इंसान दो चीज़ों का गुलाम होता है।
1.इन्द्रिय(ऑर्गन),हॉर्मोन
2.वस्तु
इन दोनों का अगर एक बार अगर गुुलाम हो गए,तो इसके दासता से छूटकारा पाना मुस्किल है।
ओर सबसे मजेदार बात ये है,की हमें इसकी दासता स्वीकार भी है,क्योंकि हमें पता ही नही चलता कि हम इसके दास है।
क्योंकि हमें इसमे आनंद की अनुभूति जो मिलती रहती है,ओर एकदिन हम इसके जकड़न में इस तरह फंस गए होते है,की इससे छुटकारा पाना नामुमकिन सा लगने लगता है।
इस जकड़न में सब जकड़ते ही है,चाहे कोई कितनी भी कोशिस कर ले,बिना इसके जकड़न में पड़े आप जिंदगी में आगे बढ़ ही नही सकते,क्योंकि ये जकड़न प्राकृतिक जो है,ओर आप प्रकृति के विरुद्ध जा तो नही सकते न।
हमें ये देखना चाहिए कि कोई वस्तु या कोई इन्द्रिय हम पर किस स्तर तक हावी है,कंही ऐसा तो नही की हम इसके गुलाम हो गए है।
इसे परखने के साधारण उपाय है,आप कभी भी परख सकते है कि में किसी वस्तु या इन्द्रिय का गुलाम तो नही हु।
1.सबों के पास मोबाइल है,सब सोशल साइट उपयोग करते है,आप देखे की क्या में 1-2 रोज बिना सोशल साइट के उपयोग किये बिना रह सकता हु,अगर हां तो आप इस जकड़न में नही है,अगर नही तो आप इस जकड़न में फंस गए है,इससे निकलने की कोशिश कीजिये।
ऐसे ही आप देखिए कि क्या आप चाय-कॉफी के बिना कुछ दिन रह सकते है,अगर हा तो आप इसके दास नही है,आप अपने ऊपर इस तरह के प्रयोग करते रहिए।
क्योंकि इस प्रयोग से आप वस्तु के गुलाम नही वस्तु आपका गुलाम होगा।
सबसे बड़ी जकड़न जो होती है,वो इन्द्रिय यानी ऑर्गन या फिर हार्मोन को जो बहाव होता है,उस पर सयंम पाने में बहुत मुश्किल होता है,कुछ ही लोग होते है जो इसपे काबू कर पाते है और सफलता गढ़ पाते है।
क्योंकि इसका बहाव जो होता है,एक आनंद की अनुभूति देता है,ओर हॉर्मोन का बहाव हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है,मगर हम अपने जरूरत को कब अपनी आदत बना लेते है हमें पता ही नही चलता।
एक ढक्कन शराब दवा के रूप में पहली बार लेने वाला शख्श कब पूरी बोतल लेने लगा उसे भी पता नही।
यही हमारे हार्मोनल स्राव के साथ भी होता है,कब हम इसके आदि हो जाते है,हमें पता ही नही चलता,ओर यही हार्मोनल बहाव हमें अपना गुलाम तो बनाता ही है,साथ-साथ वस्तुओं का भी गुलाम बना देता है।
अगर आपको कोई लड़का/लड़की पसंद आ जाये या देखने मे सुंदर लगे,तो आप उसे फिर से देखने की कोशिश करेंगे,फिर एक बार,फिर एक बार ओर ये सिलसिला चलता रहेगा,ओर एकदिन ऐसा आएगा की आप उसे देखे बिना उससे बात किये बिना नही रह सकते अगर ऐसा नही होता है,तो आप मे चिड़चिड़ापन,उदासी जैसे लक्षण दिखने लगेंगे,ये ही है दासता।
इस तरह के दासता आप अपने मे देख सकते है,आप देखिए कि आप किस चीज़ के गुलाम है,अगर उसके गुलाम है,तो उसके बिना रहने की कोशिश कीजिये।
हमारी गुलामी तब शुरू होती है,जब हमारी निर्भरता ज्यादा बढ़ जाती है,किसी वस्तु के प्रति।।
अगर आपको लगता है,की आप किसी चीज़ के गुलाम है तो आप उसके बिना एक दिन रहे और देखे आपके अंदर से एक खुशी की अनुभूति होगी,ये सच है।क्योंकि हमारा शरीर कोई मशीन नही है,इसमे भी अनुभूति है,ओर आप दिन-प्रतिदिन वही कर रहे है,जो आप चाहते है,एक दिन आप सामान्य जीवन शैली जी कर देखिये।कितना आनंद आता है।।
सच तो ये है,की हम किसी वस्तु ओर हार्मोनल स्राव के गुलाम नही होते, बल्कि हो जाते है,खुद-ब-खुद ओर हमें पता भी नही चलता।
गुलामी किसे कहते है,जो आप करना चाह रहे है,वो आप नही कर पा रहे है,इसे ही गुलामी कहते है,इस गुलामी की बेड़िया को तोड़िये,हरेक रोज हथोड़े का प्रहार कर क्योंकि ये बेड़िया एक दिन में नही टूटनी वाली है,क्योंकि ये बचपन से ही बंध गई है।
कुछ ही लोग होते है,जो इस बेड़िया को तोड़ पाते है,
क्योंकि कितने को तो पता ही नही चलता कि वो कोई बेड़िया से बंधे हुए है।।
गुलामी के जकड़न से निकलिए कंही ऐसा न हो कि ये गुलामी आपको अच्छी लगने लगे,ओर आप इसके ताउम्र गुलाम बने रहे।।
1.इन्द्रिय(ऑर्गन),हॉर्मोन
2.वस्तु
इन दोनों का अगर एक बार अगर गुुलाम हो गए,तो इसके दासता से छूटकारा पाना मुस्किल है।
ओर सबसे मजेदार बात ये है,की हमें इसकी दासता स्वीकार भी है,क्योंकि हमें पता ही नही चलता कि हम इसके दास है।
क्योंकि हमें इसमे आनंद की अनुभूति जो मिलती रहती है,ओर एकदिन हम इसके जकड़न में इस तरह फंस गए होते है,की इससे छुटकारा पाना नामुमकिन सा लगने लगता है।
इस जकड़न में सब जकड़ते ही है,चाहे कोई कितनी भी कोशिस कर ले,बिना इसके जकड़न में पड़े आप जिंदगी में आगे बढ़ ही नही सकते,क्योंकि ये जकड़न प्राकृतिक जो है,ओर आप प्रकृति के विरुद्ध जा तो नही सकते न।
हमें ये देखना चाहिए कि कोई वस्तु या कोई इन्द्रिय हम पर किस स्तर तक हावी है,कंही ऐसा तो नही की हम इसके गुलाम हो गए है।
इसे परखने के साधारण उपाय है,आप कभी भी परख सकते है कि में किसी वस्तु या इन्द्रिय का गुलाम तो नही हु।
1.सबों के पास मोबाइल है,सब सोशल साइट उपयोग करते है,आप देखे की क्या में 1-2 रोज बिना सोशल साइट के उपयोग किये बिना रह सकता हु,अगर हां तो आप इस जकड़न में नही है,अगर नही तो आप इस जकड़न में फंस गए है,इससे निकलने की कोशिश कीजिये।
ऐसे ही आप देखिए कि क्या आप चाय-कॉफी के बिना कुछ दिन रह सकते है,अगर हा तो आप इसके दास नही है,आप अपने ऊपर इस तरह के प्रयोग करते रहिए।
क्योंकि इस प्रयोग से आप वस्तु के गुलाम नही वस्तु आपका गुलाम होगा।
सबसे बड़ी जकड़न जो होती है,वो इन्द्रिय यानी ऑर्गन या फिर हार्मोन को जो बहाव होता है,उस पर सयंम पाने में बहुत मुश्किल होता है,कुछ ही लोग होते है जो इसपे काबू कर पाते है और सफलता गढ़ पाते है।
क्योंकि इसका बहाव जो होता है,एक आनंद की अनुभूति देता है,ओर हॉर्मोन का बहाव हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है,मगर हम अपने जरूरत को कब अपनी आदत बना लेते है हमें पता ही नही चलता।
एक ढक्कन शराब दवा के रूप में पहली बार लेने वाला शख्श कब पूरी बोतल लेने लगा उसे भी पता नही।
यही हमारे हार्मोनल स्राव के साथ भी होता है,कब हम इसके आदि हो जाते है,हमें पता ही नही चलता,ओर यही हार्मोनल बहाव हमें अपना गुलाम तो बनाता ही है,साथ-साथ वस्तुओं का भी गुलाम बना देता है।
अगर आपको कोई लड़का/लड़की पसंद आ जाये या देखने मे सुंदर लगे,तो आप उसे फिर से देखने की कोशिश करेंगे,फिर एक बार,फिर एक बार ओर ये सिलसिला चलता रहेगा,ओर एकदिन ऐसा आएगा की आप उसे देखे बिना उससे बात किये बिना नही रह सकते अगर ऐसा नही होता है,तो आप मे चिड़चिड़ापन,उदासी जैसे लक्षण दिखने लगेंगे,ये ही है दासता।
इस तरह के दासता आप अपने मे देख सकते है,आप देखिए कि आप किस चीज़ के गुलाम है,अगर उसके गुलाम है,तो उसके बिना रहने की कोशिश कीजिये।
हमारी गुलामी तब शुरू होती है,जब हमारी निर्भरता ज्यादा बढ़ जाती है,किसी वस्तु के प्रति।।
अगर आपको लगता है,की आप किसी चीज़ के गुलाम है तो आप उसके बिना एक दिन रहे और देखे आपके अंदर से एक खुशी की अनुभूति होगी,ये सच है।क्योंकि हमारा शरीर कोई मशीन नही है,इसमे भी अनुभूति है,ओर आप दिन-प्रतिदिन वही कर रहे है,जो आप चाहते है,एक दिन आप सामान्य जीवन शैली जी कर देखिये।कितना आनंद आता है।।
सच तो ये है,की हम किसी वस्तु ओर हार्मोनल स्राव के गुलाम नही होते, बल्कि हो जाते है,खुद-ब-खुद ओर हमें पता भी नही चलता।
गुलामी किसे कहते है,जो आप करना चाह रहे है,वो आप नही कर पा रहे है,इसे ही गुलामी कहते है,इस गुलामी की बेड़िया को तोड़िये,हरेक रोज हथोड़े का प्रहार कर क्योंकि ये बेड़िया एक दिन में नही टूटनी वाली है,क्योंकि ये बचपन से ही बंध गई है।
कुछ ही लोग होते है,जो इस बेड़िया को तोड़ पाते है,
क्योंकि कितने को तो पता ही नही चलता कि वो कोई बेड़िया से बंधे हुए है।।
गुलामी के जकड़न से निकलिए कंही ऐसा न हो कि ये गुलामी आपको अच्छी लगने लगे,ओर आप इसके ताउम्र गुलाम बने रहे।।