आपने कभी सोचा है..??
आपके उदासी का कारण क्या है..??
थोड़ी देर सोचिए...🤔
हमारे उदासी का कारण हमारा संघर्ष है.. और संघर्ष किसके जीवन मे नही है..??
ये जीवन ही संघर्ष है,और बिना संघर्ष के जीवन, है ही नही..
तब, फिर हम उदास क्यों है..??
क्योंकि हम संघर्ष से भागना चाहते है..और भागते रहते है,और एक दिन थक जाते है..और तब,दुःख की शुरुआत होती है..।।
आंखे बंद कीजिए... और अपने मन मे किसी 5 बड़े व्यक्तित्व का नाम सोचिए वो किसी भी क्षेत्र से हो सकते है... आँखें बंद करके सोचिए तो सही...😔
अब आप खुद से पूछिए की..आप उन्हें क्यों जानते है..??
शायद इसलिए कि वो सफल व्यक्ति है/थे....
नही....इसलिए हम उन्हें जानते है कि, उन्होंने संघर्ष का सहर्ष सामना किया...।।
और हम क्या कर रहें है..??संघर्ष से बचना चाहते है..हम जितना बचना चाहते है..संघर्ष उतना ही बढ़ता जाता है..और वो जितना बढ़ता जाता है,हम उतना ही दुःखी होते चले जाते है...।।
और जिस क्षण हम इन संघर्षों का सामना शुरू कर देते है,उसी क्षण से दुःख कम होता चला जाता है..।।
अब निर्णय आपको करना है..
जिंदगी को ताउम्र बोझिल बनाना है...या फिर संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर..स्वर्णाक्षर में अपना नाम खुदवाना है....
निर्णय तो हमें ही करना होगा..
क्या होता अगर..??
•गांधी पिट्सबर्ग के बेज्जती से आहत होकर अगर भारत चले आते..तो कौन जानता इन्हें..??
• एडिसन की माँ, अगर टीचर की बात मान लेती तो कौन जान पाता इस थौक के आविष्कारक को...
•क्या होता अगर स्टीव जॉब्स अपने ही बनाये कंपनी से निकाले जाने के बाद हताश हो जाते...तो शायद आज ये भारत की GDP के समांतर कमाई करने वाली कंपनी नही होती..
•क्या होता अगर यूक्रेन रसिया से संघर्ष करना छोड़ देता..और आज अगर इजरायल संघर्ष करना छोड़ दे तो... शायद अस्तित्व ही न बचे...
और हम क्या कर रहे है..
संघर्ष से बचना चाहते है...
हम जितना संघर्ष से बचना चाहेंगे,उतना ही हम दुःखी होते चले जायेंगे...
अब निर्णय हमें ही करना है....।।
मुस्कुराइए😊....क्योंकि आपकी मुस्कुराहट आपके संघर्ष को आसना बनायेगी...।।