बुधवार, 30 नवंबर 2022

समस्या और व्यक्तित्व

 


इस धरा पे शायद ही कोई हो..

जिसे समस्या का सामना न करना पड़ा हो। जिसने जितनी बड़ी समस्याओं से लड़ा उसका व्यक्तित्व उतना ही बड़ा हो गया।

जरा सोचिए ... हम अपने व्यक्तित्व को निखारना तो चाहते है,मगर समस्या से नही लड़ना चाहते , हमेशा इस उधेड़-बुन में लगे रहते है कि किस तरह समस्याओं से बचा जाय।

अच्छा किसी एक व्यक्ति का नाम बताइये ...

जो लोकप्रिय हो,जिसे गूगल पे सर्च किया जा सके। या फिर आप अपने परिवार या समाज मे ही किसी सफल व्यक्ति को देखिए..।। क्या उसने कभी समस्या का सामना नही किया होगा..?? पढ़ना बंद कीजिए और जरा सोचिए🙇....

हां तो सोचा हो गया..।।

क्या निष्कर्ष निकला.. हो सकता है आप किसी निष्कर्ष पर न भी पहुंचे हो.. क्योंकि हमारा दिमाग समस्याओं का आदि हो गया है,उसके समाधान का नही।।

क्या आपको एक बात पता है🤔...

समस्या के समाधान में वो ताकत है कि आपको भगवान बना दे.. ।। तो चलिए सबसे पहले भगवान की ही बात करते है..।

राम भारत के जनस्मृति में सबसे लोकप्रिय नाम है.. हम उन्हें पूजते ही रह गए, उसने जो सीख दी उससे कुछ सीखा ही नही।। राम से वो श्रीराम कैसे बन गए इस और हमारा ध्यान गया ही नही, जरा सोचिए🤔 आखिर वो कौन सी चीज थी जिसने उन्हें राम से श्रीराम बना दिया.।।

श्रीराम समस्या से भागे नही,उन्होंने सामना किया,जब पूरे राज्य में उनके राज्यभिषेक की घोषणा हुई,और अगले ही दिन जब उन्हें वनवास हुआ तो उन्होंने ये नही कहा कि ये कैसा न्याय है..?? उन्होंने उस समस्या का सामना किया,और खुशी से वन चले गए,न कि ये बोलते हुए की मेरे साथ बुरा हुआ। 

अगर ये घटना हमारे आपके साथ हुआ होता तो क्या होता .. आप क्या करते..?? जरा सोच के बताइये..

 हम तो छोटे-छोटे चीज पे नाराज हो जाते है..।

यही नही जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो वो बैठे नही रहे.. बल्कि सीता को खोज कर रावण का वध किया।। हम कितनी आसानी से ये बात कह देते है.. राम ने रावण को मार,मगर कैसे मारा इस बात पे चर्चा नही करते..।।

कंहा रावण.. जिसकी कीर्ति चहु दिशा में है,उसके शौर्य का,उसके पराक्रम का,उसके राज्य के वैभवशाली का.. और कंहा राम.. अयोध्या का एक साधारण सा राजकुमार.. जिसकी राज्य की सीमा शुरू होते ही सरयू के तट पे खत्म हो जाती है। कंहा रावण,जिसकी राज्य की सीमा खत्म होती ही नही है,बाजू में उसके जितनी ताकत बढ़ती जाती है ,उतनी उसकी सीमा बढ़ती जाती है।।

राम ने उससे लड़ा, सिर्फ लड़ा ही नही,बल्कि उसपे विजय पाया.. उसके राज्य की सीमा को लांघते हुए उसके ही घर मे धराशायी किया।।

कैसे...?? जरा सोचिए... राम ने  हमारे आपके तरह रोना नही शुरू किया,मेरे पास सेना नही है,मेरे पास अस्त्र नही,मेरे पास संसाधन नही है..।। उन्होंने उस परिस्थिति का सामना किया जो था उसका सही दिशा में उपयोग किया.. जंगल मे ढेर सारे वानर(जनजाति) थे,उसीसे अपने सेना का निर्माण किया।। समुन्द्र पार करने के लिए योजना बनाई और उसपे पुल का निर्माण किया।। जब लक्ष्मण को वाण लगा तो,हिम्मत जुटाई और उस भगवान पे आस्था रखा क्योंकि उसे पता था कि में सही दिशा पे जा रहा हूँ।। इसीलिए आप भी आस्था रखिये उस परमपिता पे .. अगर आप सही दिशा पे जा रहे है तो सही परिणाम जरूर मिलेग।।

 जब रावण अपने दिव्य रथ पे लड़ने आया तो राम ने ये नही कहा कि ये क्या हो रहा है,उन्होंने सामना किया,और राम के मदद के लिए देवता भी आगे आये और उन्होंने राम को भी दिव्य रथ दिया।। इससे हमें ये सीख मिलती है कि जब आप सही दिशा में बढोगे तो जरूर आपकी मदद करने के लिए कई लोग आएंगे।।

और किसकी चर्चा करू.. जिन्होंने समस्याओं का सामना करके महान व्यक्तित्व बन गये.. कृष्ण,बुद्ध,विवेकानंद,गांधी,बोस, या फिर वर्तमान में हमारे प्रधानमंत्री.. कितनों का नाम लूं.. असंख्य नाम है,जिन्होंने समस्याओं का सामना करके इस धरा पे अपनी अमिट छाप छोड़ी है..।।

क्योंकि उन्होंने समस्या का सामना किया.. उससे भागे नही , समस्या को टाले नही,उससे सामना किया और समस्या का हल ढूंढा..।।

अब आप भी सोचिए... 

क्या आप सफल होना चाहते है...??? अगर हां, तो अब से समस्या का सामना कीजिये,और उसका हल ढूंढिये,बैचैन होके नही,चेहरे पे एक मुस्कान😊 रखके..।।

हरेक समस्या का हल है,और उसका हल हमें तबतक नही मिलता, जबतक की हम समस्या का सामना नही करते..।।

हां जाते-जाते एक बात और... अगर आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिले,जिसने समस्या का सामना किये बिना ही सफल हो गया है तो,जरूर बताइएगा..😊।।

सोमवार, 21 नवंबर 2022

तुम वो नही ,जो दिखते हो


तुम वो नही ,जो दिखते हो।

तुम वो हो,जो दिखते नही ..।।

तराशो अपने आप को,

कुरेदे अपने आप को,

भट्टियों में तपाओ अपने आप को,

तब पता चलेगा..

तुम वो हो,जो दिखते नही ।।


ओढ़े हुए केंचुल को नोच फेंको,

उस आइने को तोड़ फेको,

जिसमें खुद को देख रहे हो..

तब ही खुद से साक्षात्कार होगा,

तुम वो हो,जो दिखते नही ..।।


समय आ गया, अब न देर करो..

अगर अब नही,तो फिर कब..?

खुद से साक्षात्कार करोगे..

तुम वो नही ,जो दिखते हो।

तुम वो हो,जो दिखते नही ...।।


रविवार, 20 नवंबर 2022

हार कर हारना, क्या हार है..



हार कर हारना, क्या हार है..

जिस हार से,हार का अहसास न हो,

वो हार भी क्या हार है..।


वो हार भी क्या हार है..

जिस हार से मन द्रवित न हो,

सीने में आग प्रजवल्लित न हो,

आँखों मे क्रोध की ज्वाला न हो,

और अपनी कमियों को,

भट्टियों में झोंकने की ताकत न हो,

वो हार भी भला क्या हार है..।


वो हार भी भला क्या हार है..

जो नए कीर्तिमान रचने को विवश न करें,

वो हार भी भला क्या हार है..

जो स्वर्णिम अक्षरों में नाम न खुदवा दे..

वो हार भी भला क्या हार है..

जो खुद से खुद का आत्म-साक्षात्कार न करा दे..

वो हार भी क्या हार है..

जिस हार से, हार का अहसास न हो..।।


शनिवार, 19 नवंबर 2022

कमर कस हुंकार भर


 हार कर, उदास होकर बैठने से क्या होगा

जबतल्क मंजिल न मिले , तबतल्क रुकना गुनाह है..।

हार कर ही हिमालय फतह हुआ,

हार कर ही समुन्द्र की गहराइयां पता चला,

हार कर ही आसमां की उचाइयां पता चला,

बिना हारें, किसी का अमिट अक्षर में कंहा नाम हुआ..

जबतल्क मंजिल न मिले , तबतल्क रुकना गुनाह है..।


अपने हार को भी जीत में तब्दील कर,

तू इस कदर कर्म कर, की हारकर भी जीत का अहसास हो।

वो जीत भी क्या जीत है..

जिस जीत से, हार की खुश्बू आती नही।

वो जीत भी क्या जीत है..

जिससे खुद का साक्षात्कार का अहसास न हो।

वो जीत भी क्या जीत है..

जिससे अपनों का अहसास न हो।।


अपने हार को भी जश्न बना..

जिस हार ने तेरी कमजोरियां दिखाई ..।

क्योंकि यंहा कौन है..??

जो तेरी कमजोरियां दिखायेगा..।

अपने हार का भी सम्मान कर..

जिस कदर करता गुरु का सम्मान है..।

अपने हार का भी आदर कर,

जिस कदर करता बड़ों का आदर..।।


मगर ये हार का सिलसिला कब तक चलेगा..

जब हार कर भी, हार का अहसास न हो...।

तब समझ ले तू, जीत के काबिल नही है..

अगर थोड़ी भी, आन-शान बचा हो

तो जीत के लिए जी-जान झोंक दे..।।


जब हार का अहसास न हो..

तो तू समझ ले, 

तू जीत के काबिल नही..।

क्योंकि तेरी कमियों ने तुझे जकड़ लिया है,

जीते-जी मृतप्राय होने से पहले,

इस जकड़न को तोड़ कर तू, जीत का स्वाद चख ले..।।


उस जीत से भी बड़ी जीत होगी,

जब अपनी कमियों के केचुल को उखाड़ फेंकोगे..।

क्योंकि जो अपनी कमियों पे विजय पा ले,

उसे जीतना सब आसान है..।।


कमर कस, हुंकार भर। 

अपनी कमियों को ललकार कर,

युद्धभूमि में सीना तानकर..

अपने कमियों पर प्रहार कर..।

अपने तरकश से पहला बाण निकालकर,

अपने काम(क्रोध,मोह) पर तुम वार कर।

दूसरे बाण से तुम अपने आलस्य पर प्रहार कर।

और तीसरे बाण से तुम अपने अंतर्द्वंद्व पर वार कर।

अगर इससे भी न हो, तो आखरी अस्त्र इस्तेमाल कर,

 पुनर्जीवन(ध्यान) को स्वीकार कर..

फिर से अंकुरित होकर अपने आप को स्वीकार कर..।।


गुरुवार, 17 नवंबर 2022

आज वो फिर रोएगी..

आज वो, फिर रोएगी..

मुझसे कंही ज्यादा,

क्योंकि मुझसे कंही ज्यादा उसने मेहनत की है..

मैं तो अपनी खामियां जानकर खुद को समझा लूंगा..

मगर वो खुद को कैसे समझाएगी..।।

बेवजह उस खुदा पे, और अपने कर्मों पे खिजेगी वो,

कैसे कहु मैं..

मैं अपनी असफलताओं के लिए, खुद ही जिम्मेदार हूँ..।।

आज वो फिर रोएगी,

मुझसे कंही ज्यादा..।।


हिम्मत नही है..


 हिम्मत नही है कि फोन करू,

या फिर मैं,निर्लज्ज हूँ..

शायद निर्लज्ज ही हूँ,

इसिलए तो असफलताओं की इमारत बनाये जा रहा हूँ।।

इस इमारत में,

मेरा ही नही , मेरे माता-पिता का भी दम घुट रहा है..

मेरे चाहने वालों को भी जख्म हो रहा है..।।

कब इन इमारतों को धराशायी करके,

सफलता का इमारत गढुंगा मैं..??

इन असफलताओं की बढ़ती हुई इमारतों की तरह,

मेरे उम्र के साथ,मेरी आकांक्षाएं भी धूमिल हो रही है...।।

शायद मेरी सफलता ही.. 

सिर्फ और सिर्फ मेरी सफलता ही...

इन असफलताओं के इमारतों के साथ मेरे ढलते हुई उम्र को भी धराशायी कर सकता है..

मगर कब..??