क्या सफलता एक रहस्य है?
हां सफलता एक रहस्य ही तो है,
मगर सबके लिए ये अलग-अलग हो सकते है,मगर कुछ समानताएं सबों में एक जैसी होती ही है,बिना इसके सफल हो पाना मुमकिन ही नही नामुमकिन है।
इनमें से कुछ रहस्य का जिक्र करता हु,
*सबसे पहला रहस्य जो है,वो "धैर्य" है।
*दूसरा अपने लक्ष्य के प्रति "दृढ़-निश्चयी"।
*तीसरा "आत्मविश्वास"।
*चौथा "अपने प्रति ईमानदार"।
*पांचवा जो है वो "नम्रता" है।
अगर ये सारे गुण आप मे है तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता है।।
इनमे से कुछ गुण जो है वो सबों में पाए जाते है,मगर कुछ को हम पहचान ही नही पाते है,जो हमें लगता है की हम में ये गुण है,मगर वो होते ही नही।।
हमें लगता है की हम अपने प्रति ईमानदार है,मगर ऐसा होता नही,हम अक्सरहाँ अपने ईमानदारी का प्रदर्शन दूसरे के नजर में अच्छे होने के लिए करते है,मगर हम खुद के प्रति ईमानदार नही होते,जरा मनन करे कि क्या में अपने प्रति ईमानदार हु।।
दूसरा जो है वो दृढ़-निश्चयी ये गुण शुरुआत में रहते तो है,मगर जो ही अपने कार्य मे या कोई विपरीत परिस्थिति आता है तो ये दृढ़-निश्चयी का दिखवापन फुस हो जाता है।।
यही हाल धैर्य के साथ भी होता है,जो ही हमारे हिस्से में कुछ असफलता हाथ लगती है,त्योंही हमारा धैर्य टूट जाता है।
किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए अपने प्रति आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है,कभी-कभी हम लक्ष्य के करीब होते है,की हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है,ओर हम हाथ खड़ा कर देते है,ओर जिंदगी भर अफसोस करते है,काश दो कदम ओर चल लेते।।
सबसे बड़ा जो गुण है,अगर वो आपमे नही है तो आप सफल होके भी असफल हो जाएंगे,इसिलिय अपनी दिनचर्या में नम्र स्वभाव को शामिल करें,सबो के प्रति नम्र रहे,चाहे वो आपका दुश्मन ही क्यों न हो।
अगर ये सारे गुण आपमे है,तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता,हां ये गुण जन्मजात नही होते,न ही अच्छी और खराब परिवरिश के कारण ही होते है।
इसे तो खुद आपको ही अपने आदत में शुमार करना होता है।।
हां सफलता एक रहस्य ही तो है,
मगर सबके लिए ये अलग-अलग हो सकते है,मगर कुछ समानताएं सबों में एक जैसी होती ही है,बिना इसके सफल हो पाना मुमकिन ही नही नामुमकिन है।
इनमें से कुछ रहस्य का जिक्र करता हु,
*सबसे पहला रहस्य जो है,वो "धैर्य" है।
*दूसरा अपने लक्ष्य के प्रति "दृढ़-निश्चयी"।
*तीसरा "आत्मविश्वास"।
*चौथा "अपने प्रति ईमानदार"।
*पांचवा जो है वो "नम्रता" है।
अगर ये सारे गुण आप मे है तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता है।।
इनमे से कुछ गुण जो है वो सबों में पाए जाते है,मगर कुछ को हम पहचान ही नही पाते है,जो हमें लगता है की हम में ये गुण है,मगर वो होते ही नही।।
हमें लगता है की हम अपने प्रति ईमानदार है,मगर ऐसा होता नही,हम अक्सरहाँ अपने ईमानदारी का प्रदर्शन दूसरे के नजर में अच्छे होने के लिए करते है,मगर हम खुद के प्रति ईमानदार नही होते,जरा मनन करे कि क्या में अपने प्रति ईमानदार हु।।
दूसरा जो है वो दृढ़-निश्चयी ये गुण शुरुआत में रहते तो है,मगर जो ही अपने कार्य मे या कोई विपरीत परिस्थिति आता है तो ये दृढ़-निश्चयी का दिखवापन फुस हो जाता है।।
यही हाल धैर्य के साथ भी होता है,जो ही हमारे हिस्से में कुछ असफलता हाथ लगती है,त्योंही हमारा धैर्य टूट जाता है।
किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए अपने प्रति आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है,कभी-कभी हम लक्ष्य के करीब होते है,की हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है,ओर हम हाथ खड़ा कर देते है,ओर जिंदगी भर अफसोस करते है,काश दो कदम ओर चल लेते।।
सबसे बड़ा जो गुण है,अगर वो आपमे नही है तो आप सफल होके भी असफल हो जाएंगे,इसिलिय अपनी दिनचर्या में नम्र स्वभाव को शामिल करें,सबो के प्रति नम्र रहे,चाहे वो आपका दुश्मन ही क्यों न हो।
अगर ये सारे गुण आपमे है,तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता,हां ये गुण जन्मजात नही होते,न ही अच्छी और खराब परिवरिश के कारण ही होते है।
इसे तो खुद आपको ही अपने आदत में शुमार करना होता है।।
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