शुक्रवार, 21 मार्च 2025

किसी से उलझे नही..

हममें से शायद ही कोई होगा..
जो किसी से कभी उलझा ना होगा..।



बचपन(3-12वर्ष की आयु) में तो सभी उलझते है..
उलझना भी चाहिए...क्योंकि हम जबतक उलझेंगे नही, तबतक उलझने और सुलझने की अहमियत कैसे पता चलेगा..।।

•मगर जब हम युवावस्था(13-30) में आते है..
तब भी उलझते है..
इस समय हम 2 तरह से उलझते है..
¡.पहले, अपने अधिकारों और जब अन्याय होते हुए देखते है तब उलझते है..जो सही ही नही,बल्कि पूर्णतया सही है..।
¡¡. दूसरा,हम यू ही उलझते है..किसी का मजाक उड़ाते हुए,तो अपने ईष्या, द्वेष,लालसा,स्वार्थ और अपनी अहम के हितों के लिए..। जो कि बिल्कुल गलत है,अगर इसे युवावस्था में पहचान कर इस कमियों को दूर नही किया तो ये ताउम्र हमारे साथ रहता है..।

•मगर जब हम प्रौढ़ावस्था(31-60) में आते है तो हममें से अधिकांश लोग उलझने से बचने लगते है,जो कि बिल्कुल सही है..।क्योंकि हम जब किसी से उलझते है,तो सिर्फ अपना समय ही जाया नही करते बल्कि अपने व्यक्तित्व का भी ह्रास करते है..।
आपने अक्सरहाँ सुना होगा..
"यार मैं तो सोचता था ये तो बड़ा अच्छा आदमी है,
  मगर ये तो बड़ा ..........निकला"।
आखिर ऐसा क्यों हुआ..
क्योंकि उन्होंने उलझने का जिम्मा उठाया..
बिना ये जाने की आगे वाला व्यक्ति कैसा है..।।

"उलझना बुरा नही है,आप किस से,और क्यों उलझते है ये महत्वपूर्ण है.."।

प्रौढ़ावस्था में आने के बाद अक्सरहाँ लोग उलझने से बचते है..
तबतक जबतक कोई आंच व्यक्तित्व पे ना आये..इस समय भी वो कोई रास्ता तलाशते है..बिना खुद आगे आये इसे सुलझाने की कोशिश करते है..ऐसे ही लोग सफल होते है..।।
हां कभी-कभी इसका खामियाजा उठाना पड़ता है..क्योंकि कुछ लोग आपका फायदा उठाते है..मगर कोई बात नही..
आप सुकून से जीते है,और वो ताउम्र दुविधा में जीते है..।।

आप जरा सोचिए...
आप घर से ट्रैन पकड़ने के लिए निकलते है,और रास्ते में ऑटो वाला आपको आधे रास्ते में उतार देता है, ये कहकर की आपको दूसरा ऑटो पकड़ा देते है..2 पैसेंजर लेकर हम कंहा जाए..आप उससे उलझ जाते है..और कहते है कि स्टेशन नही जाना था तो पहले ही बोलना था ना.. ऑटो वाला अपनी गलती स्वीकारता है मगर आप तब भी उससे बहस कर रहे है..।
अंत मे आप दूसरा ऑटो पकड़ते है..मगर जब आप शहर में एंट्री करते है तो ट्रैफिक बहुत रहता है..और आपकी नजर बार-बार घड़ी पे जाता है..कंही ट्रैन छूट ना जाये..किसी तरह ट्रैफिक घटती है और आप स्टेशन पर पहुंचते है..
तो आप देखते है कि आपके सामने से ट्रेन गुजर रही है..
अब आप चाह कर भी उसे नही पकड़ सकते..।।


जरा सोचिए..अब आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा..।
अगर आप ऑटो वाले से न उलझ कर सीधे दूसरे ऑटो में बैठ गए होते तो,क्या आपकी ट्रैन छूटती..।।

अक्सरहाँ हम अपने विचारों को दूसरों पे थोपने के लिए उलझते है..
या फिर खुद को साबित करने के लिए दूसरों से उलझते है.. 
वो भी किसके सामने..जिसके सामने खुद को सत्यापित करके कुछ न मिलने वाला है..ऐसे जगह पर मौन रहना ही बेहतर है..।।

"उलझना बुरी बात नही है,मगर बात-बात पर उलझना बुरी बात है"।

"जिंदगी में अगर आगे बढ़ना है,तो अपने दुश्मनों से भी उलझने से बचें"।

प्रकृति भी हमें यही सिखाती है..
जो पेड़ आपस मे उलझते है वो क्षमतावान होते हुए भी ज्यादा ऊंचे नही उठ पाते..बांस को ही देख लीजिए।
दूसरी तरफ चीर, देवदार, रेडवुड,स्प्रूस इत्यादि येअनेक विपरीत परिस्थितियों का सामना करते है..महीनों बिना पानी के या फिर महीनों बर्फ से ढक्के रहते है या फिर पहाड़ो पे तेज हवाओं के झोंकाओ का सामना करते रहते है..
मगर ये किसी से उलझते नही है...इसीलिये तो ये आसमां की ऊंचाइयों को छूते है..।।

सचिन तेंदुलकर का नाम सुना है..
मुथैया मुरलीधरन का नाम सुना है..
ये दोनों क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज और गेंदबाज है..क्यों..??
क्योंकि इसीलिए की ये अच्छे बल्लेबाज और गेंदबाज थे,नही बल्कि इन्होंने अपने कैरियर में किसी से उलझने का जोखिम नही लिया..।।

इसीलिये जितना हो सके उलझने से बचें..
खासकर ऐसे लोगों से..
जो आपके अपने है..
दूसरे,वो लोग जो आपके ऊपर छींटे उछालते है,आपके पाँव खिंचते है..क्योंकि ये बदलने वाले नही है,आप जितने इनसे उलझेंगे ये आपको उतना ही दलदल में लेते जाएंगे..और आप कभी निकल नही पाएंगे..।
तीसरे वो लोग जिनको आप जानते तक नही..जिनसे गलती तो हो गई मगर वो स्वीकारते नही ऐसे लोगों से नही उलझे..।

क्या उलझे ही नही..??
उलझे..अपने और समाज के अधिकार के लिए,
उलझे..अपने उन्नति के लिए..
उलझे..अपने आत्मसम्मान के लिए(उससे नही जो आपको जानता ही नही)
उलझे..एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए..
उलझे..उसी से,जो आपके स्तर का..बाकी को माफ कर दे या माफी मांग ले..।।
यही है जिंदगी में आगे बढ़ने की रणनीति..।।


सोमवार, 17 मार्च 2025

प्यार की पांति...

तुम बड़ी ईष्यालु हो..
जब भी मेरे करीब कोई आता है..
तुम सरपट दौड़ के चली आती हो..।
आखिर क्यों..??
तुम कंहा हो,कैसी हो..??
मुझे कुछ भी पता नही..
क्योंकि तुम चाहती ही नही..।।
मगर फिर क्यों..??
तुम मेरे जेहन में आती हो..
जबकि मैं तुम्हे याद तक नही करता..
फिर क्यों,
तुम अपनी मौजूदगी मेरे जेहन में दर्ज करती हो..??



जाना कंहा है..

आधी उम्र बीतने को है..
मगर अभी तक पता नही की..
मंजिल कंहा और कौन सा है..।
आधी उम्र बीतने को है..
मगर खुद को पता नही जाना कंहा है..
कुछ मंजिलें चुनी थी मैंने..
मगर नही पहुंच पाया वंहा तक..
वो ऐसी मंजिल थी जंहा से अनेक द्वार तक जाने के रास्ते खुल रहे थे..
इतना ही नही..
पूरी दुनिया मे बदलाव लाने की संभावनाएं तक थी..
मगर नही पहुंच पाया उस मंजिल तक..।।

अब पता नही की..
जाना कंहा है,और करना क्या है..
यू ही दिन चढ़ता है,
यू ही दिन ढलता है..
आधी उम्र बीतने को है..
जाना कंहा है..
पता नही..।।

मंगलवार, 11 मार्च 2025

कर्तव्य का भान..

मनुष्य के सिवा सबको अपने कर्तव्य का भान है..
मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है की 
उसे क्या करना है..
इसका कोई भान ही नही है..।
आखिर क्यों..?
क्योंकि मनुष्य के पास करने को बहुत कुछ है..।
इसलिये अधिकांश मनुष्य इसी उधेड़बुन में लग जाते है कि क्या करना है...
जिस कारण वो कुछ भी नही कर पाते..।।

सोमवार, 3 मार्च 2025

संघर्ष..

संघर्ष से भला कबतक भागोगे..
और कंहा तक भागोगे..।
तुम संघर्ष से जितना भागोगे..
संघर्ष दिन-प्रतिदिन और बड़ा होता जाएगा..
और अगर तुम ऐसे ही भागते रहें..
तो एकदिन संघर्ष के बोझ तले ही दब जाओगे..।।

भला कौन था, या भला कौन है यंहा..??
जिसे संघर्ष का सामना न करना पड़ा हो..
फर्क बस इतना है की..
कुछ लोगों का संघर्ष कोई और ने किया है..
और हमें अपने हिस्से का संघर्ष खुद ही करना पड़ रहा है..
मगर संघर्ष तो सबको करना है,
अगर आप नही,
तो आपके आने वाली पीढ़ी को, आपके हिस्से का संघर्ष करना पड़ेगा..।
मगर संघर्ष तो करना ही होगा..।।



बिना संघर्ष के, किसका उत्थान हुआ है,
बिना संघर्ष के,किसको पहचान मिला है..
बिना संघर्ष के,किसका गुणगान हुआ है..
बिना संघर्ष के,कंहा स्वयं का आत्मसाक्षत्कार हुआ है..
संघर्ष तो करना ही होगा..
स्वयं के निर्माण के लिए,
स्वयं के पहचान के लिए..
स्वयं के अभिमान के लिए..
बिना संघर्ष के, कंहा कोई बच पाया है..?
संघर्ष से भला कबतक भागोगे..
और कंहा तक भागोगे..??
संघर्ष तो करना ही होगा..।।


पथिक..

पथिक हो तुम पथ नही..
जो पथ है,उसे कोई पथिक ने ही बनाया..
क्या ताउम्र पथिक ही बने रहोगे..
या कोई पथ भी बनाओगे..??

कई पथिक आये,कई पथिक आएंगे..
कुछ ने पथ बनाया,
तो कुछ ने पथ के किनारे आशियाना बनाया..
कइयों ने तो ताउम्र यू ही बिताया..
तुम क्या करोगे..??
ताउम्र पथिक ही बने रहोगे..
या फिर पथ के किनारे आशियाने बनाओगे..
या फिर पथ बनाओगे..??



रविवार, 2 मार्च 2025

सोशल मीडिया...

कभी सोचा है🤔..
आप क्या कर रहे है..??
अगर सोचा है..
तो फिर क्यों कर रहे है..??
क्या..??
घंटों इंस्टा,fb, यूट्यूब पर रील को स्क्रोल..और क्या..
जरा सोचिए...??
आप इस साइट/एप पे क्यों गए थे...??
और क्या कर रहें है..।।


हम 10 में से 9 बार भूल जाते है कि आखिर हमने fb,insta पर लॉगिन क्यों किया था..।।
आखिर क्यों..??
क्योंकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल हम नही,बल्कि सोशल मीडिया हमारा इस्तेमाल कर रहा है..
और कुछ चलाक/बुद्धिमान लोग है जो अपने हित के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहें है..।।

आज सोशल मीडिया इतना दम-खम रखता है कि आपको उन  ऊंचाइयों पे ले जा सकता है,जंहा तक करोडों लोग कठिन प्रयत्न करने के बाबजूद नही पहुंच पाते है..।।
वही सोशल मीडिया दूसरा स्वरूप ये है कि लाखों लोगों को अपनी मथनी में अपने अनुरूप मथ रहा है..और हमें मजा भी आ रहा है..।
और एक समय ऐसा आएगा जब सोशल मीडिया हमें मथ कर पूरा क्रीम निकाल लेगा और हम न इस्तेमाल होने वाले पानी रह जाएंगे..।।


सतर्क हो जाये..
सोशल मीडिया का आप इस्तेमाल करें, 
ना कि सोशल मीडिया आपका इस्तेमाल करें..
आज के समय में ये असंभव है,मगर कोशिश करें की..
वो हमारा इस्तेमाल कम-से-कम कर पाए..
और आप सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करें..।।
हज़ारों लोग कर रहें है,तो आप क्यों नही..।

आज सोशल मीडिया को नकारा नही जा सकता..
अगर आप को इस दुनिया मे रहना है तो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना ही होगा..
अन्यथा आप भीड़ में बहुत पीछे रह जाएंगे..।

सोशल मीडिया आज उस भीड़ का हथियार बन गया है,
जिसे कभी कुचल दिया जाता था..
सोशल मीडिया आज अराजक फैलाने वालों का,
नरसंहार करने का औजार बन गया है..
सोशल मीडिया आज उनका आवाज बन गया है,
जिसकी आवाज को वर्षों से दबा दिया गया था..
सोशल मीडिया आज जनकल्याण का स्थान बन गया है..
मगर सावधान हो जाइये...
सोशल मीडिया आज वो ब्रह्मास्त्र है जो,अगर अच्छे हाथों में गया तो विश्व का कल्याण होगा,
और बुरे हाथों में गया तो विश्व का सर्वनाश होगा..।।


क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना बुरा है..??
  बिल्कुल नही..।
तो इसका इस्तेमाल कैसे करें..??
   इसका इस्तेमाल सतर्क और स्वार्थपरक रूप में करें..।।





हताश मत हो..

मायने ये नही रखता की आप कितनी दफा हारे,
मायने ये रखता है कि आप हारने के बाद जीते की नही..?


इसलिये चाहे कितनी भी हार क्यों न झेलनी पड़े,आपको हर बार, हार कर खड़ा होना ही होगा..
ये सिलसिला तबतक चलनी चाहिए जबतक आप जीत न जाओ..।।
अपनी जीत का जश्न नही, बल्कि अपने जीत के कारण का जश्न मनाए..।।
बार-बार हारने के बाद जीतने का जो सुकून मिलता है..
वो जीत के बाद ही पता चलता है..।।

आप जब बार-बार हारेंगे..
सब आपसे मुँह फेर लेंगे..
आखरी उम्मीद जो बची होगी,वो भी एक वक्त काम नही आएगी..।
वो ही सही वक्त होता है,शांतचित होकर विजय प्राप्ति का..।।
इसीलिये...
हताश मत हो,
निराश मत हो..
अपने हार को तुम,
जीत के हार में परिवर्तित कर
अपने जीत का यशोगान कर तुम..।
हताश मत हो,निराश मत हो..
भला कौन है यंहा..
जो हारा नही,
बदकिस्मत तो वो है,
जो हार कर फिर खड़ा न हुआ..।
दुनिया ही नही,
वो खुद के नजर में गिर जाता है,
जो हार कर फिर खड़ा न हुआ..।।
दुनिया उसी का यशोगान करती है,
जो हार के नींव पे सफलता का प्राचीर खड़ा करता है..।
इसीलिय हताश मत हो,
निराश मत हो..।
धैर्य रख, 
हौंसला रख,
दृढ़संकल्प लेकर फिर से एक बार प्रयास कर..
प्रयास ही तो इंसान को प्रियतमा से मिलाता है,
और प्रियतमा ही तो इंसान को नई पहचान देता है..।
कबतक यू ही, पुराने पहचान को ढोते रहोगे..
कबतक यू ही, स्वयं और दूसरे को कोसते रहोगे..
कबतक यू ही, स्वयं को सफलता से दूर रखें रहोगे..
सफलता हाथ फैला कर इंतजार कर रही है..
एकबार और जोर लगा..
और लंबी छलांग लगा..
अपने सभी कमियों को लांघकर..
सफलता को गले लगा..।।

हताश मत हो..
निराश मत हो..
अपने हार को तुम,
जीत के हार में परिवर्तित कर
अपने जीत का यशोगान कर तुम..।
हताश मत हो..
निराश मत हो..।।

शनिवार, 1 मार्च 2025

संघर्ष तो करना ही होगा..

संघर्ष तो करना ही होगा..
आज नही तो कल..
संघर्ष तो करना ही होगा..।


भला कौन है यंहा..??
जिसे बिना संघर्ष के कुछ भी मिला है..
संघर्ष तो करना ही होगा..
आज नही तो कल संघर्ष तो करना ही होगा..।
कबतक भला भागोगे संघर्ष से..?
भलाई इसी में है,
जितना जल्दी हो सके संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर लो..।।
संघर्ष को स्वीकारते ही,
जिंदगी में निखार आने लगेगी..।
भला कौन है यंहा...
जो संघर्ष से बच पाया है..।।
संघर्ष ही तो जिंदगी के मुकाम का रास्ता है..
भला कौन है यंहा..
जो बिना चले, इस रास्ते पे मुकाम को पाया है..।।

संघर्ष तो करना ही होगा..
आज नही तो कल..
संघर्ष तो करना ही होगा..।।

संघर्ष की शुरुआत तो गर्भ में आने से पहले ही शुरुआत हो जाती है..
आप वो नही जो आप सोच रहे है,
आप तो वो है,
जो आप नही सोच रहे है..।।
उन करोडों शुक्राणुओं को पीछे छोड़ कर आपने गर्भ धारण किया है..।
9 महीनों तक माँ के गर्भ में रहकर आपने ये स्वरूप पाया है..
और माँ के गर्भ से बाहर आते ही इस दुनिया के साथ तादात्म्य बिठाया है..
कितने चीखने और चिल्लाने के बाद आपने बोलने की कला पाया है..
न जाने कितनी दफा गिरने के बाद आपने चलना सीखा है..
आप वो नही,जो आप सोच रहे है..
आप वो है,जो आप नही सोच रहे है..।।
खुद को देखिए..
आप किस संघर्ष से भाग रहे है..
जो आपकी नियति है,
आप उसी से भाग रहे है..।

संघर्ष तो करना ही होगा..
आज नही तो कल..
संघर्ष तो करना ही होगा..।