प्रधानमंत्री मोदी आज के कर्मयोगी
ये सब को पता है कि आज प्रधानमंत्री जी के माँ का देहांत हो गया..
उसके बाद क्या हुआ..??
शायद सब को न पता हो,मगर अधिकांश लोगों को पता होगा,क्योंकि मीडिया और सोशल मीडिया में बखूबी दिखाया गया..।।
मगर मोदीजी जो संदेश देना चाह रहें थे, वो संदेश क्या हम तक पहुंच पाया..।।
अगर हां तो आपने वो सीख लिया,
जिसे अर्जुन ने युद्धभूमि में श्रीकृष्ण से सीखा था..।।
कृष्ण के पूरे गीता का एक ही सार है..
की कर्मयोगी बनो.. भले परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हो अपने कर्तव्य पथ से विचलित नही होना है।।
आज प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को यही संदेश दिया..।।
वो माँ के वियोग में विचलित नही हुए होंगे,ऐसा हो ही नही सकता।क्योंकि जिस माँ ने उन्हें नरेंद्र से नरेंद्र मोदी बनाया आज वो उनसे दूर चली गई ..।। ये वास्तविकता है,और इसे बदला नही जा सकता..।।
मगर जो बदला जा सकता है, उसके लिए कुछ किया जा सकता है,प्रधानमंत्री ने वही किया।
माँ के अंतिम संस्कार के बाद वो अपने कर्त्तव्य पथ पर लौट आये
और हावड़ा से जलपाईगुड़ी के लिए वंदे भारत ट्रैन को हरी झंडी दिखाया..।।
और उन्होंने देरी के लिए माफ़ी मांगी..।
वो चाहते तो इस कार्यक्रम को कल के ऊपर टाल सकते थे,या फिर किसी और मंत्री को भी भेज सकते थे।
मगर नही,जो जबाबदेही उन्होंने लिया है,उसे वो ही निभा रहे थे..।।
मगर वर्तमान में हम युवाओं की दशा बहुत ही दयनीय है..
आपको ये जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि पूरे विश्व मे सर्वाधिक युवा भारत मे ही आत्महत्या करते है..।।
ये उस भारत का हाल है जंहा आत्महत्या को पाप माना जाता है..।।
हम प्रधानमंत्री से आज के घटना से बहुत कुछ सीख सकते है..।।
वो बिना कुछ कहें ही संदेश दे रहे है कि हमें कर्मयोगी होना चाहिए..।
हालात कैसे भी क्यों न हो, हमें अपने कार्य को प्रमुखता देना चाहिए..।
आप की परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो,अगर आपके कारण कुछ भी इधर-उधर हुआ हो तो क्षमा मांगने में हिचकिचाना नही चाहिए।।
निर्णय हमें ही करना है..
कर्मयोगी बनना है,या फिर भोगी बनना है..??
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