गीता में श्रीकृष्ण कहते है..
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
हमारा अधिकार सिर्फ कर्म पर है,कर्म के फल पर नही..
कल रात सभी भरतीय को लग रहा था कि अब तो मैच हाथ से गया..जब 30 बॉल में 30 रन बनाना हो और क्रीच पर #क्लासेन और #मिलर जैसे धुरंधर बल्लेबाज हो..तो स्वाभिक है कि हम जीत का आस नही कर सकते है..
मगर भविष्य के गर्भ में क्या है,ये कौन जानता था..
जब 15वे ओवर में क्लासेन अक्षर पटेल के ओवर में 24 रन बटोर लेता है, और साउथ अफ्रीका को जीत के मुहाने पर खड़ा कर देता है,
और हम भारतीय उम्मीद खो बैठते है..
मगर 17वे ओवर में जब #हार्दिक पहली गेंद पर क्लासेन को आउट करते है तो हमारी उम्मीद फिर जग जाती है.
और जब 18वे ओवर में #बुमराह ने येनसेन को आउट किया तो लगा कि अब जीत जाएंगे..
19वे ओवर में #अर्शदीप की सधी हुई गेंदबाजी ने बहुत उम्मीद जगा दी..
मगर अंतिम ओवर में #पांड्या के पहली बॉल पर मिलर ने बाउंड्री मारने की प्रयास की, मगर बाउंडरी पर खड़े #सूर्यकुमार यादव उस छक्के को कैच में तब्दील कर दिया..
अब हमें लग रहा था जीत जाएंगे मगर दूसरी बॉल पे रवाडा ने बाउंडरी मार दी.. थोड़ी धड़कन बढ़ी मगर फिर रवाड़ा भी कैच आउट हो गया..
और इस तरह हम हारी हुई बाजी जीत गए..
इस जीत के एक नही कई नायक थे..
#विराट कोहली जो अपने परफॉर्मेंस से नाराज थे उन्होंने फाइनल में सारा कसर निकाल दिया..
#हार्दिक पंड्या जिसे कुछ महीने पहले तक(IPL) इतना ट्रोल किया जा रहा था की,अगर वंहा और कोई रहता तो टूट जाता,मगर वो टूटा नही उसने लड़ा..आज उसने 150करोड़ भारतीयों को जश्न मनाने का अवसर दिया..
#बुमराह इनका कोई जबाब नही, ये हमेशा संकट मोचन का काम करते है..जब भी टीम कठिनाई में फंसी रहती है,इसे उबारते है..
#अर्शदीप सिंह.. ने खुद को इतना निखारा है कि पता ही नही चल रहा है कि क्या वे वही अर्शदीप सिंह है,जिसे लोग 2 साल पहले ट्रोल कर रहे थे..
#रोहित शर्मा इनकी यात्रा आसान नही थी..मगर वो यात्रा भी क्या जिसमें रोमांच न हो..ढेर सारे मलाल थे,इस जीत ने कई मलाल को खत्म कर दिए होंगे..।
इस जीत के एक नही,हरेक कोई हीरो है..
क्योंकि जीत किसी एक कि नही बल्कि उन सबकी होती है,
जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान दे रहे होते है..।।
ये जीत करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देगा..
की हार नही मानना है,क्योंकि कुछ भी हो सकता है..
इस जीत ने साबित कर दिया कि-
धैर्य परिणाम बदल देता है..
जरूरी ये नही की हम जीते या हारे,
जरूरी ये है कि हम मैदान पर अंतिम क्षणों तक दृढ़ता से टिके रहे..
जीत और हार तो लगी रहती है..
अगर हम मैदान ही छोड़ दे तो..
इन दोनों में से किसी का रसास्वादन नही कर पाएंगे..
इसीलिए मैदान पे टिके रहना जरूरी है..
यही तो जीवन है..