न विश्विद्यालय से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में स्नातक किया फिर डूइक यूनिवर्सिटी से MBA किया..।।

कहने का तात्पर्य है,कि अगर आप पाश्चात्य देश मे पैदा हुए है तो आपके लिए शिक्षा सुलभ ही नही बल्कि गुनवक़्तापूर्ण मिलने की गारंटी है.. भले ही आप अमेरिका के बड़े शहरों में शिक्षा ले या फिर अमेरिका के किसी गाँव मे ले, शिक्षा का पैटर्न सामान है..।। हां थोड़ा बहुत सुविधा का अंतर हो सकता है। मगर आपको अमेरिका के सुदूर गाँव मे भी वही पढ़ाया जाएगा जो अमेरिका के उन्नतशील शहर में पढ़ाया जा रहा है..।। आपको किसी भी तरह की शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप और ऋण के लिए भटकना नही होगा..। ये इतना ही सुलभ है जितना भारत में गुटका खरीदना।

और अब भारत की स्थिति देखिए...

जैसे-जैसे शिक्षा पर आप पैसा खर्च करते जाएंगे त्यों-त्यों आपको गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा मिलता जाएगा..।।

भारत की शिक्षा व्यवस्था आज बहुत दयनीय अवस्था मे है.. आज से पहले कभी नही था..।।(70 सालों में)

भारत की शिक्षा व्यवस्था आज एवेरेस्ट और अरावली की तरह हो गई है..।।

ग्रामीण परिवेश में जो पढ़ रहा है वो शायद स्नातक तक की पढ़ाई के दौरान माउस नही पकड़ पायेगा..।।

और शहरी क्षेत्र में जो पढ़ रहे है आशा है वो 9th तक जाते -जाते जरूर माउस पकड़ लेंगे..।।

जो समृद्ध परिवार में पैदा हुए है वो स्कूल जाने से पहले ही माउस से परिचित हो जाएंगे..।।

अब आप जरा सोचिए कि अच्छी सैलरी किसे मिलेगा..??

हमारा संविधान समानता की बात करता है..??

किस समानता की बात करता है...।।

चाहे शिक्षा हो,स्वास्थ्य हो या किसी भी तरह की सुविधा की बात आती है ,वंहा असमानता फैली हुई है.. थोड़ी नही बहुत ज्यादा इतना कि इसे पाटने में कितने दशक लगेंगे..।।

अब आप जरा सोचिए ..??

क्या भारत मे अखबार बेचने वाला,करोड़पति बन सकता है।

(APJ अब्दुल कलाम के बारे में ख्याल मत लाइयेगा.. क्योंकि उन्हें गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा मिल गया था)

जब तक सभी भारतीयों को गुववक़्तापूर्ण शिक्षा नही मिलेगी तबतक भारत कभी भी विश्वगुरु नही बन सकता है।

हम रामराज्य की बात करते है, मगर भूल जाते है कि राम के साथ पढ़ने वाला निषाद राज भी था जो एकसमान ही शिक्षा पा रहा था..

मगर वर्तमान परिदृश्य में राम जैसे धनाढ़्य वर्ग को गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है.. तो

निषाद राज जैसे लोगों को सिर्फ शिक्षा मिल रही है, जो धनाढ़्य वर्ग की सेवा कर सके। और मतदान के समय चुनाव चिन्ह को पहचान करके मत दे सके...।।

हम भारतीय को आज सिर्फ शिक्षा पर नही बल्कि गुववक़्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है।।

आज शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप और ऋण आम छात्र के लिए इतना ही दुर्लभ है,जितना रेलवे का तत्काल टिकट का कंफर्म होना..।।


कितने लोग तो ये भी नही जानते होंगे कि आखिर गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा किसे कहते है..??

जो आपको A फ़ॉर एप्पल ही नही बल्कि एप्पल क्या होता है, और किस तरह की जलवायु में उगता है,और इसका सेवन करने से क्या फायदा होता है..।।और एक apple और है जिसके ceo टिम कुक है, जो अभी भारत मे अपने स्टोर खोलने के लिए आये हुए है..। अगर ये सब बताया जाए तो यही है गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा..।

जो हमें सोचने वाला प्राणी बनाये.. अगर न्यूटन ने apple को गिरते हुए देख कर सोचना शुरू न किया होता तो आज फिजिक्स अधूरी रहती..।।

जरा सोचिएगा क्या आपने कभी Apple  के बारे में इस तरह सोचा था..??