बुधवार, 29 अगस्त 2018

माँ कैसी होती है?

"माँ"
चेहरे की मुस्कान होती है,
दुःख दूर करने वाली इंसान होती है,
संतान की समस्या खुद जान लेने वाली इंसान होती है,
सच कहूं, वो इस धरा पे इंसांरूपी भगवान होती है।।

माँ को जानना बड़ा मुश्किल है,
वो सागर है,
उसके रूप हर क्षण बदलते रहते है,
कभी क्रोधमयी सूर्य की तरह,
तो कभी चाँद की शितलता की तरह,
तो कभी समुन्द्र की लहरों की तरह,
तो कभी तालाब की तरह मौन,
तो कभी पीपल की छावं की तरह, 
तो कभी ताड़ के छावं की तरह,
सच मे माँ प्रतिक्षण बदलती रहती है,
परिस्थितियों के अनुसार।।

उन्हें सम्पूर्णता में जानना बड़ा मुश्किल है,
उन्हें जब क्रोध आता है,तो उनके सामने कोई नही टिकता,
जब प्रेम आता है,तो सबों को समाहित कर लेती है।

उनके स्वरूप का दिन-प्रतिदिन विस्तार होता जाता है,
ज्यों-ज्यों आपका उम्र बढ़ता जाएगा,त्यों-त्यों माँ का भी स्वरूप बढ़ता जाएगा।।
वो अपने आप मे ही पूर्ण है,

मगर आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में "माँ"कंही खो रही है,
"माँ"के जगह महत्वाकांक्षाएं जन्म ले रही है,
अब माँ के मन मे संतान की जगह महत्वाकांक्षाएं की लालसा हो रही है,
आखिर हो क्यों नही वो भी तो इंसान है।
अब माँ की परिभाषा भी बदल जाएगी,
 बदल रही भी है।

"माँ की गोद अब नही होगी,
 माँ की आँचल भी अब नही होगी,
 माँ की लाड़ ओर प्यार भी अब नही होगी,
 तो फिर माँ का लाल भी माँ का नही होगा।।

बदलते हुए समय के अनुसार सामंजस्य बिठाने की जरूरत है अब पुरुष और महिलाओं दोनों को,
  मातृत्व भाव जगाने की जरूरत है,
अगर वो ऐसा नही करेंगें, 
तो संतान तो होगा मगर संतान सुख नही होगा,
क्योंकि वो आपसे सीखने के जगह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सब कुछ सीख रहा है,
वो आपसे पूछने की जगह गूगल से सबकुछ पूछ रहा है,
तो आप ही बताए,की आपकी क्या भूमिका है,उसके परिवरिश में।।
अभी भी समय है,जाग जाए हम सब,
नही तो आनेवाले समय मे सबकुछ होगा,
मगर माँ-बाप-बेटे जैसा रिश्ता नही होगा।।

इसीलिय समय है,सावधान हो जाये।।



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