सोमवार, 9 जनवरी 2023

लता भगवान करे... क्या आप इन्हें जानते है..

"लता भगवान करे".. 



शायद आपने ये नाम सुना भी नही होगा.. सुनियेगा कैसे... क्योंकि ये हमलोगों से खास है..।।

जब लोग रिटायरमेंट ले के घर पकड़ लेते है, तब ये मैराथन में भाग लेती है, शौक से नही, मजबूरी के कारण.. मगर जीतती है। इस उम्र में लोगों की जब कमर सीधी नही होती,तब ये सिर्फ दौड़ती ही नही, बल्कि जीतती है..।।

चलिए 'लता भगवान करे' के जीवन के उस पहलू पे नजर डालते है,जो उन्हें उन भारतीयों महिलाओं के श्रेणी में लाकर रखता है, जो पूजनीय है..।।

चाहे कोई भी भारतीय माँ और बहन हो, वो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है..।। मगर वर्तमान के पूंजीवादी संस्कृति इस छवि को धूमिल कर रही है,मगर कितना करेगी,हमारी आत्मा तो नही बदल सकती..।।

सच्चा भारत गांव में ही बसता है,उसी लाखों गाँवो में से एक महाराष्ट्र के बारामती के पास रहने वाली लता भगवान करे है। 2014 में इनके पति का तबियत इतना खराब हो गया कि इन्हें अच्छे इलाज के लिए ज्यादा पैसों का जरूरत था, आसपास जे लोगों से पैसा इकट्ठा करके हॉस्पिटल में इलाज करवाने के लिए गई,मगर कुछ ही दिन बाद इनके पास MRI कराने का पैसा नही था।। हताश निराश हॉस्पिटल के बाहर चाय के दुकान में बैठकर जब कुछ खा रही थी,तब उन्हें उस पेपर कटिंग में मैराथन के बारे में पढ़ा..।।

और उस मैराथन में भाग लेने के लिए चल गई, शुरुआत में तो इन्हें इनकार कर दिया गया। मगर बहुत अनुरोध करने पर इन्हें भाग लेने दिया गया... तब इनकी उम्र 65 के आसपास था.. मैराथन दौड़ 3km का था..।।

आप जरा सोचिए एक 65 साल की महिला 3km की दौड़ में भाग ले रही है... क्या आपके रोंगटे नही खड़े हो रहे है..।।

'लता भगवान करे' साड़ी पहन कर दौड़ने को तैयार थी, दौड़ शुरू ही हुई थी, कि इनकी चप्पल टूट गई , ये नंगे पांव दौड़ना शुरू कर दी.. तबतक दौड़ती रही जबतक सबसे आगे और जीत नही गई..।।

इन्हें इस मैराथन से जो 5 हज़ार रुपया मिला उस पैसों से पति का MRI करवाया..।।



आखिर ऐसी कौन सी ऐसी चीज थी जिसने उन्हें जीतने को विवश किया...??? 

जरूरत... अगर आप अपनी जरूरत जानते है, तो आप हरेक सीमाओं को तोड़ सकते है,आप नए कीर्तिमान रच सकते है..।।

लता भगवान करे जैसी महिला हरेक भारतीय घर में है, जो समय आने पर सबकुछ न्यौछावर कर सकती है..। 

मगर कब...??

जब आप उन्हें होने का अहसास होने देंगे....।।

'लता भगवान करे' के ऊपर मराठी में फ़िल्म भी बनी जिसमें इन्होंने अपना किरदार स्वयं निभाया..। 2020 में इस फ़िल्म को 67वॉ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में विशेष उल्लेख(special mention) के लिए सम्मानित किया गया।।



जरा आप सोचिए🤔...??

65 साल के उम्र में कोई महिला मैराथन में साड़ी पहन कर दौड़ती है, और वो जीतती भी है..। फिर 68 साल के उम्र में सारा जीवन खेतों में काम करने वाली वही महिला फिल्मों में काम करती है...। और उस फ़िल्म को सम्मानित भी किया जाता है..।।

आप क्या सोचते है इसके बारे में..

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