गुरुवार, 26 मार्च 2020

ये 21 दिन फिर नही मिलेंगे


इस 21 दिन का सही से सदुपयोग करें,
जिससे आप आनेवाली पीढ़ियों को
 बड़े फक्र के साथ
 कोरोना और अपने द्वारा इस्तेमाल किये गए समय के बारे में
 बता सकें।।

इस 21 दिन मैं कुछ ऐसा करें कि
 ये 21 दिन आपके जीवन का सबसे अहम दिन बन जाये,
 जो आपके जिंदगी में बदलाव का सबसे बड़ा कारण हो।।
और जब आप आनेवाले समय में पीछे देखें तो कोरोना वायरस और इस 21 दिन का आभार प्रकट करें।।

●अगर आप छात्र है तो आप उन सब किताबों को पढ़ कर रिकॉर्ड बना ले जिस पर धूल जम गई हो।
●अगर आप उद्यमी हो तो ऐसे ढेर सारे विचारों पर काम करें जिसे आप भविष्य में परिणत करना चाह रहे हो।
●अगर आप कोई भी प्रोफेशन में हो तो आप इस बात पर गौर करें कि,आपकी पहुंच आपके टीम में,लोगों के बीच में किस हद तक है।अगर लोगों के बीच में आपकी मौजूदगी कम है,तो क्यों है,अगर ज्यादा है तो इसे और कैसे बढ़ाया जाय।इन सब बातों पे काम करें।।
●अगर आप कोई आम व्यक्ति है,जिसमें ढेर सारी संभावना छुपी हुई है।मगर खुद को पता ही नही है,तो अपने आप से ये सवाल जरूर पूछें कि मेरे जिंदगी का मकसद क्या है..??
सोचिए बदलाव आएंगे ही..।।क्योंकि 21 दिन अब 20 दिन काफी होते है।।

●हमें अपनी भौतिक ऊर्जा(शरीर),मानसिक ऊर्जा(मष्तिष्क) और आध्यात्मिक ऊर्जा(मन) पे कार्य करना चाहिए।।
जरा सोचिए आप कितना समय निकाल पाते है,अपने शरीर,मष्तिष्क और मन के लिए।।
हम अभी भी घर में है,मगर क्या हमारा शरीर,मष्तिष्क और मन शांत है।।
जरा सोचिए आपके पास ढेर सारा समय है।।

●अगर हो सके तो कुछ पल के लिए इस शरीर को मोबाइल,T.V, से अलग कर लें क्योंकि हम अभी भी घर में है,मगर घरवालों के साथ नही...।।
कोई सदस्य realme के साथ तो कोई samsung के साथ तो कोई,iphone के साथ और जो बचे है वो tv के साथ समय गुजार रहे है।।
हम एकसाथ रहकर भी एक साथ नही है,क्योंकि ये मोबाइल,इंटरनेट और TV ने परिवारों के बीच में गहरी खाई खोद दी है।।
अभी भी समय है , 20 दिन अपने परिवार वालों के साथ भरपूर समय बिताए।।
क्योंकि ऐसा क्षण शताब्दी में एक बार ही आता है,
इसलिए इस क्षण का पूरा फायदा उठाये।।

क्योंकि आनेवाली पीढियां जब आपसे पूछेगी कि,
आपने उन 21 दिन में क्या किया तो..आप बताते हुए गौरवान्वित महसूस करना चाहेंगे या फिर जबाब देने से कतराना चाहेंगे।निर्णय आपको करना है।।

ये 21 दिन फिर नही मिलेंगे...।।

बुधवार, 25 मार्च 2020

त्याग और महानता

#त्याग

हम भारतीयों के लिए जितना महत्व त्याग का है उतना महत्व किसी चीज का नही है।।
हमें बचपन से ही त्याग की भावना को जागृत करना सिखाया जाता है,अपने सामान को एक-दूसरे के साथ बांटना सिखाया जाता है।किसी जरूरत मंद व्यक्ति को मदद करना सिखाया जाता है।।

हम भारतीय इतिहास को अगर पलटे तो पाएंगे कि हमारे लिए आदर्श वही है,जिन्होंने अपना सर्वस्व त्याग दिया है या फिर उनके अंदर त्याग की भावना हो।।

आइये हम कुछ उन बिंदुओं पे ध्यान देते है,जिस कारण कुछ लोग हमारे मानस पटल पर छाए हुए है।।


◆#मर्यादापुरुषोत्तम_राम को ही लीजिए आखिर वो हम भारतीयों के मानस पटल पे क्यों छाए हुए है इसका एक ही कारण है।
और वो है त्याग।
उनकी महत्वता इसलिय नही है कि उन्होंने रावण को मारा,बल्कि उनकी महत्वता इसलिय है कि उन्होंने पिता के वचन पूरे करने के लिए पूरे साम्राज्य का त्याग किया।।

◆राम की बात हो और #हनुमान छूट जाए ऐसा हो सकता है क्या..??
भारत में राम से ज्यादा हनुमान पूजे जाते है,क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व राम प्रभु के चरणों में त्याग दिया है।
हनुमानजी से बड़ा त्यागी आपको कोई नही मिलेगा क्योंकि उन्होंने अपना हर सांस को राम प्रभु को समर्पण कर दिया है।।


◆अब हम #कृष्ण की बात करते है,कृष्ण की महत्वता इसलिए नही है कि वो जेल में पैदा हुए या फिर उन्होंने कंस को मारा।
 -उनकी महत्वता इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन के लिए अपने प्रेम को त्यागा,अपने नंदगाव और उन माँ-बाप को त्यागा जिनके नजर से वो एकपल के लिए भी ओझल नही हो सकते थे।
- उनकी महत्वता इसलिए है कि उन्होंने महाभारत युद्ध के समय कौरवों को अपनी नारायणी सेना दे दी,और अर्जुन के सारथी बन गए।।
ये उनका त्याग ही तो था जो आज हमें उन्हें पूजने पे विवश करता है।।

  ●महाभारत की बात हो और #कर्ण का नाम छूट जाए ऐसा हो सकता है क्या..।
 महाभारत युद्ध में अगर सबसे कठिन परिस्थिति अगर किसी के लिए था तो वो कर्ण के लिए ही था।उनसे सब कुछ ले लिए गया,और उन्होंने सब कुछ स्वेच्छा से दे दिया।
उन्होंने अपने मित्रता कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया।।
महाभारत युद्ध में कृष्ण के नजर में अगर सब से सम्मानित व्यक्ति अगर कोई था तो वो कर्ण ही था।।


◆#महात्म_बुद्ध जिनकी छवि देखकर हमारा मन करुणा से भर जाता है आखिर क्यों..??
वो त्याग ही तो है जिन्होंने सिद्धार्थ को महात्मा बुद्ध बना दिया।।


◆जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर महावीर जिन्हें देखकर मन में अहिंसा का भाव जागता है,आखिर क्यों..??
वो त्याग ही तो था जो वर्द्धमान को महावीर बनाता है।।


◆ चाणक्य नाम तो सुने ही होंगे क्योंकि उन्होंने मगध साम्राज्य में एक महान साम्राज्य की स्थापना किया और चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री बने।।
महर्षि चाणक्य जिन्होंने पहली बार अखंड भारत का सपना देखा और उसे पूरा किया।।
-चाणक्य का नाम लेते ही आखिर क्यों उनकी छवि हमारे सामने आ जाती है तो इसका एक ही कारण है और वो है उनका त्याग।।


◆अशोक नाम तो सुने ही होंगे,जिन्होंने पहली बार अपने प्रजा को संतान कहकर संबोधित किया।
कलिंग युद्ध के बाद उन्होंने युद्ध को त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया और ढेर सारे कल्याणकारी कार्य किये और धम्म को पूरे एशिया में फैलाया।।
ये उनका त्याग ही था जिसने उन्हें महान सम्राट बनाया।।


◆शंकराचार्य जिन्होंने एक भारत को सशक्त भारत बनाया,उन्होंने पूरे भारतवर्ष को धर्म के माध्यम से एक ड़ोर में बांध दिया भारत के चारों दिशा में चार मठ की स्थापना कर।।
-उन्होंने 12 वर्ष की आयु में ही घर त्याग कर संन्यास अपनाया।और पुरे भारत को अद्वेतवाद का पाठ पढ़ाया।
आखिर वो ऐसा क्यों कर पाए..??
 क्योंकि उनका त्याग ही उन्हें इस और लाया,और भारत फिर से अपनी खो रही सभ्यता को पुनर्जीवित करने में सफल हो पाया।।


◆कबीर इनके बारे में क्या कहा जाय दुष्टों के बीच में रहकर दुष्टों का विरोध करना कोई आसान काम नही है।
कबीर के समकालीन शासक सिकंदर लोदी को खुली चुनौती देना कोई आसान काम नही था।
हिन्दू-मुस्लिमों में फैली कुरीतियों पे कुठाराघात करना वो भी उस समय जिस समय समाज पूर्णतया रुढिता से जकड़ा हुआ था।।
ऐसा वो कैसे कर पा रहें थे..??
क्योंकि उनके अंदर त्याग की भावना थी,जिसने उन्हें उस ऊंचाई तक ले गया जंहा से सब निरीह नजर आता था।।


◆स्वामी विवेकानंद नाम लेते ही चेहरे का वो तेज झलकने लगता है,जिसे न जाने कितने युवाओं ने आत्मसात कर लिया है।
युवाओं के आदर्श वो कैसे बने..??
क्योंकि उन्होंने त्याग भाव को अपनाया जिस कारण उनके मन में मानव कल्याण की भावनाओं का भाव उत्पन्न हुआ।।
उन्होंने हम सोए हुए भारतीय को झकझोरा और अपने अंतर्मन में झांकने को कहा,अपनी खोई हुई सभ्यता,संस्कृति को फिर से स्मरण करने को कहा।।
-उन्होंने सनातन संस्कृति को पूरे विश्व में वो सम्मान दिलाया जिसके लिए ये काबिल था।।
आखिर वो सब ऐसा कैसे कर पाए तो इसका एक ही कारण है,और वो है त्याग ।।
-"त्याग हमें कमजोर नही और बलवती बनाता है,
  हम जितना त्यागेंगे उतना बलवती बनेंगे।


◆महात्मा गांधी नाम लेते ही सामने में छवि उभर आती है,आखिर क्यों...??
वो इसलिय की उन्होंने देश को आजाद कराया तो ऐसा बिल्कुल नही है,देश के आज़ाद कराने में उनके योगदान के साथ अनेको का योगदान है तो आखिर क्यों गांधी जी हम भारतीय के मानसपटल पे छा गए तो इसका एक ही कारण है वो उनका त्याग है।।
-उनका त्याग लाखों भारतीयों को अपनापन का अहसास दिलाता था,इसीलिए तो वो गांधी से महात्मा बन गए।।


◆ऐ.पी.जे.अब्दुल कलाम नाम लेते ही वो मुस्कान याद आ जाती है,जिसके कायल लाखों युवा है।।
आखिर उनमें ऐसी कौन सी चीज़ थी जिस कारण उनकी छवि युवाओं के बीच में लोकप्रिय थी,
तो वो उनका त्याग ही तो था।
यंहा तक कि अपना नाम,धर्म सब कुछ उन्होंने त्याग दिया,उनके लिए ये सब तुच्छ चीज़ था इसी कारण तो वो जन-वैज्ञानिक से जन-नेता बन गए।
जो राष्ट्रपति सिर्फ राष्ट्र का राष्ट्रपति होता था उसे उन्होंने जन का राष्ट्रपति बना दिया।।


◆ऐसे हज़ारों नाम है जो भारत को गौरवान्वित करता है।भारत की संस्कृति-सभ्यता को मजबूत बनाता है।
भारत को अन्य राष्ट्रों के समूह में एक अलग पहचान दिलाता है।।
-वो इसलिए संभव हो पाया कि हम भारतीयों के अंदर त्याग की भावना है।
-ये भावना हमें सीखना नही पड़ता बल्कि आनुवांशिक रूप से ही ये हममें आ जाता है।
 मगर वर्तमान में ये भावना हमसे दूर होती जा रही है,छोटी-छोटी चीज़ों के कारण हम आपस में झगड़ पड़ते है।।
आखिर क्यों..??
क्योंकि हम अपनी संस्कृति-सभ्यता को भूल रहें है।।


●पता है नरेंद्र मोदी इतने लोकप्रिय क्यों है,क्योंकि उनके अंदर हमारी संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिलती है।
-उनके अंदर वो त्याग भाव नजर आता है,जिसके कारण हम यू ही उनके और खींचे चले आते है।।


●आज पूरा विश्व कोरोना वायरस से ग्रस्त है,हम भी अछूते नही है,इसलिए तो घर में है।
मगर हम उतने घबराये हुए नही है,क्योंकि हमारे अंदर कंही-न-कंही त्याग का भावना छुपा हुआ है,जिस कारण वो हमें मजबूती से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है।।

मंगलवार, 24 मार्च 2020

प्रकृति और हम

गली में कुत्ते घूम रहे है,
वो हमें ढूंढ रहें है।
पेड़ों पे चिड़िया चहक रही है,
और पूछ रही है...
कंहा गए वो जिन्हें अपने पे मान था,अभिमान था।
नदियों और समुंद्र में मछलियां तैर रही है,
और पलकें उठा के उन आलीशान जहाज को ढूंढ रही है,
जिन्होंने उनका जीवन दुस्वार कर दिया..।।

हवा आज मंद-मंद बह रही है,
नदियां आज कल-कल बह रही है,
समुंद्र आज हिलोरें अपने अनुसार ले रहा है,
पंक्षियाँ आज खुले आसमां में चहचहा रही है,
जंगलों में जानवर आज स्वछंद घूम रहें है,
नदियों और समुंद्र में मछलियां आज स्वंतंत्र तैर रही है।।
क्योंकि आज हम घर में है...।।

जब मन शांत हो,
तो सोचे और खुद से पूछे कि हम मानवों ने,
अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर रह रहें जीव को कितना नुकसान पहुँचाया और पहुंचा रहें है।।
हम अपने अस्त्तित्व बचाने के लिए आज घर में है,
मगर उनका क्या जिनका हमनें घर ही उजाड़ दिया था/है।।

हम मानवों ने अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर रह रहें सारे जीव को खतरे में डाल दिया है,
आज एक ऐसे वायरस से डरे-सहमें है,जिन्हें हम नंगी आंखों से देख तक नही सकते।।
प्रकृति को चुनौती देने वाले आज कंहा है..??
उसके बनाये सिर्फ एक ऐसे वायरस से पूरा मानव समुदाय खतरे में आन पड़ा है।
जिसे नग्न आंख से देखा तक नही जा सकता..।।
एक साधारण मानव कल्पना नही कर सकता कि कोरोना वायरस कितना छोटा है..इतना छोटा की सुई के नोख पे हज़ारों लाखों बैठ सकते है।।।
आज सारा मानव डरा हुआ है,क्योंकि हमने पृथ्वी पर रह रहें किसी जीव-जंतु को चैन से रहने नही दिया और दे रहे है।
चाहे वो आसमान हो,स्थल हो,जल हो,यंहा तक कि अब अंतरिक्ष तक मे भी कचरा फैलाना शुरू कर दिया है।।

एक कहावत है-जैसा करोगे,वैसा भरोगे।।

 हमारी सनातन संस्कृति,वेद-पुराण में प्रकृति के महत्व के बारे में बताया गया है,उन्होंने हरेक पेड़-पौधे,जीव-जंतुओं,पर्वत-पठार, नदी-तालाब में उस प्रकृति के मौजूदगी के बारे में बताया गया है।।
हम यू ही गंगा और गाय को माँ नही कहते,
हम यू ही पीपल और बरगद को नही पूजते।।
क्योंकि प्रकृति हर कण-कण में मौजूद है।।
आज हम पश्चिमी सभ्यता को आंख मूंद कर अपना रहें है,
उसकी दुष्परिणाम आज हमें वर्तमान में भुगतना पड़ रहा है।।

आज समय आ गया है कि हम फिर से अपने संस्कृति और सभ्यता को अपनाए।।
प्रकृति के साथ-साथ जीना सीखें।।