गुरुवार, 30 नवंबर 2023

परम सत्य क्या है..क्या मृत्यु परम सत्य है..??

जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है..
ये बचपन से हम सुनते आ रहे है..मगर इससे सीखा क्या..??

क्या, मृत्यु परम सत्य है..??
शायद है...
मगर किसके लिए..??
जो मरा है,उसके लिए,
या फिर जिसे मरा हुआ प्रतीत हो रहा है उसके लिए..??

जरा सोचिए..??🤔
हम जब-तक जिंदा रहता है, तबतक मृत्यु से हमारा कोई वास्ता ही नही रहता,हम इस बारे में सोचते ही नही..
आखिर ये कैसा सच है,जिसका मनुष्य को अहसास तक नही होता..

परम सत्य तो वो है,जिससे हम रोज रूबरू होते है..
आखिर वो है क्या..??

आज से 2500 वर्ष पहले इस परम सत्य के बारे में जिसने कहा वो महात्मा बुद्ध थे..


महात्मा बुद्ध ने 4 आर्य सत्य बताए..
 1. दुःख है
 2. दुःख का कारण है
 3.दुःख का निदान है
 4.दुःख निदान का मार्ग है..अष्टांगिक मार्ग

महात्मा बुद्ध जिस परम सत्य की बात करते है वो दुःख है..
हमारे जन्म लेते ही इस परम सत्य से सामना शुरू हो जाता है..
हम जन्म लेते है रोना शुरू कर देते है..और दुःख नामक परम सत्य का चक्र शुरू हो जाता है.
और ये तबतक चलता रहता है जबतक हमारी मृत्यु न हो जाये..।।

इस पृथ्वी पे जितने भी प्राणी है सभी दुःखी है..
और हरेक का दुःख का कारण है..
और हरेक का दुःख का निदान भी है..
और वो निदान अष्टांगिक मार्ग है..।।

ऐसे समझिए..
कोई बच्चा रो रहा है..क्यों..?? क्योंकि वो दुःखी है..
अगर बच्चा रो रहा है तो उसका कारण होगा..
या तो वो भूखा होगा या फिर उसे किसी चीज की जरूरत होगी..
अगर हमें उस बच्चे का रोने का कारण पता चल गया तो उसका निदान भी होगा..

अब हम खुद को ले... क्या हम दुःखी है..(अभी नही तो कभी न  कभी तो होंगे ही)
अगर हम दुखी है.. तो उसका कारण भी जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढे..
अगर दुःख होने का कारण मिल गया तो उसका निदान भी है..
आप अपने स्तर पे ढूंढे अगर मिल गया तो ठीक है नही तो बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करें..
दुःख से छुटकारा जरूर मिलेगा..।।

बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग क्या है..??
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग, आचरण है,जिसे जीवन में अनुशरण करने से दुःख से छुटकारा मिल जाता है..।।
       1.सम्यक दृष्टि - हमारा लक्ष्य क्या है,क्या वो सही और स्पष्ट है..
       2.सम्यक संकल्प : अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ता से संकल्प लेना।
       3.सम्यक वाक : ऐसा कुछ न बोलना जो हमारे लक्ष्य सिद्धि में हानिकारक हो,और न ही मेरे बोलने से किसी को तकलीफ हो..

      4.सम्यक कर्म : अपने लक्ष्यसिद्धि के लिए कोई भी ऐसा कर्म नही करना, जो स्वयं और दूसरे के लिए हानिकारक हो..

     5.सम्यक जीविका : ऐसा कोई भी आर्थिक गतिविधि न करना जिससे किसी को नुकसान हो..

     6.सम्यक व्यायाम : अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए नियमपूर्वक और निरंतर व्यायाम करना

    7.सम्यक स्मृति : ऐसी कोई भी बातें नही याद रखना जो तकलीफ देह हो..बल्कि ऐसी स्मृति को बढ़ावा देना जिससे स्वयं और जगत का कल्याण हो
    8.सम्यक समाधि :  स्वयं में खो जाना ही समाधि है..



शुरुआत के चार मार्ग हरेक इंसान को अपने जीवन में अनुसरण करना ही चाहिए..अगर हम अनुशरण करते है तो दुःख से छुटकारा मिल जाएगा..।।

वर्तमान में हरेक समस्याओं का हल महात्मा बुद्ध के द्वारा दिये गए 4 आर्य सत्य में छुपा हुआ है..
आप कोई भी समस्या उठाये इसका निदान 4आर्य सत्य के द्वारा मिल जाएगा..
आज समाज मे आत्महत्या की प्रवृति बढ़ रही है..
क्यों..??
इसका कोई न कोई कारण जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढ कर इसका निदान किया जाय..
और इसका निदान कंही न कंही बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..
आज अतिभोगवाद बढ रहा है,साम्प्रदायिकता बढ़ रहा है,पर्यावरणीय समस्या बढ़ रही है..
और हरेक समस्या का निदान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..।।

आज कोई भी मनुष्य दुःख रूपी परम सत्य से अनछुआ नही है..
जिसने भी जन्म लिया उसे जन्म लेते ही उस परम सत्य से सामना करना पड़ता है..
मगर खुशी की बात ये ही कि दुःख रूपी परम सत्य का निदान है..।।

तो निर्णय आप करें आपके लिए परम सत्य क्या है..
जिससे आप लगभग नित-दिन रु-ब-रु हो रहे है,
या फिर वो जो किसी कोने में बैठ कर हमारा इंतजार कर रहा है..।।

सत्य तो वो है जिसका हमें अहसास हो..
बाकि सब मिथ्या है..

क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते है मृत्यु एक प्रक्रिया है-
          जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
          तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।2.27
अर्थ- जो जन्म लिया है,उसे मरना ही है,और जो मरा है उसे जन्म लेना ही है,इसिलिय शोक मत कर(कृष्ण अर्जुन से कहते है)



वंही दूसरी जगह कृष्ण कहते है-

           वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
           नवानि गृह्णाति नोरोपणानि।
           तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य
           न्यानि संयाति नवानि देहि।।

-जिस प्रकार मनुषय पुराने वस्त्रो को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है।

तो अब आप बताए परम सत्य क्या है..??

मृत्यु या दुःख..??

बुधवार, 29 नवंबर 2023

वर्तमान में परवरिश क्यों जरूरी है..??

इस पृथ्वी पे सबसे असहाय प्राणी कौन है...??
जरा सोचिए...??
पता चला...
हम और आप है... इस पृथ्वी पे सबसे असहाय ...।।
क्यों..??
क्योंकि मनुष्य को ही सिर्फ परवरिश की जरूरत पड़ती है,इस पृथ्वी पे..और कोई ऐसा जीव नही है जिसे परवरिश की जरूरत पड़े..।
जरा सोचिए हमारी अगर परवरिश न हो तो क्या होगा..??
क्या हमारा अस्तित्व होगा..??
अगर अस्तित्व होगा भी तो कैसा..??

वैसे परवरिश की लगभग हरेक कशेरुकी जीव(vertebrae)
को पड़ती है..मगर उसकी अवधि बहुत कम होती है..।।

मगर मनुष्य की परवरिश की अवधि बहुत लंबी होती है..
शायद इसिलिय मनुष्य इतना विचारशील प्राणी है..।।

मगर वर्तमान में मनुष्य की परवरिश का स्तर दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है..।।


अगर परवरिश सही से न हो, मगर सारी सुविधाएं मिले तो क्या होगा..??

आज हम इस युग मे है..जंहा मनुष्य गुलाम है..क्यों..??
और हमें पता नही है..क्यों..??
आप क्या देख रहे है...??
आप क्या कर रहे है...??
आप क्या करेंगे..??
इसका निर्णय आज अधिकतम मनुष्य खुद नही कर रहा है..??
क्यों...??
जरा सोचिए..।।
यंहा भी परवरिश का अहम रोल है..
क्या स्कूल,कॉलेज में इस तरह की शिक्षा दी जा रही है..की इंटरनेट,सोसल मीडिया का इस्तेमाल कैसे करें..??

आपको जान कर आश्चर्य होगा..
की 80% लोग जो internet पे सर्च करते है,वो अनैतिक(गलत चीज) है..??
आखिर क्यों लोग इस तरह की चीज सर्च करते है..??

क्योंकि परवरिश अच्छी से नही हुई है..

2 दिन पहले ही एक 10 साल के बच्चे ने अपने क्लास साथी को स्टडी इंस्ट्रूमेंट(प्रकार)  से छेद करके हत्या कर दी और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाला..
पता है क्यों..??
क्योंकि उसे ज्यादा व्यू मिले...

आज परवरिश की बहुत जरूरत है..
अगर आप अपने बच्चे को अच्छी तरह से परवरिश करना चाहते है तो 5 साल के उम्र तक स्मार्टफोन से उसे दूर रखें,12 साल के उम्र तक उसे अपने निगरानी में इंटरनेट इस्तेमाल करने दे....


क्योंकि आने वाला समय और भयावह होने वाला है..
क्योंकि chatGPT  जैसे कई AI(आर्टिफिशियल intelligence) अपने पैर पसार रहा है..
इसका अगला कदम और भयावह हो सकता है..



आप कल्पना कीजिये कितना भयावह..??

आप चेस खेलते है.  या फिर कोई भी गेम..
उस गेम में अभी चाल हम चलते है..
अगर हमारी परवरिश अच्छी न हो तो चाल AI+robot चलेगा..और हम प्यादे होंगे..

सकी हल्की झलक कुछ सालों पहले मिला था..
जब ब्लू व्हेल नामक गेम ने कइयों का जीवन लील लिया था..
आखिर कैसे...?? और क्यों..??

सतर्क हो जाये....
क्योंकि आने वाला समय ...??



सोमवार, 27 नवंबर 2023

आज गुरुनानक जयंती है... क्यों..??

"इक ओंकार सतनाम, 
करता पुरख, निर्भ-ऐ-ओ,निर्वेर,
अकाल मूरत,
अजूनी सभम,
गुरु परसाद जप, 
आड़ सच,जुगाड़ सच,
है भी सच, नानक होसे भी सच.."

एक सत्य है,वो ओंकार है..
जो कर्ता है,जो भय मुक्त है,दुश्मन रहित है..
जिसने मृत्यु पे विजय पा ली है,जो जन्म-मरण से परे है..
ऐसे परमात्मा को गुरुनानक जी ने अपना गुरु माना है..



आज गुरुनानक जयंती है...क्यों..??
इसिलिय की उनका जन्म इस रोज हुआ, या फिर इन्होंने अपने कर्मों के द्वारा अपने जन्म को सफल बना दिया...।।

गुरुनानक जी जो वर्तमान पाकिस्तान के तलवंडी में कालू मेहता के यंहा पैदा हुए..ऐसा ही मध्यम परिवार जैसा मध्यम परिवार की बहुतायत है हमारे भारत मे..

नानकजी को कोई बंधन नही बांध पाया,पिता ने दुनियादारी में बांधने के लिए शादी करवा दिया,मगर शादी का बंधन भी उन्हें नही बांध पाया..
उन्होंने ताउम्र अपने गृहस्थ जीवन का निर्वहन किया और पूरे विश्व को संदेश दिया कि आप गृहस्थ जीवन मे भी रहकर भी जीवन की ऊंचाइयों को पा सकते है...

उन्होंने अपने जीवनकाल में 28 हज़ार किलोमीटर की यात्रा की सिर्फ भारत मे ही नही बल्कि अफगानिस्तान, ईरान, मक्का-मदीन,तिब्बत,नेपाल,म्यांमार,चीन कुल मिलाकर उन्होंने 400 से ज्यादा शहरों की यात्रा की...क्यों..??
समाज में पर्याप्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए..

उसीका परिणाम है कि सिख समाज मे मानवता का उच्चतम भाव है..और वो है सेवा-भाव.. बिना भेदभाव के..
जिसका बीजारोपण नानक जी ने किया था,वो आज फलीभूत हो रहा है..


गुरुनानक जी ने 3 मंत्र दिए या हम कह सकते है कि सिख धर्म के 3 पिलर है..
i . वंड चखना(लंगर)- आप भूखे है गुरुद्वारा चले जाइये.. बिना कुछ कहे बिना कुछ पूछे भरपेट भोजन मिलेगा..वो भी बिना भेद-भाव के.. भले ही आप चार्टर प्लैन से आये हो,या फिर नंगे पांव से एक ही पंक्ति है यंहा सबके लिए..

ii . कीरत करना और
 
iii . नाम जपना

और सबसे बड़ी बात ये है कि सिख धर्म मे गुरु की महिमा सबसे ऊपर है.. उन्होंने तो "गुरु ग्रंथ साहिब" को ही गुरु का पद दिया है.. ये छोटी बात नही ये बहुत बड़ी बात है..
वर्तमान समय मे हमे इस बात को समझना जरूरी है कि किताब की क्या महात्म्य है..

गुरु नानकजी से क्या सीखे..??
1. हमेशा ऐसा सौदा करें जिससे दूसरों का भला हो..
2. चुनौतियों से भागे नही उसे सहर्ष स्वीकार करें..
3. सामाजिक कुरीतियों का विरोध करें..
4. भाईचारा, बन्धुत्वता को बढ़ावा दे..
5. गलत आचरणों से बचे.और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखे..

सिख धर्म आज भी कुछ अपवादों को छोड़कर इसे दृढ़ता से पालन कर रहा है..
इसिलिय आप विश्व के किसी कोने में फंसे हो और आपको मदद की जरूरत है, तो गुरुद्वारा और सरदारजी आपके मदद के लिए सदैव तैयार रहेंगे...
"क्योंकि मानवता से बड़ा कोई सेवा नही है.."

एक वाकया है USA की, एक एक व्यक्ति ब्रेड चोरी करते हुए पकड़ा गया और उसे जज के सामने लाया गया .. तो जज ने उससे कहा-अगर अगली बार भूख लगे तो चोरी नही बल्कि किसी गुरुद्वारे में चले जाना..।।


रविवार, 26 नवंबर 2023

संविधान दिवस.. एक औपचारिकता..??

भारत के 90% आबादी को मालूम नही की आज क्या है..??
न ही हम जानना चाहते है,और न ही सरकार चाहती है कि आप जाने ...
क्यों..??
क्योंकि जब आपको अपने अधिकार का पता चलेगा तो आप अपने अधिकार हक से मांगोगे... न कि नेताओ की रैलियों में रैला खायेंगे..
भला कौन सरकार ऐसा चाहेगी की ..उसके रैली में कोई न आये..इसिलिय सरकार आपको अपने अधिकार से वंचित ही नही बल्कि आपको अपने अधिकार का भान ही नही होने दे रही है..
NCERT की पुस्तक में छपी हुई है भारत के संविधान की उद्देशिका.. जिसके बारे में न शिक्षक को पूर्ण ज्ञान है, और छात्र की तो बात ही छोड़ दीजिए...।।

आज 26 नवंबर जो की संविधान दिवस के रूप में हम मनाते है...
क्यों मनाते है..??
क्योंकि हमें ये भान हो कि हमारा संविधान किस तरह का अधिकार पूरे भारतवासी को देता है..(आज ही के दिन 1950 में संविधान लागू हुआ था)

संविधान की उद्देशिका... के अनुसार सरकार का कर्तव्य है कि वो पूरे भारतवासी को..

सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध करवाए..
हम आज कंहा है..??

सामाजिक न्याय कुछ हद तक मिला है,छुआछूत,जातिवाद,लिंग-भेद बहुत हद तक कम हुआ है,और हम ज्यो-ज्यों आर्थिक रूप से सम्पन्न होंगे सामाजिक न्याय के करीब पहुंचते जाएंगे..

आर्थिक न्याय- वर्तमान में ये बहुत ही विरोधाभासी हो गया है भारत के जंहा 10% आबादी के पास कुल आय का 50% है वंही भारत के 80% आबादी के पास कुल आय का 20 % ही है...

राजनीतिक न्याय भी वर्तमान में आम लोगों से दूर होती जा रही है क्योंकि आज आम आदमी चुनाव नही लड़ सकता क्योंकि चुनाव जीतने के लिए पैसा और रुतबा चाहिए जो आम आदमी के पास नही है...

वंही हमारी उद्देशिका भारत के सभी नागरिकों को- विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देती है..मगर किस तरह की..??

- वर्तमान में आपके विचार अगर सरकार से नही मिलता है तो आप मूर्ख या देशद्रोही है,अगर विचार मिलते है तो आप भक्त है..।।

- अभिव्यक्ति- अगर आपकी अभिव्यक्ति सरकार के खिलाफ हुई तो आपके ऊपर ED का छापा पर सकता है..मालूम नही कुछ और भी हो सकता है..।।

-धर्म- वर्तमान में धर्म के नाम पर इतना स्वतंत्रता मिल गई है कि हम किसी दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने से नही हिचकते.. जिस कारण आज सम्प्रदायवाद बढ़ता जा रहा है..इससे किसे फायदा होगा..??

वंही उद्देशिका सबको प्रतिष्ठा और अवसर की समानता की बात करता है.. जो वर्तमान में चुनौतीपूर्ण है..।।

वंही संविधान की उद्देशिका हम नागरिकों से भी अपेक्षा करती है कि हम राष्ट्र की एकता और अखण्डता और बंधुता बढ़ाने के दिशा में कार्य करें..
क्या हम कर रहे है..??

हरेक भारतीय को अपने संविधान को जानना चाहिए..
और सरकार को भी चाहिए कि वो लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता लाये..




प्यार की पाती... मालूम नही क्यों...

मालूम नही क्यों..??
मेरा दिल अब भी..
सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है..
ज्योहीं तुम्हारा ख्याल आता है..
मन भाव-विभोर और आंखे नम हो जाती है..।






मन को बार-बार समझाता हूँ..
मुझे तुमसे प्यार नही,सिर्फ आकर्षण था..
मन नही मानता...
क्योंकि उस गली में इक और थी..
जो इस बदनसीब को चाहती थी..
मगर ये बदनसीब तुम्हें चाहता था..।।

मालूम नही क्यों..
ये दिल अब भी तुम्हारे लिए धड़कता है..
तुम्हारा ख्याल आते ही मन भाव-विभोर और आंखे नम हो जाती है..।।
तुम्हें शायद पता न चले..
मगर इस कायनात को पता है..
की कितने अश्रु गिरे है तुम्हारे याद में..
मालूम नही क्यों...ये दिल अब भी...
सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है...
और इक तुम हो,
जिसे मेरी धड़कन की आवाज सुनाई नही देती..
मगर मेरा दिल अब भी तुम्हारे लिए धड़कता है।।

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

आप किस तरह की गलतियां करते है..

मनुष्य 4 तरह के होते है- गलतियों के आधार पे..आप किस तरह के है..??



i. पहले तरह के लोग वो होते है,जो गलतियां करते है,मगर उन्हें अपने गलतियों का अहसास ही नही होता है.. इसमें दो तरह के लोग होते है-1.अबोध-जिन्हें सही और गलत का पता ही नही चलता। 2. ऐसे लोग होते है,जिन्हें अपने ज्ञान, अभिमान के कारण अपने गलतियों का अहसास ही नही होता,या फिर वो गलतियां स्वीकारना ही नही चाहते..।। ऐसे लोगों की संख्या 10%के आसपास होती है..।

ii. दूसरे तरह के लोग, वो होते है...जो गलतियां करते है,और उन्हें अपने गलतियों का अहसास भी है,मगर वो उसे सुधारने का प्रयास नही करते... अगर करते भी है तो अनमने तरीके से,अगर गलती सुधार भी लिया तो फिर से उसी गलती को फिर से दोहराते है। ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक है लगभग -80%

iii. तीसरे तरह के वो लोग होते है,जो गलती होते ही उसे सुधारने में लग जाते है,और फिर जीवन मे इस तरह की गलतियों को नही दुहराते है..। इसी तरह के लोग समाज मे सफल होते है और अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाते है.. ऐसे लोगो की संख्या 5% के आसपास है..

iv.चौथे तरह के वो लोग होते है,जो गलतियां करने से बचते है,अगर गलती से गलती हो गया.. तो गलती क्यों हुआ....?? उस क्यों को ढूंढते है..और फिर इस तरह की गलतियां जीवन मे नही करते है..।। ऐसे लोगों की संख्या 1% से भी कम है....

 ये वो लोग हो जिसे हम-आप आदर्श मानते है..उनके जीवन से कुछ सीखना चाहते है,उनके जैसा बनना चाहते है..मगर अफसोस अपनी गलतियां सुधारना नही चाहते है..जिस रोज हम अपनी गलतियां सुधारना शुरू कर देंगे,उस रोज हम उस 85% के भीड़ से बाहर निकलना शुरू कर देंगे..

निर्णय हमें ही करना है..की हमें क्या करना है..??

-गलतियां करके भी गलतियों का अहसास नही करना है...

-गलतियों का अहसास करके भी उसे अनमने भाव से सुधारना है..

-गलतियां होते ही तत्पश्चात उसे सुधारने को अग्रसर हो जाना है, या फिर

-गलतियां करना ही नही है,अगर गलती से भी गलती हो जाये तो,गलती क्यों हुई उस क्यों को ढूंढना है..।।

निर्णय हमें ही करना है.. की हमें क्या करना है..

अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो अपने गलतियों/खामियों/कमियों पे विजय पाना ही होगा..।।

हरेक सवाल का जबाब

हमारे हरेक सवाल का जबाब,हमारे अतीत में छुपा हुआ है...
हम आज जिस परिस्थितियों में है,उसके लिए हमारा अतीत ही जिम्मेदार है..


अगर हम अपनी परिस्थितियों को बदलना चाहते है,या फिर और बेहतर करना चाहते है,तो हमें अपने अतीत में डुबकियां लगानी ही होंगी.. मगर सावधानी से..
क्योंकि डुबकियां लगाकर समस्याओं का हल ढूंढने वाले मोतियों(विचारों) को लाना होगा,ना कि समस्याओं को और जटिल करने वाले कंकडों(अवसादों) को..

हममें से ज्यादातर लोग अतीत में डुबकियां लगाते है...मगर अफसोस हम अतीत के उन हिस्सों में ही डुबकियां लगाते है,जिसने हमारे वर्तमान को और जटिल कर दिया है...।

हम जिन भी समस्या से जूझ रहे है,उसका जबाब अतीत में ही मिलेगा...अपने अतीत में डुबकियां लगाकर अपने वर्तमान समस्याओं का क्यों...कैसे का जबाब ढूंढे..
जरूर जबाब मिलेगा..सिर्फ जबाब ही नही वर्तमान समस्या का समाधान भी मिलेगा..।।

अपने अतीत में सिर्फ डुबकियां ही लगाना है..
कुछ लोग अतीत में डूब जाते है,
जो अतीत में डूब जाते है,
उसे अतीत लील जाता है..।।

अतीत में डुबकियां लगाना आसान नही है..
अतीत में डुबकियां लगाने से पहले...
अपने वर्तमान समस्या की पहचान करें...
और ये दृढ़निश्चय करें की हमें इन समस्याओं से निपटना है..
तब ही अतीत में डुबकियां लगाए..।।

हमारे अतीत का दो पक्ष है- एक अंधेरा और एक उजाला..
हमारे ज्यादातर वर्तमान समस्याओं का हल,उस अंधेरे पक्ष में ही छुपा हुआ है..
इसिलिय जब डुबकियां लगाए तो अपने अस्त्रों(तार्किक विचारों) के साथ ही,नही तो ये अंधेरा लील जाएगा..।।

अब आइने में चेहरे

अब आइने में चेहरे बदसूरत दिखने लगे है..

चेहरे पे धूल जम गई है,या फिर आइने पे धूल जम गई है..

सच कहूं तो न आइने पे धूल जमी है,न ही चेहरे पे धूल जमी है..

दृढ़ता,संकल्पता,अनुशासनहीनता के कारण चेहरा धूल धूसरित होती जा रही है..।



आइने के धूल भी हट जायेंगे, और चेहरे का धूल भी धुल जाएंगे..

मगर जो गवाया है,उसे कैसे हासिल कर पाएंगे..??

अब जो गवा दिया,सो गवा दिया..उसके लिए अफसोस क्या करना...

अब जो पा सकते है,उसे पाने का प्रयत्न करें...।।

हमेशा एक राहें खुली रहती है,जब सारे राहें बंद हो जाती है..

उस राहें पे तो चलना मुझे ही है..

इन राहों पे चल के ही,चेहरे पे जमी धूल, धुल पाएगी..

निर्णय मुझे ही करना है...

चेहरे पे जमी धूल से, इस चेहरे को धूल-धूसरित होने दु...

या फिर चेहरे पे जमी धूल को, धुल कर इक मुस्कान बिखरने दूं..

सोमवार, 13 नवंबर 2023

कमर कस हुंकार भर...

                       


                        कमर कस, हुंकार भर। 

अपनी कमियों को ललकार कर,

युद्धभूमि में सीना तानकर..

अपने कमियों पर प्रहार कर..।

अपने तरकश से पहला बाण निकालकर,

अपने काम(क्रोध,मोह) पर तुम वार कर।

दूसरे बाण से तुम अपने आलस्य पर प्रहार कर।

और तीसरे बाण से तुम अपने अंतर्द्वंद्व पर वार कर।

अगर इससे भी न हो, तो आखरी अस्त्र इस्तेमाल कर,

 पुनर्जीवन(ध्यान) को स्वीकार कर..

फिर से अंकुरित होकर अपने आप को स्वीकार कर..।।

कमर कस,हुंकार भर

अपने कमियों को ललकार कर

युद्धभूमि में सीना तानकर..

अपने कमियों पर प्रहार कर..।