शनिवार, 5 दिसंबर 2020

अच्छाइयों पे बुराइयों का हावी होना।

 मैं अच्छा नही हूँ...।।

लेकिन बुरा भी नही हूँ..।।

मेरी कुछ खामियां मेरी अच्छाइयों पे हावी हो जाता है,

और मैं अपने ही नजरों में गिर जाता हूँ।

जो कि बिल्कुल ही सही नही है।।


इस समस्याओं से सिर्फ में ही नही बल्कि बहुत बड़ी आबादी जूझ रही है।

इससे छुटकारा पाया जा सकता है,

अगर हम अपनी अच्छाइयों के बारे में जाने और अपनी बुराइयों से तुलना करें तो आप पाएंगे कि आपकी बुराइयों की सूची आपके अच्छाइयों से छोटा है।

मगर ये आपके अच्छाइयों पे हावी हो गया है।

इसे न हावी होने देने का अनेक तरीका है-

1.अपनेआप को बेहतर समझे और अपनेआप से हमेशा कहते रहे कि मैं अच्छा हूँ।(self motivation)

2.अच्छे किताबों से दोस्ती बहुत जरूरी है,क्योंकि किताबों में इतनी शक्ति है की ये सिर्फ आपका ही नही बल्कि कइयों का जिंदगी बदल सकता है।

3.अपने लक्ष्य पे हमेशा नजर टिकाए रहे।

4.आपके द्वारा किसी के साथ किये गए व्यवहार का खुद से मूल्यकान करें।

5.जिंदगी में सबों का आभार प्रकट करना सीखना।


ऐसे ढेर सारे छोटी-छोटी चीज करके हम अपनी बुराइयों को अपने ऊपर हावी नही होने दे सकते है।।


जिंदगी_बहुत_खूबसूरत_है_बशर्ते_हम_देखते_कैसे_है।।


गुरुवार, 27 अगस्त 2020

कांग्रेस_वर्तमान_और_भविष्य

कांग्रेस सिर्फ एक पार्टी ही नही बल्कि पूरे भारत को जोड़ने वाली एक माला है/थी।वर्तमान समय में भी इसकी नींव गाँव-गाँव तक अच्छी तरह से जमी हुई है,मगर इसकी शाखाओं में घुन तो इसके पत्तियां पीली पड़ रही है।

 हम ये नही भूल सकते है कि ये वही पार्टी है, जिसने भारत की आजादी में अहम भूमिका ही नही निभाई बल्कि जात-पात,धर्म-संप्रदाय, भाषा,खान-पान,रहन-सहन में बटे हुए भूखंड को जोड़ने में कामयाब हुआ।कांग्रेस की सबसे बड़ी सफलता यही है।

जिसे आजतक जाने-अनजाने में भुनाया जा रहा है।यंहा तक कि पंडित जवाहरलाल अगर लगातार 3 बार प्रधानमंत्री बने तो कांग्रेस के नाम पे ही।लोग उस समय नेहरू जी को नही बल्कि कांग्रेस को वोट देते थे,वर्तमान में भी कुछ हद तक यही है।।


मगर वर्तमान में कांग्रेस का हश्र दयनीय अवस्था मे है..।।

डर लगता है कि जिस तरह एक विदेशी #A_O_hume  ने 1885 में कांग्रेस के सृजन में अहम भूमिका निभाया, उसी तरह इसके विसर्जन में विदेश में जन्मी सोनिया गांधी का ही अहम योगदान न हो।।

कांग्रेस के कमजोर होने या अस्तित्वविहीन होने से सबसे ज्यादा डर भारतीय लोकतंत्र को है।क्योंकि बिना विपक्ष के लोकतंत्र हो ही नही सकता।।

आज कांग्रेस और कांग्रेस के नेता इतने कमजोर हो गए है कि वो कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र को ही बनाये रखने में सक्षम नही है।किसी भी नेताओं में इतनी शक्ति नही है कि वो खुलकर विरोध कर सके।।

आखिर क्यों..??

क्या कांग्रेस एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जंहा सिर्फ चेयरमैन और C.O  का ही सब कुछ चलेगा।।

कुछ दिन पहले 23 नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठियां लिखी थी मगर कोई खुलकर के विरोध नही कर सका। क्या कांग्रेस के किसी नेताओं में इतनी हिम्मत नही की वो परिवारवाद का विरोध कर सके।

मगर अफसोस राहुल गांधी के द्वारा पूछे गए सवाल,की आखिर चिट्ठियां क्यों लिखी गई..??

इस सवाल का जबाब देने के बजाय सब नेताओं ने अपना बचाव करना ही उचित समझा।।

 आज स्थिति ये है कि भारत की अधिकांश राजनीतिक पार्टी परिवारवाद में जकड़ी हुई है।जो सिर्फ एक पार्टी के लिए ही नही बल्कि पूरे लोकतांत्रिक देश के लिए खतरा है।

आशा है कि कांग्रेस स्थितयां को भांपते हुए भविष्य में अपने ऊपर लगे हुए परिवारवाद के थप्पे  को मिटाने की कोशिस करेगा।मगर उम्मीद कम ही है।

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

बाबासाहब क्या आप उन्हें जानते है..??

 


बाबा भीमराव अम्बेडकर नाम तो सुने ही होंगे..??
आप इन्हें किस रूप में जानते है..??
शायद भारत की बहुत बड़ी आबादी इन्हें संविधान निर्माता और दलित नेता के रूप में जानते है..।।
अगर आप भी इन्हें इसी रूप में जानते है तो समय आ गया है कि आप इनके बारे में पढ़े ही नही बल्कि इन्हें जानने की कोशिश करें...।।
●बाबा भीमराव अंबेडकर लेखक,अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ,कानूनविद,महिला सशक्तिकरण के हिमायती,मानव अधिकारों के हितैषी, प्रखर विद्वान और  बुद्धिस्ट थे।
●साथ ही बाबा भीमराव अंबेडकर से बड़ा राष्ट्रवादी नेता कोई नही था..।।
●वो भारत के विभाजन के सख्त विरोधी थे,उन्होंने कहा था अगर भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हो रहा है तो पूर्णतया हो सबों मुस्लिमों को पाकिस्तान भेज दिया जाय और हिंदुओं को पाकिस्तान भारत ले आया जाय नही तो ये समस्या बनी ही रहेगी।
● जब शेख अब्दुल्ला नेहरू के पास अनुच्छेद 370 और 35A कश्मीर में लागू करवाने के लिए आये थे तो उन्होंने अब्दुल्ला को अम्बेडकर के पास भेजा ।अम्बेडकर जी ने उनसे कहा कि आपको भारत से अलग संविधान चाहिए,अलग प्रधानमंत्री चाहिए,अलग तिरंगा चाहिए बदले में भारत को क्या मिलेगा..???
अब्दुल्ला ने कहा कश्मीर के पास देने के लिए कुछ नही है तो अम्बेडकर जी ने कहा था कि मैं ये घोर पाप नही करूंगा।।
●भीम राव अम्बेडकर का जन्म 14अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ।वो अपने माता पिता की 14वी संतान थे उनके जन्म के कुछ सालों के बाद ही उनकी माता का निधन हो गया।उनके भाई और उनके चाची का उनके लालन पालन में अहम योगदान था।
कुछ सालों के बाद वो महाराष्ट्र के सतारा आ गए जंहा उनके पिताजी ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत अच्छे ओहदे पर कार्यरत थे।मगर महार जाति होने के कारण इनकी उपेक्षा समाज में होता रहा।जिसका असर अम्बेडकर पर बचपन से ही पड़ रहा था।
●भीमराव अंबेडकर मुम्बई गवर्मेंट हाई स्कूल (एल्फिंस्टोन रोड)में पढ़ने वाले पहले दलित छात्र थे।भारत के किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने वाले वे पहले छात्र थे जो निचले तबके से आते थे।
●वो पढ़ने में इतने तेज थे कि उनसे प्रभावित होकर वडोदा के महाराज सायाजी गायकवाड़ ने कोलोंबिया यूनिवर्सिटी(अमेरिका) में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दिया जिससे उन्होंने वंहा-राजनीति शास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र में M.A किया।
●उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से P.hd किया।
●फिर उन्होंने कानून की पढ़ाई की।
●उन्होंने Problem of Rupees और The Evolution of Prevention Finance British India लिखा।
-इसी पुस्तक से प्रभावित होकर आगे RBI की स्थापना किया गया।
●वो अपनी पढ़ाई पूरा करने के बाद सतारा के महाराज  गायकवाड़ के यंहा मिलिट्री सेकेट्री की नॉकरी करने लगे मगर यंहा भी उनके साथ भेदभाव होने लगा चपरासी तक भी दूर से फ़ाइल फेक कर देने लगे जिस कारण यंहा नॉकरी करना उनके लिए दूभर हो गया।
और उन्होंने ये सारी बात गायकवाड़ महाराज को बताई।
गायकवाड़ महाराज ने उनसे कहा ये इतनी पुरानी बेड़िया है कि इसे तोड़ना इतना आसान नही है,मगर तुम्हें देखकर लग रहा है कि एकदिन ये बेड़िया जरूर टूटेगी।।
गायकवाड़ महाराज ने कहा मैं हमेशा चारों और इसी तरह के लोगों से घिरा रहता हूं इसीलिए मैं तुम्हारी समस्या को समझ सकता हूँ।तुम अगर चाहो तो ये काम छोड़ कर इससे अच्छा काम कर सकते हो जिससे जनता का हित हो।
अम्बेडकर जी गायकवाड़ महाराज के यंहा काम छोड़ने के बाद पत्रकारिता,और प्रोफेसर के रूप में कार्य करने लगे।
उनसे छात्र तो प्रभावित थे मगर वंहा के अन्य प्रोफेसर इनसे दूरियां बनाये रखते थे जिस कारण इन्होंने पढ़ाना भी छोड़ दिया।और अपना पूरा ध्यान पत्रकारिता और लेखनी पर लगा दिया।
●उनका विवाह रमाबाई से हुआ था जिनसे उन्हें 5 सन्तान हुई मगर एक के बाद एक 4 संतान की मृत्यु हो गई,आगे चलकर उनकी पत्नी की भी मृत्यु सही इलाज न होने के कारण हो गई।
-भीमराव अंबेडकर को बाबासाहब बनाने में रमाबाई का अहम योगदान था,जब अम्बेडकर जी P.Hd कर रहे थे तब रमाबाई ने घर-घर काम करके उन्हें पैसा भेजा करती थी।।
★उनके पत्रकारिता और लेखनी के कारण उनसे लोग जुड़ते गए।उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि उन्हें 1926 में मुम्बई विधानपरिषद के लिए चुना गया
★उन्होंने 1927 में पहली बार सत्याग्रह किया समाज के उनलोगों के लिए जिन्हें स्वछ कुएं, तालाब से पानी पीने और लेने का अधिकार नही था।इन लोगों को मंदिर में प्रवेश तक का अधिकार नही था।यंहा तक कि दलित महिलाओं को पूरा अंग ढकने तक का अधिकार नही था।इस सत्याग्रह आंदोलन ने समाज में बदलाव की नींव रखी।।
1930 में उन्होंने शोषित वर्ग का सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भारत के अनेक धर्म-संप्रदाय से जुड़े बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए जो समाज के इन पिछड़े तबके के जिंदगी में बदलाव लाना चाहते थे।
1932 में पूना पेक्ट हुआ जो अम्बेडकर जी नही चाहते थे मगर वो गांधीजी का मृत्यु का कारण नही बनना चाहते थे।इस समझौता से फायदा हुआ कि अस्पृश्य कहे जाने वालों के लिए कुछ शीट आरक्षित कर दिया गया।इसी समझौता के बाद गाँधीजी ने हरिजन शब्द का इस्तेमाल किया।।
★1947 में नेहरू के कैबिनेट में अम्बेडकर का नाम नही था मगर गांधी जी के कहने पे शामिल किया गया।
-वो देश के पहले कानून मंत्री बने
●वो साम्प्रदायिक राजनीति के घोर आलोचक थे
1951 में उन्होंने हिन्दू कोड बिल(संपत्ति का अधिकार,तीन तलाक इत्यादि )लाया मगर पास नही हो पाया जिस कारण उन्होंने कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया।।
●उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया।
●6 दिसंबर 1957 को इनकी मृत्यु हो गई।
इन्होंने एक भारत की कल्पना की थी,इन्होंने संविधान लिखते वक्त हरेक तबका के लोगों का ध्यान रखा।।
मगर अफसोस हमारे नेताओं ने उन्हें अपने वोट के कारण उन्हें एक ढांचे में ढालकर उनके योगदानों को भुला दिया।।
ये सिर्फ अफसोस ही नही बल्कि शर्म की भी बात है।।
उन्होंने देश को वो दिया जिसके बारे में हमें जानकारी नही है-
RBI की स्थापना में अहम योगदान
•संविधान निर्माता के रूप में अहम योगदान
•हिन्दू कोड बिल(महिलाओं का संपत्ति का अधिकार दिलाने में अहम योगदान,तीन तलाक प्रथा हटाने का प्रयास)
•मजदूर हितेषी(मजदूरों के कार्य को 14 घंटे से 8 घंटे करवाने में अहम योगदान)
•एटॉमिक एनर्जी के रूप में भारत को सुदृढ बनाने के लिए कदम उठाया ।
•दामोदर,हीराकुंड बांध के निर्माण में अहम योगदान एवम कई नदी परियोजना में अहम भूमिका निभाया उन्होंने।।
इन्होंने एक भारत की कल्पना की थी।
इन्होंने संविधान लिखते वक्त हरेक तबके के लोगों का ध्यान रखा।
मगर हमने क्या किया..??
उन्हें दलित नेता बना दिया,जो वो कभी बनना नही चाहते थे।
हमसे आरक्षण के नाम पर कुछ राजनेता उन्हें गाली दिलवा रहे है।
आज समय आ गया कि हम फिर से अम्बेडकर को जाने और पढ़े...।।

" शिक्षा वो शेरनी का दूध है,जिसने पिया उसने दहाड़ा है"
इस शब्द को उन्होंने सिर्फ कहा ही नही,बल्कि चरितार्थ करके दिखाया भी...।।

गुरुवार, 26 मार्च 2020

ये 21 दिन फिर नही मिलेंगे


इस 21 दिन का सही से सदुपयोग करें,
जिससे आप आनेवाली पीढ़ियों को
 बड़े फक्र के साथ
 कोरोना और अपने द्वारा इस्तेमाल किये गए समय के बारे में
 बता सकें।।

इस 21 दिन मैं कुछ ऐसा करें कि
 ये 21 दिन आपके जीवन का सबसे अहम दिन बन जाये,
 जो आपके जिंदगी में बदलाव का सबसे बड़ा कारण हो।।
और जब आप आनेवाले समय में पीछे देखें तो कोरोना वायरस और इस 21 दिन का आभार प्रकट करें।।

●अगर आप छात्र है तो आप उन सब किताबों को पढ़ कर रिकॉर्ड बना ले जिस पर धूल जम गई हो।
●अगर आप उद्यमी हो तो ऐसे ढेर सारे विचारों पर काम करें जिसे आप भविष्य में परिणत करना चाह रहे हो।
●अगर आप कोई भी प्रोफेशन में हो तो आप इस बात पर गौर करें कि,आपकी पहुंच आपके टीम में,लोगों के बीच में किस हद तक है।अगर लोगों के बीच में आपकी मौजूदगी कम है,तो क्यों है,अगर ज्यादा है तो इसे और कैसे बढ़ाया जाय।इन सब बातों पे काम करें।।
●अगर आप कोई आम व्यक्ति है,जिसमें ढेर सारी संभावना छुपी हुई है।मगर खुद को पता ही नही है,तो अपने आप से ये सवाल जरूर पूछें कि मेरे जिंदगी का मकसद क्या है..??
सोचिए बदलाव आएंगे ही..।।क्योंकि 21 दिन अब 20 दिन काफी होते है।।

●हमें अपनी भौतिक ऊर्जा(शरीर),मानसिक ऊर्जा(मष्तिष्क) और आध्यात्मिक ऊर्जा(मन) पे कार्य करना चाहिए।।
जरा सोचिए आप कितना समय निकाल पाते है,अपने शरीर,मष्तिष्क और मन के लिए।।
हम अभी भी घर में है,मगर क्या हमारा शरीर,मष्तिष्क और मन शांत है।।
जरा सोचिए आपके पास ढेर सारा समय है।।

●अगर हो सके तो कुछ पल के लिए इस शरीर को मोबाइल,T.V, से अलग कर लें क्योंकि हम अभी भी घर में है,मगर घरवालों के साथ नही...।।
कोई सदस्य realme के साथ तो कोई samsung के साथ तो कोई,iphone के साथ और जो बचे है वो tv के साथ समय गुजार रहे है।।
हम एकसाथ रहकर भी एक साथ नही है,क्योंकि ये मोबाइल,इंटरनेट और TV ने परिवारों के बीच में गहरी खाई खोद दी है।।
अभी भी समय है , 20 दिन अपने परिवार वालों के साथ भरपूर समय बिताए।।
क्योंकि ऐसा क्षण शताब्दी में एक बार ही आता है,
इसलिए इस क्षण का पूरा फायदा उठाये।।

क्योंकि आनेवाली पीढियां जब आपसे पूछेगी कि,
आपने उन 21 दिन में क्या किया तो..आप बताते हुए गौरवान्वित महसूस करना चाहेंगे या फिर जबाब देने से कतराना चाहेंगे।निर्णय आपको करना है।।

ये 21 दिन फिर नही मिलेंगे...।।

बुधवार, 25 मार्च 2020

त्याग और महानता

#त्याग

हम भारतीयों के लिए जितना महत्व त्याग का है उतना महत्व किसी चीज का नही है।।
हमें बचपन से ही त्याग की भावना को जागृत करना सिखाया जाता है,अपने सामान को एक-दूसरे के साथ बांटना सिखाया जाता है।किसी जरूरत मंद व्यक्ति को मदद करना सिखाया जाता है।।

हम भारतीय इतिहास को अगर पलटे तो पाएंगे कि हमारे लिए आदर्श वही है,जिन्होंने अपना सर्वस्व त्याग दिया है या फिर उनके अंदर त्याग की भावना हो।।

आइये हम कुछ उन बिंदुओं पे ध्यान देते है,जिस कारण कुछ लोग हमारे मानस पटल पर छाए हुए है।।


◆#मर्यादापुरुषोत्तम_राम को ही लीजिए आखिर वो हम भारतीयों के मानस पटल पे क्यों छाए हुए है इसका एक ही कारण है।
और वो है त्याग।
उनकी महत्वता इसलिय नही है कि उन्होंने रावण को मारा,बल्कि उनकी महत्वता इसलिय है कि उन्होंने पिता के वचन पूरे करने के लिए पूरे साम्राज्य का त्याग किया।।

◆राम की बात हो और #हनुमान छूट जाए ऐसा हो सकता है क्या..??
भारत में राम से ज्यादा हनुमान पूजे जाते है,क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व राम प्रभु के चरणों में त्याग दिया है।
हनुमानजी से बड़ा त्यागी आपको कोई नही मिलेगा क्योंकि उन्होंने अपना हर सांस को राम प्रभु को समर्पण कर दिया है।।


◆अब हम #कृष्ण की बात करते है,कृष्ण की महत्वता इसलिए नही है कि वो जेल में पैदा हुए या फिर उन्होंने कंस को मारा।
 -उनकी महत्वता इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन के लिए अपने प्रेम को त्यागा,अपने नंदगाव और उन माँ-बाप को त्यागा जिनके नजर से वो एकपल के लिए भी ओझल नही हो सकते थे।
- उनकी महत्वता इसलिए है कि उन्होंने महाभारत युद्ध के समय कौरवों को अपनी नारायणी सेना दे दी,और अर्जुन के सारथी बन गए।।
ये उनका त्याग ही तो था जो आज हमें उन्हें पूजने पे विवश करता है।।

  ●महाभारत की बात हो और #कर्ण का नाम छूट जाए ऐसा हो सकता है क्या..।
 महाभारत युद्ध में अगर सबसे कठिन परिस्थिति अगर किसी के लिए था तो वो कर्ण के लिए ही था।उनसे सब कुछ ले लिए गया,और उन्होंने सब कुछ स्वेच्छा से दे दिया।
उन्होंने अपने मित्रता कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया।।
महाभारत युद्ध में कृष्ण के नजर में अगर सब से सम्मानित व्यक्ति अगर कोई था तो वो कर्ण ही था।।


◆#महात्म_बुद्ध जिनकी छवि देखकर हमारा मन करुणा से भर जाता है आखिर क्यों..??
वो त्याग ही तो है जिन्होंने सिद्धार्थ को महात्मा बुद्ध बना दिया।।


◆जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर महावीर जिन्हें देखकर मन में अहिंसा का भाव जागता है,आखिर क्यों..??
वो त्याग ही तो था जो वर्द्धमान को महावीर बनाता है।।


◆ चाणक्य नाम तो सुने ही होंगे क्योंकि उन्होंने मगध साम्राज्य में एक महान साम्राज्य की स्थापना किया और चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री बने।।
महर्षि चाणक्य जिन्होंने पहली बार अखंड भारत का सपना देखा और उसे पूरा किया।।
-चाणक्य का नाम लेते ही आखिर क्यों उनकी छवि हमारे सामने आ जाती है तो इसका एक ही कारण है और वो है उनका त्याग।।


◆अशोक नाम तो सुने ही होंगे,जिन्होंने पहली बार अपने प्रजा को संतान कहकर संबोधित किया।
कलिंग युद्ध के बाद उन्होंने युद्ध को त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया और ढेर सारे कल्याणकारी कार्य किये और धम्म को पूरे एशिया में फैलाया।।
ये उनका त्याग ही था जिसने उन्हें महान सम्राट बनाया।।


◆शंकराचार्य जिन्होंने एक भारत को सशक्त भारत बनाया,उन्होंने पूरे भारतवर्ष को धर्म के माध्यम से एक ड़ोर में बांध दिया भारत के चारों दिशा में चार मठ की स्थापना कर।।
-उन्होंने 12 वर्ष की आयु में ही घर त्याग कर संन्यास अपनाया।और पुरे भारत को अद्वेतवाद का पाठ पढ़ाया।
आखिर वो ऐसा क्यों कर पाए..??
 क्योंकि उनका त्याग ही उन्हें इस और लाया,और भारत फिर से अपनी खो रही सभ्यता को पुनर्जीवित करने में सफल हो पाया।।


◆कबीर इनके बारे में क्या कहा जाय दुष्टों के बीच में रहकर दुष्टों का विरोध करना कोई आसान काम नही है।
कबीर के समकालीन शासक सिकंदर लोदी को खुली चुनौती देना कोई आसान काम नही था।
हिन्दू-मुस्लिमों में फैली कुरीतियों पे कुठाराघात करना वो भी उस समय जिस समय समाज पूर्णतया रुढिता से जकड़ा हुआ था।।
ऐसा वो कैसे कर पा रहें थे..??
क्योंकि उनके अंदर त्याग की भावना थी,जिसने उन्हें उस ऊंचाई तक ले गया जंहा से सब निरीह नजर आता था।।


◆स्वामी विवेकानंद नाम लेते ही चेहरे का वो तेज झलकने लगता है,जिसे न जाने कितने युवाओं ने आत्मसात कर लिया है।
युवाओं के आदर्श वो कैसे बने..??
क्योंकि उन्होंने त्याग भाव को अपनाया जिस कारण उनके मन में मानव कल्याण की भावनाओं का भाव उत्पन्न हुआ।।
उन्होंने हम सोए हुए भारतीय को झकझोरा और अपने अंतर्मन में झांकने को कहा,अपनी खोई हुई सभ्यता,संस्कृति को फिर से स्मरण करने को कहा।।
-उन्होंने सनातन संस्कृति को पूरे विश्व में वो सम्मान दिलाया जिसके लिए ये काबिल था।।
आखिर वो सब ऐसा कैसे कर पाए तो इसका एक ही कारण है,और वो है त्याग ।।
-"त्याग हमें कमजोर नही और बलवती बनाता है,
  हम जितना त्यागेंगे उतना बलवती बनेंगे।


◆महात्मा गांधी नाम लेते ही सामने में छवि उभर आती है,आखिर क्यों...??
वो इसलिय की उन्होंने देश को आजाद कराया तो ऐसा बिल्कुल नही है,देश के आज़ाद कराने में उनके योगदान के साथ अनेको का योगदान है तो आखिर क्यों गांधी जी हम भारतीय के मानसपटल पे छा गए तो इसका एक ही कारण है वो उनका त्याग है।।
-उनका त्याग लाखों भारतीयों को अपनापन का अहसास दिलाता था,इसीलिए तो वो गांधी से महात्मा बन गए।।


◆ऐ.पी.जे.अब्दुल कलाम नाम लेते ही वो मुस्कान याद आ जाती है,जिसके कायल लाखों युवा है।।
आखिर उनमें ऐसी कौन सी चीज़ थी जिस कारण उनकी छवि युवाओं के बीच में लोकप्रिय थी,
तो वो उनका त्याग ही तो था।
यंहा तक कि अपना नाम,धर्म सब कुछ उन्होंने त्याग दिया,उनके लिए ये सब तुच्छ चीज़ था इसी कारण तो वो जन-वैज्ञानिक से जन-नेता बन गए।
जो राष्ट्रपति सिर्फ राष्ट्र का राष्ट्रपति होता था उसे उन्होंने जन का राष्ट्रपति बना दिया।।


◆ऐसे हज़ारों नाम है जो भारत को गौरवान्वित करता है।भारत की संस्कृति-सभ्यता को मजबूत बनाता है।
भारत को अन्य राष्ट्रों के समूह में एक अलग पहचान दिलाता है।।
-वो इसलिए संभव हो पाया कि हम भारतीयों के अंदर त्याग की भावना है।
-ये भावना हमें सीखना नही पड़ता बल्कि आनुवांशिक रूप से ही ये हममें आ जाता है।
 मगर वर्तमान में ये भावना हमसे दूर होती जा रही है,छोटी-छोटी चीज़ों के कारण हम आपस में झगड़ पड़ते है।।
आखिर क्यों..??
क्योंकि हम अपनी संस्कृति-सभ्यता को भूल रहें है।।


●पता है नरेंद्र मोदी इतने लोकप्रिय क्यों है,क्योंकि उनके अंदर हमारी संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिलती है।
-उनके अंदर वो त्याग भाव नजर आता है,जिसके कारण हम यू ही उनके और खींचे चले आते है।।


●आज पूरा विश्व कोरोना वायरस से ग्रस्त है,हम भी अछूते नही है,इसलिए तो घर में है।
मगर हम उतने घबराये हुए नही है,क्योंकि हमारे अंदर कंही-न-कंही त्याग का भावना छुपा हुआ है,जिस कारण वो हमें मजबूती से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है।।

मंगलवार, 24 मार्च 2020

प्रकृति और हम

गली में कुत्ते घूम रहे है,
वो हमें ढूंढ रहें है।
पेड़ों पे चिड़िया चहक रही है,
और पूछ रही है...
कंहा गए वो जिन्हें अपने पे मान था,अभिमान था।
नदियों और समुंद्र में मछलियां तैर रही है,
और पलकें उठा के उन आलीशान जहाज को ढूंढ रही है,
जिन्होंने उनका जीवन दुस्वार कर दिया..।।

हवा आज मंद-मंद बह रही है,
नदियां आज कल-कल बह रही है,
समुंद्र आज हिलोरें अपने अनुसार ले रहा है,
पंक्षियाँ आज खुले आसमां में चहचहा रही है,
जंगलों में जानवर आज स्वछंद घूम रहें है,
नदियों और समुंद्र में मछलियां आज स्वंतंत्र तैर रही है।।
क्योंकि आज हम घर में है...।।

जब मन शांत हो,
तो सोचे और खुद से पूछे कि हम मानवों ने,
अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर रह रहें जीव को कितना नुकसान पहुँचाया और पहुंचा रहें है।।
हम अपने अस्त्तित्व बचाने के लिए आज घर में है,
मगर उनका क्या जिनका हमनें घर ही उजाड़ दिया था/है।।

हम मानवों ने अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर रह रहें सारे जीव को खतरे में डाल दिया है,
आज एक ऐसे वायरस से डरे-सहमें है,जिन्हें हम नंगी आंखों से देख तक नही सकते।।
प्रकृति को चुनौती देने वाले आज कंहा है..??
उसके बनाये सिर्फ एक ऐसे वायरस से पूरा मानव समुदाय खतरे में आन पड़ा है।
जिसे नग्न आंख से देखा तक नही जा सकता..।।
एक साधारण मानव कल्पना नही कर सकता कि कोरोना वायरस कितना छोटा है..इतना छोटा की सुई के नोख पे हज़ारों लाखों बैठ सकते है।।।
आज सारा मानव डरा हुआ है,क्योंकि हमने पृथ्वी पर रह रहें किसी जीव-जंतु को चैन से रहने नही दिया और दे रहे है।
चाहे वो आसमान हो,स्थल हो,जल हो,यंहा तक कि अब अंतरिक्ष तक मे भी कचरा फैलाना शुरू कर दिया है।।

एक कहावत है-जैसा करोगे,वैसा भरोगे।।

 हमारी सनातन संस्कृति,वेद-पुराण में प्रकृति के महत्व के बारे में बताया गया है,उन्होंने हरेक पेड़-पौधे,जीव-जंतुओं,पर्वत-पठार, नदी-तालाब में उस प्रकृति के मौजूदगी के बारे में बताया गया है।।
हम यू ही गंगा और गाय को माँ नही कहते,
हम यू ही पीपल और बरगद को नही पूजते।।
क्योंकि प्रकृति हर कण-कण में मौजूद है।।
आज हम पश्चिमी सभ्यता को आंख मूंद कर अपना रहें है,
उसकी दुष्परिणाम आज हमें वर्तमान में भुगतना पड़ रहा है।।

आज समय आ गया है कि हम फिर से अपने संस्कृति और सभ्यता को अपनाए।।
प्रकृति के साथ-साथ जीना सीखें।।