मगर भूल ही नही पाता हूँ..
मैं किसी और के प्यार में पड़ना चाहता हूं..
मगर तुम्हरी यादें पड़ने नही देती..
मालूम नही, क्यों नी..
अब भी मैं तुम्हारे करीब क्यों हूँ..
जबकि मैं तो तुम्हारे अस्तित्व पे ही सवाल उठाने लगा था..
मैं जब भी तुम्हें भूलना चाहू..
तुम किसी न किसी तरह याद आ ही जाती हो..
आखिर क्यों..
किस तरह अपनी भावनाएं व्यक्त करू..मैं..
किस्मत ने चाहा तो कभी किसी मोड़ पे मिलेंगे..
तुम मेरी आँखों मे देखना..
सबकुछ समझ आ जायेगा..।।
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