मैं हूँ यंहा,
क्योंकि मेरे होने का वजह है...
इसिलिय तो मैं, हूँ यंहा..।।
यू ही कोई नही होता,
हरेक का होने का वजह होता है..।
ये अलग बात है कि हम उस वजह को भूल जाते है..
इसीलिए तो जिंदगी बेवजह गुजर जाती है..।
और जिसे वजह मिल जाती है...
वो सिर्फ अपनी ही नही,बल्कि कइयों की जिंदगी में बेवजह रंग भरके जिंदगी को रंगीन बना देते है..।।
प्रकृति रंगीन है...
और इस प्रकृति पे पायी जाने वाली हर मूर्त और अमूर्त,जीव-जंतु,पेड़-पौधे प्रकृति के रंग है,जो प्रकृति को रंगीन बनाती है..।
हम मनुष्य ही ही,जो अपनी रंगीन जिंदगी को रंगविहीन बनाने पे तुले हुए है..।।
अपना बचपन याद करें, नही याद आ रहा है..... तो खेलते हुए,हँसते हुए,रोते हुए बच्चों को देखिए...वो सब कुछ करते है,एक ही क्षण में,एक ही पल में,एक ही दिन में.. मगर अफसोस इन बच्चों की जिंदगी भी अब एकरंगी सा हो गया है..।
हम खुद ही तो अपने जिंदगी को रंगविहीन बनाने पे तुले हुए है..
ये नही करना है,वो नही करना है,लोग क्या बोलेंगे,समाज क्या बोलेगा, इसी वुहापोह में जिंदगी रंगविहीन गुजर जाती है,कभी-कभी कोई रंग पकड़ता भी है,तो टिकता नही..।।
आखिर जिंदगी रंगीन कैसे हो..??
प्रकृति से सामंजस्य बिठा करके ही जिंदगी रंगीन होगी..।।
1. प्रकृति में हरेक चीज का होने का कारण है.. आप भी अपना लक्ष्य ढूंढिए..क्योंकि आपके भी होने का कारण है।।
2. मुस्कुराते रहिए.. क्योंकि प्रकृति हमेशा मुस्कुराती रहती है.. फूलों का खिलना,लहरों का उठना, बारिश का बरसना यही तो संदेश देती है..।
3. आशावान रहिए.. प्रकृति के बंजर जमीन पे उगा पौधा भी आसमां की और देखता रहता है,और अपने आप को सांत्वना देता है,बारिश जरूर होगी,और एक दिन आता है, जब बारिश होती है,और नया जीवन मिल जाता है..।। जो आस छोड़ देते है,उनका कोई अस्तित्व नही रहता.. प्रकृति यही तो सिखाती है।
4. दृढ़निश्चयी बने... प्रकृति जब कुछ करने को ठान लेती है,तो वो परिणाम का नही सोचती..इसीलिए जब कुछ करने का सोचे तो उसे करके ही रहे..।।
5.समय का कद्र करें.. प्रकृति में हमेशा सबकुछ नियत समय पर ही होता है..दिन-रात,गर्मी-ठंडा,फूलों का खिलना,फलों का लगना इत्यादि। इन सब का समय नियत है,ये अपनी मर्यादा नही तोड़ते,क्योंकि कइयों का जिंदगी इनके ऊपर आश्रित है।
6.अपनी मर्यादा में रहे.. प्रकृति कभी अपनी मर्यादा नही तोड़ती,समुद्र की लहर तटों से टकराकर वापस चली जाती है,जब नही जाती है तब सुनामी आ जाती है..।
7.हरेक परिस्थिति में शांत,स्थिर और मौन रहिए... मगर एक सीमा तक ही.. प्रकृति हमें ये भी सिखाती है..।।
सच कहता हूं जिंदगी भी,प्रकृति इतना ही रंगीन है,कभी आईने के सामने खुद को देखकर मुस्कुरा के तो देखे..जिंदगी बहुत रंगीन नजर आएगी..।।