शनिवार, 31 दिसंबर 2022

2022 क्या पाया क्या खोया..

 2022 क्या खोया क्या पाया..

आज साल का आखरी दिन है..



कितने लोग कितने दिन पहले, या फिर आज इस दिन को खास बनाने के लिए कुछ करेंगे या कर रहें होंगे..।।

आप क्या कीजियेगा..??

जो करना है वो कीजियेगा..।।

मगर 5 मिनट.. 

अपने लिए और सिर्फ अपने लिए जरूर निकालिएगा..

आंखे बंद कीजियेगा..

और सोचिएगा इस एक साल मैं , 

मैंने क्या पाया और क्या खोया..??

चलिए पहले आँखें बंद कीजिए और लंबी गहरी सांस लीजिए,और सोचिए...


अगर 2022 में कुछ पाया तो क्या पाया,और क्यों पाया..??

इस क्यों का जबाब जरूर ढूंढिये..

अगर इस क्यों का जबाब मिल गया तो आने वाले सालों में आप और बेहतर कुछ पा सकते है..।।


अगर कुछ खोया.. तो क्यों खोया..??

क्या आपमें कुछ कमियां थी,या फिर कोई और कारण था..।।

इसका जबाब जरूर ढूंढिये.. 

मगर ईमानदारी से..।।

औरों के लिए ईमानदार बनना बहुत आसान है,

मगर खुद के लिए ईमानदार बनना बहुत कठिन है..।।


असफलता बुरी चीज नही है..

मगर अपनी असफलता से न सीखना बहुत बुरी चीज है..।


2022 के बीतते हुए आखरी लम्हों के साथ अपनी सारी कमियों की पोटरी भी बांध दे..।क्योंकि जो चला जाता है,वो फिर नही आता है..।।

क्या आप में है हिम्मत...?? अगर है,तो हो जाइए तैयार...

अपनी कमियों की पोटरी 2022 के साथ बांधने के लिए..।।

और आने वाले कल के लिए हो जाइए तैयार.. 

कुछ नया और कुछ खास पोटरी को आजीवन ढोने के लिए..

जो आपके लिए बोझ नही, बल्कि आपका सहारा बने,

और आपके जिंदगी को बेहतर से बेहतर बनाये..।।


आने वाला वर्ष सिर्फ आपके लिए ही नही,

बल्कि आपके चाहनेवाले को लिए सुनहरा हो..।।

नव-वर्ष की अग्रिम शुभकामना..💐💐

प्रधानमंत्री मोदी आज के कर्मयोगी

 प्रधानमंत्री मोदी आज के कर्मयोगी

ये सब को पता है कि आज प्रधानमंत्री जी के माँ का देहांत हो गया..



उसके बाद क्या हुआ..??

शायद सब को न पता हो,मगर अधिकांश लोगों को पता होगा,क्योंकि मीडिया और सोशल मीडिया में बखूबी दिखाया गया..।।

मगर मोदीजी जो संदेश देना चाह रहें थे, वो संदेश क्या हम तक पहुंच पाया..।।

अगर हां तो आपने वो सीख लिया, 

जिसे अर्जुन ने युद्धभूमि में श्रीकृष्ण से सीखा था..।।

कृष्ण के पूरे गीता का एक ही सार है..

की कर्मयोगी बनो.. भले परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हो अपने कर्तव्य पथ से विचलित नही होना है।

आज प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को यही संदेश दिया..।।

वो माँ के वियोग में विचलित नही हुए होंगे,ऐसा हो ही नही सकता।क्योंकि जिस माँ ने उन्हें नरेंद्र से नरेंद्र मोदी बनाया आज वो उनसे दूर चली गई ..।। ये वास्तविकता है,और इसे बदला नही जा सकता..।।

मगर जो बदला जा सकता है, उसके लिए कुछ किया जा सकता है,प्रधानमंत्री ने वही किया।

माँ के अंतिम संस्कार के बाद वो अपने कर्त्तव्य पथ पर लौट आये

और हावड़ा से जलपाईगुड़ी के लिए वंदे भारत ट्रैन को हरी झंडी दिखाया..।।



और उन्होंने देरी के लिए माफ़ी मांगी..।

वो चाहते तो इस कार्यक्रम को कल के ऊपर टाल सकते थे,या फिर किसी और मंत्री को भी भेज सकते थे।

मगर नही,जो जबाबदेही उन्होंने लिया है,उसे वो ही निभा रहे थे..।।

मगर वर्तमान में हम युवाओं की दशा बहुत ही दयनीय है..

आपको ये जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि पूरे विश्व मे सर्वाधिक युवा भारत मे ही आत्महत्या करते है..।।

ये उस भारत का हाल है जंहा आत्महत्या को पाप माना जाता है..।।


हम प्रधानमंत्री से आज के घटना से बहुत कुछ सीख सकते है..।।

वो बिना कुछ कहें ही संदेश दे रहे है कि हमें कर्मयोगी होना चाहिए..।

हालात कैसे भी क्यों न हो, हमें अपने कार्य को प्रमुखता देना चाहिए..।

आप की परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो,अगर आपके कारण कुछ भी इधर-उधर हुआ हो तो क्षमा मांगने में हिचकिचाना नही चाहिए।।

निर्णय हमें ही करना है.. 

कर्मयोगी बनना है,या फिर भोगी बनना है..??

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

रामानुजन.. क्या आप इन्हें जानते है..??

 रामानुजन.. क्या आप इन्हें जानते है..??

जरा सोचिए... अगर हां, तो कितना जानते है..?? और क्या जानते है..। 

अगर नही,तो क्यों नही जानते ...??



रामानुजन एक आम इंसान नही थे या है..?? क्योंकि ऐसे लोग हमेशा जीवंत रहते है,आप भले भूल जाये मगर इतिहास आपको भूलने नही देगा..। 

रामानुजन ने खुद को ही खास नही बनाया,बल्कि अंग्रेज के बेड़ियों से जकड़े हुए भारत को, कृष्ण की तरह भारत का एक विराट छवि का आभास अंग्रेजों को कराया..।।

मैं उस रामानुजन की बात कर रहा हूँ, जिनके जन्म दिवस पर भारत सरकार गणित दिवस मनाती है..।। मगर अफसोस भारत की 50% से ज्यादा आबादी को ये नही पता कि हम गणित दिवस क्यों मनाते है..??

जबकि आज हमारे पास जानने के अनेक माध्यम है..।मगर हमें जानने की इच्छा ही नही है.. आखिर क्यों..??

ये क्यों का जबाब जरूर अपने अंदर सोचिएगा.. क्योंकि क्यों आपको सोचने वाला इंसान बनायेगा।।

चलिए हम उस रामानुजन को जानते है,जो आज भी गणितज्ञों के लिए पहेली बना हुआ है..।।

रामानुजन का जन्म मद्रास के इरोड़ में एक तमिल गरीब ब्राह्मण परिवार में 22 दिसंबर 1887 को हुआ। इनके पिता के श्री निवास साड़ी के दुकान में क्लर्क का काम करते थे। और माँ गृहणि थी और भक्ति भजन करती थी।

1892 में नजदीक के स्कूल में नामांकन हुआ मगर 5वी तक पढ़ाई में कोई रुचि नही था,बल्कि इनके ऊपर नजर रखा जाता था कि ये स्कूल से भाग न जाये।

जब ये माध्यमिक स्कूल में गए तब इनकी मैथ में रुचि बहुत बढ़ गई।रुचि इतनी बढ़ने लगी कि इन्हें स्कॉलरशिप भी मिलना शुरू हुआ।

मगर 11थ मैं इनकी रुचि मैथ में ज्यादा होने के कारण ये फैल हो गए और इनसे स्कॉलशिप भी छिन गया ।

इसी बीच इनकी शादी 1909 में जानकी से हो गया..।जिसने हमेशा इनका साथ दिया।

1910 में ये रामास्वामी अय्यर से मिलें जो "इंडियन मैथमैटिसियन सोसाइटी" के संस्थापक थे। इन्होंने अपना थ्योरम इन्हें दिखाया,जो इनसे बहुत प्रभावित हुए ।।

1912 में रेवेन्यू डिपार्टमेंट में क्लर्क की नॉकरी 20₹ प्रतिमाह पे किया। यही से उन्होंने G.H.Hardi(उस समय के महान गणितज्ञ) को अपना थ्योरम पत्र के माध्यम से भेजना शुरू किया।

1913 में G.H.Hardi ने रामानुजन को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी लाने के लिए J.E.Littlewood को भारत भेजा..।। 

इस समय समुन्द्र यात्रा भारतियों के लिए अच्छा नही माना जाता था,लोग जब विरोध करने लगे तो इन्होंने कहा कि मैं अपने कुल माता नामगिरी से पूछुंगा। उन्हें अपनी कुलदेवी से हां में जबाब मिला।और वो कैम्ब्रिज के लिए निकल गए। जब ये आ रहे थे तब पत्नी ने इनसे कहा कि मैं भी चलूंगी तो इन्होंने मना कर दिया,क्योंकि वंहा में कंहा और कैसे रहूंगा इसका कोई ठिकाना नही है।

रामानुजन शाकाहारी थे जिस कारण ब्रिटेन में अच्छा खाना मिल नही पाता था,जिस कारण इनकी तबियत गिरने लगी,ज्यों-ज्यों शरीर कमजोर हो रहा था, त्यों-त्यों ये मैथ की ऊंचाइयों पे पहुंच रहे थे।

-6 दिसम्बर 1917 में ये "लंदन मैथेमेटिक्स सोसाइटी" के सदस्य चुने गए।

-1918 में "रॉयल सोसायटी" के लिए इनका चयन हुआ, ये दूसरे भारतीय और उस समय में सबसे युवा चयनित थे।

- इन्हें ट्रिनिटी कॉलेज ने फेलोशिप के लिए चयन किया,जो प्रथम भारतीय थे



इन्होंने ने मैथ के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया है,उस समय के महान गणितज्ञों में से एक G.H.Hardi भी अपने आपको इनसे छोटा समझते थे।

-इन्होंने "divergent series" के ऊपर 120 थ्योरम दिए,साथ ही "partion of whole number", "Fermat Theorem", "Cubic equation & quadratic equation" और Hypo geometric series पर बहुत ही कार्य किया..।।

-इन्होंने अपने जीवन काल मे 3000 से ज्यादा थ्योरम दिए।

-इन्होंने "MOC Theta Function" दिया जिसने 2002 में 'ब्लैक होल' को समझने में मदद किया। और साथ ही कैंसर सेल को समझने में भी मदद हो रहा है।

- 1914 से ही तबियत खराब रहने के कारण 1919 में भारत वापस आ गए । जंहा 26 अप्रैल 1920 में 32 साल के उम्र में क्षय रोग के कारण इनका मृत्यु हो गया।और एक महान सख्सियत की मृत्यु समय से पहले हो गया और इस ब्रह्मांड में कही खो गया।

- एक बार Hardi ने रामानुजन से पूछा कि तुम थ्योरम कैसे हल कर लेते हो..। रामानुजन ने कहा में अपने कुलदेवी 'नामगिरी' को याद करता हूँ और वो उसका जबाब मिल जाता है।

-जब रामानुजन अस्पताल में थे तब उनसे मिलने Hardi अपने मित्र के साथ कार मिलने आये। रामानुजन ने उस गाड़ी की नंबर के चार विशेषता बतलाया। जिसे हार्डी को 3 विशेषता सुलझाने में 6 साल लग गए,और चौथी विशेषता के बारे में Hardi ने अपने वसीयत में लिखा कि रामानुजन ने लिखा है तो सही ही होगा। जिसे हार्डी के मरने के 22 साल बाद सुलझाया गया।।

रामानुजन इस दुनिया के थे ही नही,या फिर समय से पहले इनका प्रादुर्भाव हो गया.. या फिर कुछ और..???

अगर आप रामानुजन को और जानना चाहते है तो उनके ऊपर बनी फ़िल्म - "The man who knew infinity" जरूर देखें। https://youtu.be/8WwLPep9xNg


आप जरा सोचिएगा की आप रामानुजन को क्यों नही जानते..??

इसके लिए सिर्फ आप ही नही,बल्कि हमारा समाज ,हमारा सरकार भी दोषी है..।। अगर हां तो कैसे..?? जरूर बताइएगा..।।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

तस्वीर बहुत कुछ बयां करती है..

 ये तस्वीर बहुत कुछ बयां करती है...



अगर आप युवा है- 
तो आप इनसे सीख सकते है कि परिस्थितियां भले ही कैसी हो हिम्मत नही हारना है,हरेक परिस्थितियों से लड़ना है,भागना नही है।
गीता में भी कृष्ण कहते है-
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।



 मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि"।।2.47।।

कहने का तात्पर्य ये है कि हमारा सिर्फ कर्म करने का अधिकार है,उसके परिणाम के ऊपर हमारा कोई अधिकार नही है,हम अपने इच्छानुसार परिणाम नही बदल सकते हम जब अपने जीवन मे असफल होने लगते है तो हमारी कार्य के प्रति आसक्ति नही रह जाती जिस कारण जीवन और दुखमय हो जाता है।।

इसीलिए परिस्थितियां भले ही कितनी ही बुरी क्यों न हो हमें कर्म करना ही चाहिए..।।


ये तस्वीर दांपत्य जीवन के बारे में भी बहुत कुछ बयां करता है..

हरेक रोज हजारों जोड़ियां टूट रही है क्यों..??

क्योंकि शादियां अब संबंध नही जरूरत बन गयी है..।जब तक जरूरत पूरी होती रहती है तब-तक शादियां टिकी रहती है,जब जरूरत पूरी नही होती तो शादियां टूट जाती है।।

कहा जाता है कि-

 "दाम्पत्यम् अनुकूलं चेत् किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।
  दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किं गृहम् एव तत्"॥

अगर दांपत्य जीवन अनुकूल हो तो स्वर्ग की कोई जरूरत नही है,अगर अनुकूल न हो तो घर ही नरक बन जाता है।

अगर पति का कर्तव्य है कि वो पत्नी की जरूरत को पूरा करें, तो पत्नी का भी कर्तव्य है कि वो अपने पति के साथ विपरीत परिस्थितियों में कदम-से-कदम मिला के चले।।

हम अपने इतिहास को ही नही बल्कि अपनी संस्कृति को भी भूल गए है।

-जिस कैकय-दशरथ, राम-सीता, सतीअनसुइया का महिमामंडन पौराणिक काल मे किया गया था। अब लोग उसे भूल गए है।।

ये तस्वीर बहुत कुछ बयां कर रहे है.. इन्हें शब्दों से बयां किया ही नही जा सकता है।