मगर अभी तक पता नही की..
मंजिल कंहा और कौन सा है..।
आधी उम्र बीतने को है..
मगर खुद को पता नही जाना कंहा है..
कुछ मंजिलें चुनी थी मैंने..
मगर नही पहुंच पाया वंहा तक..
वो ऐसी मंजिल थी जंहा से अनेक द्वार तक जाने के रास्ते खुल रहे थे..
इतना ही नही..
पूरी दुनिया मे बदलाव लाने की संभावनाएं तक थी..
मगर नही पहुंच पाया उस मंजिल तक..।।
अब पता नही की..
जाना कंहा है,और करना क्या है..
यू ही दिन चढ़ता है,
यू ही दिन ढलता है..
आधी उम्र बीतने को है..
जाना कंहा है..
पता नही..।।
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