स्त्री का सम्मान करो,क्योंकि उसके सम्मान में ही आपका सम्मान है..
अगर वो चाहे तो आपको भगवान बना देगी..।
कैसे..??
जो आदर-भाव आप भगवान के प्रति रखते है,वही भाव रखना होगा..।
उसने राम और कृष्ण को ही नही बल्कि कइयों को वो उच्चतम स्थान दिलाया जो पूजनीय हो गए..।।
सुधा मूर्ति को शायद आप जानते होंगे..
नही जानते है तो आपका दुर्भाग्य है,
क्योंकि वर्तमान समय में वो महिलाओं के शीर्षतम स्थल पर है..
जो स्थान हमारे समाज ने सीता,राधा,मीरा,लक्ष्मीबाई को दिया..
वही स्थान आज सुधा मूर्ति का है..
मगर सुधा मूर्ति को मूर्त रूप देने में उनके पिता का अहम योगदान था,और नारायण मूर्ति को मूर्त रूप देने में सुधा मूर्ति का अहम योगदान था..।।
सुधा मूर्ति की पसंद नारायण मूर्ति थे,जब शादी होने वाला था तब नारायण मूर्ति बेरोजगार थे..
सुधा से जब उनके पिता ने पूछा कि लोग पूछेंगे की लड़का क्या करता है,तो हम क्या जबाब देंगे.. उन्होंने जबाब दिया कह दीजिएगा सुधा का पति है..।।
आज इंफोसिस को कौन नही जानता..??
अगर सुधा मूर्ति का विश्वाश नारायण मूर्ति पे नही होता तो आज इंफोसिस नही होता..।।
सच कहूं तो वर्तमान में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन होता..ये भी सोचने वाली बात होती...😊
मगर वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय है...
क्यों..??
क्योंकि हमारा आर्थिक स्थिति दयनीय है..।।
जब कोख में बच्चा आता है तब से ही हम बेटे के लिए मंन्नते मांगने लगते है,क्यों..??
क्योंकि बेटी होगी तो शादी का खर्च बढ़ जाएगा..
अगर दुर्भाग्य से किसी गरीब और निम्न मध्यम आय वाले के यंहा बेटी ने जन्म ले लिया तो परिवार वाले सबसे पहले उसके शादी के लिए पैसा जमा करना शुरू कर देंगे..।।
मगर वो भूल जाते है,आज उनका अस्तित्व किसी के बेटियां के कारण ही है..
बेटियां अगर सुदृढ होगी तो हमारी आनेवाली पीढियां भी सुदृढ़ होगी..।।
अपनी बेटियों को सिर्फ पढ़ाये ही नही बल्कि गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा दे,क्योंकि यही शिक्षा सिर्फ आपका ही नही, बल्कि देश और समाज को बदलने की मद्दा रखता है..।।
बेटियां सुदृढ होगी तब ही समाज सुदृढ होगा..
जब समाज सुदृढ होगा तब ही देश सुदृढ होगा..।
सिर्फ बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ से नही होगा..
क्यों बचाये,और क्यों पढ़ाये इसका भी जबाब देना होगा...
अनेक सरकार बेटियों के शादी के लिए अनेक योजना चलाती है..मगर उसके लिए गुनवक़्तापूर्ण शिक्षा/स्वास्थ्य/सुरक्षा के लिए प्रावधान नही करती..।।
जबकि इनके द्वारा वो अपने GDP को दुगुनी कर सकती है..।।
स्त्रियां समाज की धुरी है..
इसे सुदृढ़ करना जरूरी है..
अगर ये न सुदृढ हो,
तो समाज कैसे सुदृढ हो..।
क्योंकि सबसे पहले यही तो हाथों में पेन और पेंसिल थमाती है,
अगर पेन और पेंसिल की जगह छुरियां थमाए तो क्या हो..??
जरा सोचो..
कितना अपमान करोगे,
कब सम्मान करोगे..??
जब विनाश के मुहाने पे होगे..
तो यही हाथ थामकर विनाश से बचाएगी..।।
क्योंकि किसी ओर में वो अदम्य साहस नही..
जो साहस स्त्रियां में है..।।
स्त्रियां समाज की धुरी है,
उसे सुदृढ़ करना जरूरी है..।।
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