जिस जिंदगी में संघर्ष ना हो..
वो संघर्ष भी संघर्ष क्या..
जिस संघर्ष में,
अस्तित्व दांव पर न लगा हो..
वो जिंदगी भी जिंदगी क्या..
जिस जिंदगी में संघर्ष ना हो..।।
यंहा कौन है..??
जिसके जीवन में संघर्ष नही..
अगर कोई है..
तो उसका जीवन भी क्या जीवन है..
जिसके जीवन मे संघर्ष नही..
संघर्ष ही तो मनुष्य को निखारता है..
और निखारकर एक नया स्वरूप प्रदान करता है..
सिर्फ इतिहास ही नहीं,
वर्तमान भी भरी-पड़ी है..
संघर्षों की गाथाओं से..
जिसका संघर्ष जितना बड़ा था..
उसने उतनी बड़ी छाप छोड़ी...
तो फिर हम क्यों संघर्ष से भाग रहे है..??
हमें तो, अपने संघर्षों का आलिंगन करना चाहिए..
क्योंकि ये संघर्ष ही तो हमें निखारकर..
एक नई पहचान देगी..
वो जिंदगी भी जिंदगी क्या....
जिस जिंदगी में संघर्ष ना हो..
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