रविवार, 2 मार्च 2025

हताश मत हो..

मायने ये नही रखता की आप कितनी दफा हारे,
मायने ये रखता है कि आप हारने के बाद जीते की नही..?


इसलिये चाहे कितनी भी हार क्यों न झेलनी पड़े,आपको हर बार, हार कर खड़ा होना ही होगा..
ये सिलसिला तबतक चलनी चाहिए जबतक आप जीत न जाओ..।।
अपनी जीत का जश्न नही, बल्कि अपने जीत के कारण का जश्न मनाए..।।
बार-बार हारने के बाद जीतने का जो सुकून मिलता है..
वो जीत के बाद ही पता चलता है..।।

आप जब बार-बार हारेंगे..
सब आपसे मुँह फेर लेंगे..
आखरी उम्मीद जो बची होगी,वो भी एक वक्त काम नही आएगी..।
वो ही सही वक्त होता है,शांतचित होकर विजय प्राप्ति का..।।
इसीलिये...
हताश मत हो,
निराश मत हो..
अपने हार को तुम,
जीत के हार में परिवर्तित कर
अपने जीत का यशोगान कर तुम..।
हताश मत हो,निराश मत हो..
भला कौन है यंहा..
जो हारा नही,
बदकिस्मत तो वो है,
जो हार कर फिर खड़ा न हुआ..।
दुनिया ही नही,
वो खुद के नजर में गिर जाता है,
जो हार कर फिर खड़ा न हुआ..।।
दुनिया उसी का यशोगान करती है,
जो हार के नींव पे सफलता का प्राचीर खड़ा करता है..।
इसीलिय हताश मत हो,
निराश मत हो..।
धैर्य रख, 
हौंसला रख,
दृढ़संकल्प लेकर फिर से एक बार प्रयास कर..
प्रयास ही तो इंसान को प्रियतमा से मिलाता है,
और प्रियतमा ही तो इंसान को नई पहचान देता है..।
कबतक यू ही, पुराने पहचान को ढोते रहोगे..
कबतक यू ही, स्वयं और दूसरे को कोसते रहोगे..
कबतक यू ही, स्वयं को सफलता से दूर रखें रहोगे..
सफलता हाथ फैला कर इंतजार कर रही है..
एकबार और जोर लगा..
और लंबी छलांग लगा..
अपने सभी कमियों को लांघकर..
सफलता को गले लगा..।।

हताश मत हो..
निराश मत हो..
अपने हार को तुम,
जीत के हार में परिवर्तित कर
अपने जीत का यशोगान कर तुम..।
हताश मत हो..
निराश मत हो..।।

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