गुरुवार, 30 अगस्त 2018

असफलता सफलता से अच्छी है,या बुरी?

असफलता किसी को पसंद नही है,न जाने क्यों,जबकि असफलता कई के जिंदगी बदल दिया,सिर्फ जिंदगी ही नही उसे जमीं से आसमां की ऊँचाई पे पहुचाई,उसे वो मिला जो कभी उसे सफलता नही दिला पाता,न जाने तब भी क्यों हम असफलता से दूर भागते है,बल्कि दूर ही नही इसका जिक्र करना भी हमारे समाज मे अशुभ माना जाता है।।

दरसल असफलता को हमारे समाज मे अच्छी तरह से परिभाषित नही किया गया है,इसके सिर्फ एक पक्ष को ही हमेशा से उजागर किया गया है,दूसरे पहलू के बारे में कभी जिक्र ही नही किया गया है,जिस कारण हमारे समाज को बहुत बड़ी हानि हुई है,ओर हो रही है,यंहा तक कि असफलता के कारण लोग अमूल्य जीवन को बलि चढ़ा देते है।
क्या ये सही है,एक सभ्य समाज मे तो कदापि नही,इस तरह के कृत्य के लिए हमारा समाज ही दोषी है और कोई नही।
क्योंकि इसी समाज ने असफलता को इस तरह गढ़ा है,की असफलता अगर हाथ लगी तो समझो सब कुछ गया,मान-सम्मान सब कुछ,हमारा समाज इस तरह से व्यवहार करने लगता है कि मानो उसने बहुत बड़ी कुकृत्य किया है,जबकि उन्होंने खुद प्रयास तक नही किया।।

"क्या है असफलता"
 नई जीवन का नाम है असफलता,
 फिर से सीखने का नाम है असफलता,
 अपनी गलतियों को सुधार करने का नाम है असफलता,
 औरों से बेहतर करने का मौका देती है असफलता,
 अपने आप को निखारने का मौका देती है असफलता,
 कुछ कर गुजरने का अवसर देती है असफलता,
 अनुभवों का अंबार लगा देती है,असफलता,
 अपनों ओर पराये का पहचान करा देती है असफलता,
 जिंदगी जीने का कला सिखा देती है असफलता,
कुछ कर गुजरने का जज्बा सिखा देती है असफलता,
सिर्फ अपने लिए नही औरों के लिए भी जीना सिखा देती है असफलता।।

 तो फिर क्यों न असफलता को गले लगाए जो हमें इक नई जीवन प्रदान करती है।।

मगर इन सबसे पहले इस समाज,ओर परिवार को असफलता को समझना होगा,की असफलता होता क्या है,
असफलता हमें वो सब सिखा देती है,जो हम सफल होके भी नही सिख पाते।
तो फिर क्यों न हम असफलता का सामना ही करे बल्कि उसे स्वीकार भी करें।।
 जो हमें अपने आप से रु-ब-रु कराती है।।

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