माता-पिता...
के हर दुआओं में, आप शामिल होते है...
उसके हर ख्वाहिशों में, आप शामिल होते है....
उसके हर सपनों में, आप शामिल होते है....
मगर न जाने वक़्त के साथ क्या हो जाता है...की..
हम अपने दुआओं, ख्वाहिशों और सपनों में उन्हें शामिल नही कर पाते..
आखिर क्यों..??
जबकि मेरे रगों में बह रहा खून उन्हीं का है..
आज ये शरीर,जिस पे मैं,गुमान कर रहा हूँ,उन्ही का है..।
मेरी हस्ती कितनी थी...??
जिस पे मैं गुमान कर रहा हूँ.....
जब मैं इस धरा पे आया, तो सिर्फ आंसू😭 ही तो लेके आया..
तुमने ही तो संवारा... खुद को उजाड़ करके..
पहली दफा तूने ही तो,इस संसार से रुब-रु कराया...
पहली दफा भूख से बिलखा,तो तूने ही तो सीने से लगाया..
पहली दफा तूने ही तो लोरिया सुनाकर के सोना सिखाया..
पहली दफा तूने ही तो बोलना सिखाया...
पहली दफा तूने ही तो चलना सिखाया..
पहली दफा तूने ही तो खाना, खाना सिखाया..
पहली दफा तूने ही तो पेंसिल पकड़ना सिखाया..
पहली दफा तूने ही तो दुनिया का सामना करना सिखाया...
अगर तुम न होते तो क्या मेरा होता...??
मैं तो इस धरा पे सिर्फ आंसू😢 ले के आया..
तूने तो हँसना😊 सिखाया..
तूने तो जीना सिखाया...।।
मगर वक़्त के साथ इस जिंदगी मैं तुम कंहा हो..??
अभी भी तुम्हारे दुआओं, सपनों, ख्वाइशों में, मैं जरूर हूँ..
मगर मेरे सपनों,दुआओं, ख्वाइशों में तुम नही...
आखिर क्यों..??
मुझे माफ़ करना.. मगर ये सच है...।।
आखिर क्यों...
हमारे दुआओं, ख्वाहिशों और सपनों में उनके लिए जगह नही है..।
आखिर क्यों..??
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