मंगलवार, 11 जून 2024

क्या पता..

माना कि हार निश्चित है..
इसका मतलब ये नही की मैदान छोड़ दूं…
असली योद्धा तो वो है,
जो ये जानकर भी लड़ रहा है,कि हार निश्चित है..
बस एक आस में लड़ रहा है..
क्या पता कब किस्मत साथ दे-दे..और
हारी हुई बाजी को जीत में तब्दील कर दे..

मैंने जीत को हार में,
और हार को जीत में,
तब्दील होते हुए देखा है..
बस शर्त एक है..
मैदान पे डटे रहना है..
या तो इतिहास बन जाऊंगा..
या फिर इतिहास में कंही खो जाऊंगा..।।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें