मैं किसे माँ कहु..??
जिसने मुझे जन्म दिया,या फिर जिस-जिस ने मुझे स्नेह दिया..।।
आज माँ को जानना बहुत जरूरी है,
आखिर माँ होती कैसी है....??
माँ का जिक्र आते ही सबसे पहला ख्याल जो आता है, वो स्नेह का आता है..। माँ स्नेहमयी होती है... उसके आँचल में जितना स्नेह होता है,वो सारा स्नेह उड़ेल देती है.. वो और उड़ेलने की कोशिश करती है..मगर उसकी भी एक सीमा है..। अगर बंधन न हो तो वो अपने बच्चों के लिए वो सीमा भी लांघ जाए..।।
माँ करुणामयी होती है.. सिर्फ वो ही है इस जंहा में जो आपके सारे अपराधों को माफ कर गले लगा सकती है,और कोई नही..।।
माँ रौद्र होती है.. अपने बच्चे के भले के लिए वो काल से भी लड़ सकती है..
माँ दृढ़निश्चयी होती है.. अगर वो जो ठान ले उसे पूरा करके ही मानती है..।
माँ स्वार्थी होती है... अपने बच्चे के भले के लिए कुछ भी कर सकती है...।
माँ सर्वगुणसम्पन्न होती है... अपने बच्चों के लिए..
मगर आज माँ बदल रही है..क्योंकि हमारा समाज बदल रहा है...
-अब माँ के पास न आँचल है,जिससे वो स्नेह उड़ेल सके, तो वो अप्राकृतिक तरीके से स्नेह उड़ेलती है..।।
-माँ अब करुणामयी होगी कैसे..?? क्योंकि बच्चों की परवरिश वो अब कर ही कितना रही है...
- माँ स्वार्थी होती है.. हां होती है,इसीलिए तो तलाक़ के मामले इतने बढ़ रहे है..।।
-माँ सर्वगुणसम्पन्न होती है,इसिलिय तो आज आत्मनिर्भर बन रही है...।
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