अगर कोई आत्महत्या करता है तो उसके लिए सिर्फ वही व्यक्ति नही बल्कि पूरा परिवार और समाज उसके लिए जिम्मेदार होता है..।।
शनिवार, 27 अप्रैल 2024
सोमवार, 22 अप्रैल 2024
ब्रेकर
जब आप चलाते वक्त पूर्णतया मिजाज में होते हो और अपने यात्रा का आनंद ले रहे होते है कि अचानक ब्रेकर आ जाता है..
और आपका पूरा मिजाज गड़बड़ हो जाता है..
ऐसा हमसब के साथ कभी न कभी जरूर होता है..
आखिर रास्ते पर उस ब्रेकर की क्या अहमियत है..
आपने कभी सोचा है..??
सोचिए..🤔
उस ब्रेकर का वंहा होने का एक ही उद्देश्य होता है..
और उसका उद्देश्य हमें सतर्क,सावधान और जागृत करने के लिए होता है कि आप सड़क पे है..।।
इसी तरह हमारे जिंदगी में भी ब्रेकर आते है..
और वो ब्रेकर हमारी असफलता की तरह आते है..
इसिलिय अपनी असफलता से घबराए नही बल्कि सतर्क हो जाये..
क्योंकि आप जिंदगी की रेस में दौड़ रहे है..
और आपकी असफलता आपको जागृत करने के लिए आई है,आपके अपने कमियों को दूर करने के लिए आई है..।।
"असफलता सिर्फ असफलता ही नही,
बल्कि सफलता की कुंजी है.."
इसिलिय जब भी असफल हो तो उस सड़क के ब्रेकर को याद करें..जो आपको याद दिलाती है कि आप सड़क पे है..और ब्रेकर आएगा ही..अगर हम सतर्क और जागृत रहे तो सफर अच्छा गुजरेगा....
आपकी असफलता अगर आपको हताश और निराश करती है तो बुरा नही है..
मगर आपकी असफलता आपके अंदर फिर से लड़ने को खून का उबाल नही भरती हो..
फिर से जितने का जोश ना भरती हो..
सारी हदों से गुजर जाने को विवश न करती हो..
तो सोचना जरूरी है..की क्या आप जीतना चाहते है..??
रविवार, 21 अप्रैल 2024
असफलता से सफलता की और
मगर असफल लोगो की नही सफल लोगो की..
उन कहानियों में कुछ ही कहानियां प्रचलित होती है..
जिन कहानियों में संघर्ष की खुशबू और असम्भव सी प्रतीत होने वाली सफलता समाहित होती है..
मेरी भी कहानियां प्रचलित होने वाली है..
क्योंकि मेरी भी कहानियां असम्भव को संभव करने वाली है..
मैं आज,अभी कुछ भी नही हूँ,मेरा कोई अस्तित्व नही है..
मगर कल किसने देखा है..
कल मेरी भी कहानियां प्रचलित होगी..
क्योंकि असफलता को सफलता में परिवर्तित करने जा रहा हूँ
एक नया कीर्तिमान रचने जा रहा हूँ..
एक नया अध्याय लिखने जा रहा हूँ..
जो बहुत कुछ बदलने वाला है..
क्योंकि मैं,अपनी असफलताओं को पीछे छोड़ सफलता की और जा रहा हूँ..
बुधवार, 10 अप्रैल 2024
आपने कभी सोचा है..सारे अवतारों का सबंध धनाढ्य परिवार से ही क्यों था..??
हम भगवान को कब पूजते है..
जब हम खुद को असहाय पाते है..।
कबीरदास जी कहते है..
"दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोई
जो सुख में सुमिरन करें,तो दुःख काहे को होई..।।
-इस दोहे के अनेक अर्थ निकाला जा सकता है..
उसमें से एक नजरिया ये भी है कि अगर आप सुखी हो तो आपको भगवान की जरूरत नही है..
सारे अवतारों का सबंध धनाढ्य परिवार से ही क्यों था..??
चाहे वो.. राम हो,कृष्ण हो,बुद्ध,महावीर या नानक ही क्यों न हो सब आर्थिक रूप से समृद्ध थे..
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस्लाम के प्रेणता मुहम्मद साहब को भी भगवता की प्राप्ति तब होती है जब उनकी शादी धनाढ्य परिवार में होता है..
वर्तमान में सबसे बड़ा धर्म ईसाई है और इसके प्रेणता ईसा मसीह थे..इन्हें खासकर गरीबों के मसीहा के रूप में देखा गया और इसिलिय इन्हें भी गरीब बना दिया गया..
मगर कुछ आलेखों से पता चलता है कि इनका भी परिवार आर्थिक रुप से संपन्न था,उस समय बढई का काम सम्मानजनक काम था..और इनके पिता आर्थिक रूप से संपन्न था..
मगर जब ये पिछड़ों और परताडितो की आवाज बनने लगे तो इन्हें भी गरीब परिवार से जोड़ दिया गया..
आपको जानकर हैरानी होगी कि पूंजीवाद की बीज इन्होंने बोई थी..।।
ऊपर की पंक्तियों को पढ़ने के बाद आपके अंदर क्या विचार आ रहा है..??
आप फिर सोचिए आखिर क्यों सारे अवतार आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में ही पैदा हुए..??
अगर वो गरीब परिवार में पैदा होते तो क्या उन्हें कोई जान पाता..??
आपको बता दू की बुद्ध के समय मे बुद्ध जैसे 16 कैवल्य को प्राप्त करने वाले व्यक्ति थे..मगर सिर्फ बुद्ध के ही विचार क्यों फला-फुला..??
क्योंकि उनका संबंद्ध एक राजघराने से था और हरेक क्षेत्र के राजा उन्हें हरेक क्षेत्र में हरेक तरीकों से मदद करते थे..
यही महावीर के साथ भी हुआ..।।
आप जरा अपने बारे में सोचिए आप भगवान को कब याद करते है😊..??
जब आप असहाय होते है..।।
अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हो जाये तो..
शायद भगवान की उतनी जरूरत नही पड़ेगी..।।
इसिलिय आप अपनी आर्थिक संपन्नता पर ध्यान दे..
तुलसीदास जी कहते है..
"समरथ को नहिं दोष गुसाईं "
- अगर आप समर्थवान(आर्थिक,शारीरिक,मानसिक) है तो आप कुछ गलत भी करते है तो आपको कोई दोष नही लगेगा..।
यानी आपके खिलाफ कोई बोलने से बचेगा..
इसिलिय अपने आप को समर्थवान बनाने पर ध्यान दे..
कबीरदास जी कहते है..
"पाथर पूजे हरि मिले तो मैं पुजू पहाड़,
घर की चाकी कोई न पूजे,जाको पीस खाई संसार"
कबीरदास जी का भी कहने का तात्पर्य यही है कि आप उस और अपनी ध्यान लगाए,जिससे आप संपन्न हो..।।
आपने कभी सोचा है..
अक्सरहाँ लोग केदारनाथ,बद्रीनाथ,इत्यादि जगहों पे क्यों नही जा पाते..??
क्योंकि वो आर्थिक रूप से संपन्न नही है..
जबतक आप आर्थिक रूप से संपन्न नही होंगे,तबतक आप भगवान के करीब नही जा सकते..
मगर आप इसे आध्यातिमकता से जोड़ के मत देखिएगा..आध्यत्म का संबंध बहुत ही विस्तारित है,जितना ब्रह्मांड विस्तारित है..
अध्यात्म में जाने के लिए शून्यता की और अग्रसर होना पड़ता है..
और भगवान के करीब जाने के लिए आर्थिक संपन्नता की और जाना पड़ता है..
और आनंद की प्राप्ति के लिए भक्तिमय होना पड़ता है..।।
निर्णय आपको करना है कि आपको क्या करना है..
अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न होते है तो आपके लिए अध्यात्म,भक्ति,और भगवान के दरवाजे भी खुल जाएंगे..
मंगलवार, 9 अप्रैल 2024
प्यार की पांति.. मैं तुम्हें भूलना चाहता हूं..
मैं तुम्हें भूलना चाहता हूं..
मगर भूल ही नही पाता हूँ..
मैं किसी और के प्यार में पड़ना चाहता हूं..
मगर तुम्हरी यादें पड़ने नही देती..
मालूम नही, क्यों नी..
अब भी मैं तुम्हारे करीब क्यों हूँ..
जबकि मैं तो तुम्हारे अस्तित्व पे ही सवाल उठाने लगा था..
मैं जब भी तुम्हें भूलना चाहू..
तुम किसी न किसी तरह याद आ ही जाती हो..
आखिर क्यों..
किस तरह अपनी भावनाएं व्यक्त करू..मैं..
किस्मत ने चाहा तो कभी किसी मोड़ पे मिलेंगे..
तुम मेरी आँखों मे देखना..
सबकुछ समझ आ जायेगा..।।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2024
हँसना जरूरी है..
आपने कभी सोचा है..
अगर कुकर में सीटी न दे तो क्या होगा..??
शायद खाना जल जाए..
या फिर कूकर ब्रस्ट कर जाए..
हमारी हँसी भी यही करती है..
हमारे अंदर जमें अवसाद/मनोविकृति को बाहर करती है..
अगर हम न हँसे तो क्या होगा..??
वही होगा जो कूकर में सीटी न देने से होगा..
इसिलिय हँसना जरूरी है..।।
मगर आज हम भागमभाग भरी जिंदगी में हँसना भूलते जा रहें है..यंहा तक कि हमारे फिल्मों से हंसी वाले किरदार गायब होते जा रहे है..😞
आखिर हमें हो क्या गया है..??
हँसने के अनेक फायदे है..
जब हम हंसते है तब एंडोफ्रिन नामक हार्मोन का रिसाव होता है जिससे तनाव और दर्द को कम करता है..
साथ ही हमारे रक्तचाप और पाचन क्रिया को बेहतर करता है..
हँसने से डोपामिन और सेराटोनिन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है जिससे हमारा मुड़ बेहतर होता है,और हमारा आत्मविश्वास को बढ़ाता है..।।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हँसने वालों की यादाश्त और एकाग्रता क्षमता अधिक होती है..
ये जानते हुए भी हम मुँह पर हाथ रखकर हंसते है..😊
आज के समय दिनप्रतिदिन जिंदगी एकाकी होती जा रही है,और इस परिस्थितियों में हंसना बहुत मुश्किल है..
मगर हम इसे सरल बना सकते है..
आखिर कैसे..??
-सुबह की शुरुआत आइने में देखने से शुरू करें और एक लंबी मुस्कान दे..
-अपने बीते हुए कल को याद करें, और उन गलतियों को ढूंढे जो मूर्खतापूर्ण थी..
-अपने बचपन के दोस्तों के साथ बात करें..
- अगर हो सकें तो 5 से 10 मिनट की कोई कॉमेडी क्लिप या मूवी देख सकते है..।।
जिस तरह कुकर से सीटी निकलना जरूरी है,उसी तरह हँसना जरूरी है..
अन्यथा आप तो जानते ही है कि क्या परिणाम होगा..
सोमवार, 1 अप्रैल 2024
वो कौन था..
वो तुम्ही तो थे..
जो ठान लेते थे,वो कर लेते थे..
वो तुम्हीं तो थे..
जो एक बार आगे बढ़ने के बाद पीछे मुड़ा नही करते थे..
वो तुम्हीं तो थे..
जो असहाय परिस्थितियों में भी,
निरंतर आगे ही बढ़ा करते थे..
वो तुम्हीं तो थे..
जो,ना चाहते भी,
उस कार्य को करते थे,जो जरूरी था..
वो तुम्हीं तो थे..
आखिर तुम्हें हुआ क्या है..??
जो लक्ष्य से भटक गए हो..
और उन जलती हुई आशाओं के लौ को,
बुझने के लिए विवश कर रहें हो..
वो तुम्हीं तो थे..
जो अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित किये थे..
तुमने ही आशाओं के लौ प्रज्वलित किये थे..
तो फिर क्यों..??
तुम हार से गए हो..
इस तरह हारने से बेहतर तो,लड़ के हारना है..
वो तुम्हीं तो थे..
जो हार में भी जीत का जश्न मनाया करते थे..
और अपने लिए उस हार में से भी,
जीत का सूत्र ढूंढ लिया करते थे..
आखिर तुम्हें हुआ क्या है..??
वो तुम्हीं तो थे..
जो अपनी इच्छाओं को दमन करके,
अपने लक्ष्य की और अग्रसर रहा करते थे..।
जेब मे एक फूटी कौड़ी न रहने के बावजूद भी
अपने लक्ष्य को हासिल करने का रुतबा रखा करते थे..।
आखिर तुम्हें हुआ क्या है..??
वो तुम्हीं तो थे..
जो बार-बार हारने के बाद भी,
मैदान में उतर जाया करते थे..।
अब ये आखरी लडाई है..
जी जान लगा दो तुम..
क्या पता..
ये आखरी लड़ाई इतिहास बन जाये..
और तुम कंही इस इतिहास का नायक बन जाओ..।।
वो कौन था..
वो तुम्हीं तो थे..
जो ठान लेते थे, कर लेते थे..
इस बार भी कर के दिखाना है..
और एक नई रीत चलाना है..
असंभव को संभव करके दिखाना है..
वो तुम्हीं तो थे..।।
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