सोमवार, 21 नवंबर 2022

तुम वो नही ,जो दिखते हो


तुम वो नही ,जो दिखते हो।

तुम वो हो,जो दिखते नही ..।।

तराशो अपने आप को,

कुरेदे अपने आप को,

भट्टियों में तपाओ अपने आप को,

तब पता चलेगा..

तुम वो हो,जो दिखते नही ।।


ओढ़े हुए केंचुल को नोच फेंको,

उस आइने को तोड़ फेको,

जिसमें खुद को देख रहे हो..

तब ही खुद से साक्षात्कार होगा,

तुम वो हो,जो दिखते नही ..।।


समय आ गया, अब न देर करो..

अगर अब नही,तो फिर कब..?

खुद से साक्षात्कार करोगे..

तुम वो नही ,जो दिखते हो।

तुम वो हो,जो दिखते नही ...।।


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