सोमवार, 30 मई 2022

अब थक जाता हूँ चलते-चलते

 अब थक जाता हूँ चलते-चलते,रुक जाता हूँ चलते-चलते।    ज्योही ख्याल आता है मंजिल का त्योंही थकान दूर हो जाता है। फिर से चल पड़ता हूँ मंजिल की और।

                  कब खत्म होगी ये अनवरत यात्रा                मालूम नही।

            लगता है अभी तो यात्रा शुरू भी नही किया है,              और कब खत्म होगा ये सोचने लगा हूँ।

अब थक जाता हूँ चलते-चलते,रुक जाता हूँ चलते-चलते।    ज्योही ख्याल आता है मंजिल का त्योंही थकान दूर हो जाता है। फिर से चल पड़ता हूँ मंजिल की और।

मंगलवार, 17 मई 2022

सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की यात्रा...



सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की यात्रा कोई बड़ी घटना नही थी,
इस तरह की घटना हरेक क्षण घट रही है..
हरेक क्षण कोई बूढा हो रहा है,फिर बीमार, उसके बाद मृत्यु हो जा रहा है।
बुद्ध ने इसी परिदृश्य को तो देखा था,
जिसके बाद उनके जीवन में इतनी बड़ी क्रांति हुई कि एक नए युग का शुरुआत हो गया..।।
मगर इस तरह की क्रांति अब तक और किसी के जीवन में क्यों नही हुआ,जबकि इस तरह की घटना तो हम रोज घटते हुए देख रहे है। 
तो आखिर फिर क्यों नही और बुद्ध बन पा रहें है..??
जबकि बुद्ध ने पहली बार इस घटना को देखा और बोधिसत्व पाने के लिए व्याकुल हो गए। और अंधेरे रात में पत्नी यशोधरा और अपने बेटे राहुल को सोए हुए छोड़ कर घर का त्याग कर दिए।।



त्याग ही इंसान को महान बनाता है।

महात्मा बुद्ध का जन्म 563ई०पूर्व में नेपाल के लुंबनी में हुआ,ज्ञान की प्राप्ति जिस स्थान पे हुआ वो बौद्ध गया कहलाया। जंहा प्रथम उपदेश दिए वो सारनाथ था,और जंहा उनकी मृत्यु हुई वो जगह कुशीनगर था।

हमारे जीवन में कब कंहा क्या होगा ये कोई नही जानता.. 

 हममें से कोई अभी तक बुद्ध क्यों नही बना..??
क्योंकि हमलोगों ने अपना सीमा को पार करने की कोशिश नही की.. 
बुद्ध ने अपना सब कुछ त्याग दिया वो आलीशान महल जिसे ऋतुओं के अनुसार बनाया गया था,जब ऋतु बदलता था तो उनका महल भी बदल जाता था।
यशोधरा जैसी  सुंदर पत्नी और राहुल जैसे बेटे को अंधेरी रात में चुपके से छोड़ करके निकल गए।।
क्या हमलोगों में से कोई ऐसा कर सकता है.. हम तो अपनी गंदी आदत तक नही छोड़ना चाहते।

क्या हमने अपना पथ-प्रदर्शक चुना है..??
बुद्ध गृह-त्याग करने के बाद गुरु को तलाशना शुरू किए,उन्होंने अलारकलाम और उद्दक रामपुत्र से शिक्षा लिया,और ज्ञान की तलाश में निकल गए।।
क्या हमलोग कुछ करने से पहले किसी चीज की तैयारी करते है,कुछ करते ही नही,कुछ थोड़े बहुत ही करके मैदान में कूद जाते है जिसका परिणाम भी हमें वही मिलता है । इसीलिए पथ-पदर्शक का होना जरूरी है,तबतक जबतक सही रास्ता न दिख जाए।

हम कितना प्रयत्न करते है..??
महात्मा बुद्ध 6 साल तक लगातार ज्ञान की प्राप्ति के लिए भटकते रहें..
मगर हम सामान्य जन तो किसी काम को 6 महीने भी नही करते अगर उसे करते वक्त कुछ सफलता न मिले तो..।।

हम अपने कल्याण के साथ-साथ और किसका कल्याण करते है..???
महात्मा बुद्ध जब ज्ञान प्राप्ति के दौरान एक महिला के हाथों से खीर खाया तब उनके मित्रो ने उन्हें भ्रष्ट मानकर उन्हें अकेले छोड़ दिया।
मगर बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हुई तब उन्होंने सर्वप्रथम उपदेश उन्ही 5 मित्रों को दिया।।
क्या हम आमजन ऐसा कर सकते है,हमसे कोई उल्टी मुँह बात कर ले तो हम उससे बात करना छोड़ देते है...।।

क्या हममें गलती स्वीकारने की हिम्मत है..??
महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के कुछ दिनों बाद अपने पत्नी और परिवार से माफी मांगने जाते है,क्योंकि उन्होंने किसी को बिना कहें ही गृह त्यागा था जो गलत था।।
क्या हमलोगों में इतनी शक्ति है कि हम अपनी गलती स्वीकार कर दूसरों से माफी मांग सके,तब तो और नही जब आप सफल हो जाये..।।

क्या हम हरेक परिस्थिति में सम रह सकते है...??
महात्मा बुद्ध हरेक परिस्थिति में सम रहते थे जब कोई उनके ऊपर पत्थर फेंके तब भी या फूल फेंके तब भी..।।
मगर हम सामान्य जन तो गिरगिट की तरह रंग बदल लेते है।।

क्या हम मानवों में इन गुणों में से कोई गुण है...
शायद नही।
इसिलए तो...फिर कोई दूसरा बुद्ध अवतरित नही हुआ..।।
आज भी लोग बूढा होते है,आज भी लोग बीमार होते है,
आज भी लोग मर रहे है,और इस घटना को घटते हुए हम रोज देख रहें है..
मगर फिर भी कोई दूसरा बुद्ध अभी तक अवतरित नही हुआ..।।
आखिर क्यों...??
खुद से पूछिए...।।
क्योंकि बुद्ध ने अंतिम समय में कहा था-
"अप्प दीपों भवः"



शनिवार, 14 मई 2022

 प्रकृति जब किसी को चुनती है तो,

उसे प्रकृति का नियम भी बदलना पड़े तो वो बदलती है।।

भले ही उसके लिए बड़ी-से-बड़ी कुर्बानी ही क्यों न देना पड़े,

वो नही हिचकता,

क्योंकि वो जानता है कि ये कुर्बानी जरूरी है,बेहतर भविष्य के लिए।।

मगर हम मानव ये सब देखकर भी कुछ नही सीखते।।

गुरुवार, 12 मई 2022

प्यार की पांति...



काश आप उस काबिल होते,
कि मैं आपके बाहों में होता ।
पहली दफ़ा आपसे प्यार न हुआ तो क्या हुआ..
आप दूसरी दफ़ा,पहल तो करते..।।

शायद आपको मुझसे प्यार था ही नही,
अगर होता तो आप, वो सब कुछ करते
जिससे आप मेरे करीब आ सकते थे।।
आपने मुझसे प्यार किया ही नही,
शायद मेरे प्रति आपका सिर्फ आकर्षण था।।
अगर प्यार होता तो आप मेरे करीब आने के लिए
कोई-न-कोई कदम जरूर उठाते..।
मगर आपने कुछ भी नही किया..
क्योंकि आपको मुझसे प्यार था ही नही।

सोचा था, 
मैं भी दुनिया को बताऊंगा
कि मुझसे भी कोई प्यार करता था,
मेरे न करने पर भी..
इतना, जितना मैं सोच भी नही सकती थी।

मगर आपने वो कुछ भी नही किया..
जिससे मैं आपके करीब,
और आप मेरे करीब आ सकते थे।।

काश आप उस काबिल होते,
कि मैं आपके बाहों में होता ।
पहली दफ़ा आपसे प्यार न हुआ तो क्या हुआ..
आप दूसरी दफ़ा पहल तो करते..।।