शनिवार, 30 सितंबर 2023

महावीर मंदिर पटना..

 पहले मैं सोचा करता था,मंदिर मस्जिद बना के क्या होगा..?? मगर मेरी धारणाएं इतिहास पढ़ने और हाल ही में पटना महावीर मंदिर के कार्यों से अवगत होने के बाद बदल पूर्णतया बदल गया।।



अगर आप कभी पटना आये तो पटना जंक्शन के पास स्थित महावीर मंदिर के प्रति आस्था से जरूर सर नवाये.. अगर आपका भगवान के प्रति आस्था न हो तो उस मंदिर के आयोजकों के प्रति जरूर आस्था प्रकट करें..।।

इस मंदिर के द्वारा जो कार्य किया जा रहा है,हम आप सोच भी नही सकते..।। अपने आय का सारा पैसा ये समाज को बेहतर बनाने में खर्च कर देता है।(मई 2023 के अनुसार मंदिर की इनकम रोज 10 लाख है)

महावीर मंदिर द्वारा किये जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य-

-भारत का पहला बच्चों के लिए कैंसर अस्पताल खोला जा रहा है..।।

- भारत का पहला वृद्धों के लिए पूर्णतया समर्पित अस्पताल खोला जा रहा है..

साथ ही 5 अस्पताल अभी संचालित है,जंहा मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है..

1.महावीर कैंसर अस्पताल,फुलवारीशरीफ

2.महावीर हृदय अस्पताल,पटना(बच्चों का इलाज मुफ्त में)

3.महावीर नेत्रालय कंकड़बाग,पटना

4.महावीर वात्सल्य अस्पताल,पटना

5.महावीर आरोग्य अस्पताल,पटना


साथ ही, जब भी पूरे देश में कंही भी प्राकृतिक आपदा आता है,ये संस्थान हमेशा मदद के लिए आगे रहता है..।।

साथ ही आपको बता दे कि 1992 से ही राम मंदिर निर्माण के लिए विधिक एवं आर्थिक सहायता महावीर मंदिर द्वारा प्रदान किया जाता है। मंदिर में जो घी के दिये,और जो भोग लगते है,उसमें महावीर मंदिर का ही योगदान है..।। साथ ही मंदिर निर्माण में करोड़ो का सहयोग दिया गया है..।। 2019 से राम रसोइया(अयोध्या) के द्वारा लोगो के लिए मुफ्त भोजन का प्रबंधन किया जा रहा है।

- महावीर मंदिर भारत का प्रथम मंदिर है,जिसने दलित पुजारी (सूर्यवंशी दास,1993) की नियुक्ति की..।

- महावीर मंदिर द्वारा ही विश्व की सबसे बड़ी रामायण मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

आज ये मंदिर जिस ऊंचाइयों को छू रहा है,इसके पीछे इनके प्रबंधकों का अहम योगदान है..।।(वर्तमान में आचार्य किशोर कुणाल के अंतर्गत प्रबंधन है)



सोमवार, 18 सितंबर 2023

तिलक और गणपति उत्सव

क्या आपको पता है,की आज से 130 साल पहले तक गणपति सिर्फ घरों में ही पूजे जाते थे..
इन्हें सार्वजनिक करने का काम किसने किये..??




आजसे पूरा मुम्बई/महाराष्ट्र 10 दिन तक जश्न मे डूबा रहेगा..
मगर इस जश्न में डूबने की कहानी कंहा से शुरू होती है..
शायद ये बहुतों को नही पता होगा..

चलिए आज गणपति की यात्रा कैसे,क्यों और कब हुई..।।
बाल गंगाधर तिलक, आशा करता हूँ आप इन्हें जानते होंगे,
अगर नही, तो इन्हें जानना जरूरी है..।।



इक दिन तिलक समुन्द्र किनारे बैठे थे और सोच रहे थे कि कैसे अपने लोगों को एक साथ लाया जाय, जिससे अंग्रेज का सामना किया जाय..।
1892 में बॉम्बे से पूना लौटते समय ट्रैन में एक सन्यासी ने उनसे कहा-"हमारे राष्ट्र की रीढ़ धर्म है"बिना धर्म के राष्ट्र का कोई महत्व नही है..।।

तिलक सोचने लगे कि आखिर कैसे धर्म का इस्तेमाल राष्ट्रीय बोध के लिए हो..??
उन्होंने 1893 में ही केशवजी नाइक चॉल गणेशोत्सव मंडल की नींव डाली..। 


इस मंडल की सहायता से ही पहली बार गणपति की बड़ी प्रतिमा के साथ पूजन शुरू हुआ,साथ ही मराठी लोकगीत पोवाडे के द्वारा राष्ट्रप्रेम से जुड़े गीत गाना शुरू हुआ।
देशप्रेम से जुड़े भाषण शुरू हुए,जिसे सुनने के लिए साल-दर-साल लोगों की संख्या बढ़ती ही गई..।।

तिलक चाहते थे कि ये उत्सव राष्ट्रीय उत्सव में बदले कुछ नेता समर्थन में थे ,मगर कांग्रेस के बड़े नेता विरोध में थे क्योंकि 1893 में ही मुम्बई दंगा हुआ था।

मगर इन्हें जनता का इतना समर्थन मिला कि इस मंच से मुस्लिम राष्ट्रवादी नेता भी भाषण दिया करते थे,साथ ही इस मंच से सुभाष चंद्र बोस, सरोजिनी नायडू जैसे कई हस्तियों ने इस मंच से देशवासियों को संबोधन किया..।।

आज गणपति उत्सव महाराष्ट्र का राजकीय उत्सव ही नही बल्कि आज पूरे देश मे मनाया जाता है..।।
मगर हम भूल गए कि गणपति उत्सव मनाने का क्या उद्देश्य था..?
हम उस नायक को भूल गए ,जिसने लोगों को घर से बाहर निकालकर चौराहे पे लाया..और ऊंच-नीच का भेदभाव मिटा दिया..।

हमार कर्तव्य है कि हम गणपति बप्पा के साथ उन्हें भी याद करें जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पण कर दिया..।
गणपति बप्पा मोरिया..😊



रविवार, 17 सितंबर 2023

तुम जिंदा हो



तुम जिंदा हो,

तुम्हारा शौभाग्य है,

यंहा हर रोज लोग मर रहे है,

कोई अपनी मौत,तो कोई बेमौत मर रहे है..।।

तुम जिंदा हो,तुम्हारा शौभाग्य है..

क्यों आये,और क्या कर रहे हो..??

पूछो खुद से,झकझोरो खुद को..

कब आंख लग जाये,और लगा ही रह जाये..

न तुम जानते हो,और न कोई और जानता है..।।

कुछ कार्य गर बचे हुए है,

तो जल्द-से-जल्द निपटा लो..

कब मौत की घड़ी आ जायेगी,

ये कोई नही जानता..।

तुम जिंदा हो,

तुम्हारा शौभाग्य है,

यंहा हर रोज लोग मर रहे है..

कोई अपनी मौत तो कोई बेमौत मर रहे है..।।

रविवार, 3 सितंबर 2023

स्त्रियां समाज की धुरी है..



स्त्री का सम्मान करो,क्योंकि उसके सम्मान में ही आपका सम्मान है..

अगर वो चाहे तो आपको भगवान बना देगी..।

कैसे..??

जो आदर-भाव आप भगवान के प्रति रखते है,वही भाव रखना होगा..।

उसने राम और कृष्ण को ही नही बल्कि कइयों को वो उच्चतम स्थान दिलाया जो पूजनीय हो गए..।।


सुधा मूर्ति को शायद आप जानते होंगे..



नही जानते है तो आपका दुर्भाग्य है,

क्योंकि वर्तमान समय में वो महिलाओं के शीर्षतम स्थल पर है..

जो स्थान हमारे समाज ने सीता,राधा,मीरा,लक्ष्मीबाई को दिया..

वही स्थान आज सुधा मूर्ति का है..


मगर सुधा मूर्ति को मूर्त रूप देने में उनके पिता का अहम योगदान था,और नारायण मूर्ति को मूर्त रूप देने में सुधा मूर्ति का अहम योगदान था..।।


सुधा मूर्ति की पसंद नारायण मूर्ति थे,जब शादी होने वाला था तब नारायण मूर्ति बेरोजगार थे..

सुधा से जब उनके पिता ने पूछा कि लोग पूछेंगे की लड़का क्या करता है,तो हम क्या जबाब देंगे.. उन्होंने जबाब दिया कह दीजिएगा सुधा का पति है..।।

आज इंफोसिस को कौन नही जानता..??

अगर सुधा मूर्ति का विश्वाश नारायण मूर्ति पे नही होता तो आज इंफोसिस नही होता..।।

सच कहूं तो वर्तमान में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन होता..ये भी सोचने वाली बात होती...😊


मगर वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय है...

क्यों..??

क्योंकि हमारा आर्थिक स्थिति दयनीय है..।।


जब कोख में बच्चा आता है तब से ही हम बेटे के लिए मंन्नते मांगने लगते है,क्यों..??

क्योंकि बेटी होगी तो शादी का खर्च बढ़ जाएगा..

अगर दुर्भाग्य से किसी गरीब और निम्न मध्यम आय वाले के यंहा बेटी ने जन्म ले लिया तो परिवार वाले सबसे पहले उसके शादी के लिए पैसा जमा करना शुरू कर देंगे..।।


मगर वो भूल जाते है,आज उनका अस्तित्व किसी के बेटियां के कारण ही है..

बेटियां अगर सुदृढ होगी तो हमारी आनेवाली पीढियां भी सुदृढ़ होगी..।।

अपनी बेटियों को सिर्फ पढ़ाये ही नही बल्कि गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा दे,क्योंकि यही शिक्षा सिर्फ आपका ही नही, बल्कि देश और समाज को बदलने की मद्दा रखता है..।।


बेटियां सुदृढ होगी तब ही समाज सुदृढ होगा..

जब समाज सुदृढ होगा तब ही देश सुदृढ होगा..।


सिर्फ बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ से नही होगा..

क्यों बचाये,और क्यों पढ़ाये इसका भी जबाब देना होगा...


अनेक सरकार बेटियों के शादी के लिए अनेक योजना चलाती है..मगर उसके लिए गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा/स्वास्थ्य/सुरक्षा के लिए प्रावधान नही करती..।।

जबकि इनके द्वारा वो अपने GDP को दुगुनी कर सकती है..।।


स्त्रियां समाज की धुरी है..

इसे सुदृढ़ करना जरूरी है..

अगर ये न सुदृढ हो,

तो समाज कैसे सुदृढ हो..।

क्योंकि सबसे पहले यही तो हाथों में पेन और पेंसिल थमाती है,

अगर पेन और पेंसिल की जगह छुरियां थमाए तो क्या हो..??

जरा सोचो..

कितना अपमान करोगे,

कब सम्मान करोगे..??

जब विनाश के मुहाने पे होगे..

तो यही हाथ थामकर विनाश से बचाएगी..।।

क्योंकि किसी ओर में वो अदम्य साहस नही..

जो साहस स्त्रियां में है..।।

स्त्रियां समाज की धुरी है,

उसे सुदृढ़ करना जरूरी है..।।


मैं कंहा ढूंढू तुम्हें..



मैं कंहा ढूंढू तुम्हें..

अब तुम्हीं बताओ..

FB पे ढूंढा, इंस्टा पे ढूंढा..कंहा-कंहा नही ढूंढा,

कंही नही मिली तुम..

जिंदगी यू-ही बद-से-बद्तर होती गई मेरी..

काश तुम्हें ढूंढने से अच्छा,

खुद को निखारा होता..

FB पे होता,इंस्टा पे होता..

गूगल पे लोग मुझे भी ढूंढ रहे होते..

शायद तुम भी मुझे ढूंढ रही होती..।।

न ही मैं उस काबिल हो सका,

न ही मैं अब तेरे काबिल हो सका..।।

जिंदगी के कुछ लम्हें अब भी बचे है,

काश उसे सवार लूं, तो जिंदगी यू ही सवर जाएगी..।।

जब जिंदगी सवर जाएगी..

तब तुम भी मुझे,और मैं भी तुझे किसी राह पे यू ही मिल जाएंगे..।।

मैं कंहा ढूंढू तुम्हें..??