क्या, मृत्यु परम सत्य है..??
शायद है...
मगर किसके लिए..??
जो मरा है,उसके लिए,
या फिर जिसे मरा हुआ प्रतीत हो रहा है उसके लिए..??
जरा सोचिए..??🤔
हम जब-तक जिंदा रहता है, तबतक मृत्यु से हमारा कोई वास्ता ही नही रहता,हम इस बारे में सोचते ही नही..
आखिर ये कैसा सच है,जिसका मनुष्य को अहसास तक नही होता..
परम सत्य तो वो है,जिससे हम रोज रूबरू होते है..
आखिर वो है क्या..??
आज से 2500 वर्ष पहले इस परम सत्य के बारे में जिसने कहा वो महात्मा बुद्ध थे..
महात्मा बुद्ध ने 4 आर्य सत्य बताए..
1. दुःख है
2. दुःख का कारण है
3.दुःख का निदान है
4.दुःख निदान का मार्ग है..अष्टांगिक मार्ग
महात्मा बुद्ध जिस परम सत्य की बात करते है वो दुःख है..
हमारे जन्म लेते ही इस परम सत्य से सामना शुरू हो जाता है..
हम जन्म लेते है रोना शुरू कर देते है..और दुःख नामक परम सत्य का चक्र शुरू हो जाता है.
और ये तबतक चलता रहता है जबतक हमारी मृत्यु न हो जाये..।।
इस पृथ्वी पे जितने भी प्राणी है सभी दुःखी है..
और हरेक का दुःख का कारण है..
और हरेक का दुःख का निदान भी है..
और वो निदान अष्टांगिक मार्ग है..।।
ऐसे समझिए..
कोई बच्चा रो रहा है..क्यों..?? क्योंकि वो दुःखी है..
अगर बच्चा रो रहा है तो उसका कारण होगा..
या तो वो भूखा होगा या फिर उसे किसी चीज की जरूरत होगी..
अगर हमें उस बच्चे का रोने का कारण पता चल गया तो उसका निदान भी होगा..
अब हम खुद को ले... क्या हम दुःखी है..(अभी नही तो कभी न कभी तो होंगे ही)
अगर हम दुखी है.. तो उसका कारण भी जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढे..
अगर दुःख होने का कारण मिल गया तो उसका निदान भी है..
आप अपने स्तर पे ढूंढे अगर मिल गया तो ठीक है नही तो बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करें..
दुःख से छुटकारा जरूर मिलेगा..।।
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग क्या है..??
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग, आचरण है,जिसे जीवन में अनुशरण करने से दुःख से छुटकारा मिल जाता है..।।
1.सम्यक दृष्टि - हमारा लक्ष्य क्या है,क्या वो सही और स्पष्ट है..
2.सम्यक संकल्प : अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ता से संकल्प लेना।
3.सम्यक वाक : ऐसा कुछ न बोलना जो हमारे लक्ष्य सिद्धि में हानिकारक हो,और न ही मेरे बोलने से किसी को तकलीफ हो..
4.सम्यक कर्म : अपने लक्ष्यसिद्धि के लिए कोई भी ऐसा कर्म नही करना, जो स्वयं और दूसरे के लिए हानिकारक हो..
5.सम्यक जीविका : ऐसा कोई भी आर्थिक गतिविधि न करना जिससे किसी को नुकसान हो..
6.सम्यक व्यायाम : अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए नियमपूर्वक और निरंतर व्यायाम करना
7.सम्यक स्मृति : ऐसी कोई भी बातें नही याद रखना जो तकलीफ देह हो..बल्कि ऐसी स्मृति को बढ़ावा देना जिससे स्वयं और जगत का कल्याण हो
8.सम्यक समाधि : स्वयं में खो जाना ही समाधि है..
शुरुआत के चार मार्ग हरेक इंसान को अपने जीवन में अनुसरण करना ही चाहिए..अगर हम अनुशरण करते है तो दुःख से छुटकारा मिल जाएगा..।।
वर्तमान में हरेक समस्याओं का हल महात्मा बुद्ध के द्वारा दिये गए 4 आर्य सत्य में छुपा हुआ है..
आप कोई भी समस्या उठाये इसका निदान 4आर्य सत्य के द्वारा मिल जाएगा..
आज समाज मे आत्महत्या की प्रवृति बढ़ रही है..
क्यों..??
इसका कोई न कोई कारण जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढ कर इसका निदान किया जाय..
और इसका निदान कंही न कंही बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..
आज अतिभोगवाद बढ रहा है,साम्प्रदायिकता बढ़ रहा है,पर्यावरणीय समस्या बढ़ रही है..
और हरेक समस्या का निदान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..।।
आज कोई भी मनुष्य दुःख रूपी परम सत्य से अनछुआ नही है..
जिसने भी जन्म लिया उसे जन्म लेते ही उस परम सत्य से सामना करना पड़ता है..
मगर खुशी की बात ये ही कि दुःख रूपी परम सत्य का निदान है..।।
तो निर्णय आप करें आपके लिए परम सत्य क्या है..
जिससे आप लगभग नित-दिन रु-ब-रु हो रहे है,
या फिर वो जो किसी कोने में बैठ कर हमारा इंतजार कर रहा है..।।
सत्य तो वो है जिसका हमें अहसास हो..
बाकि सब मिथ्या है..
क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते है मृत्यु एक प्रक्रिया है-
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।2.27।अर्थ- जो जन्म लिया है,उसे मरना ही है,और जो मरा है उसे जन्म लेना ही है,इसिलिय शोक मत कर(कृष्ण अर्जुन से कहते है)
वंही दूसरी जगह कृष्ण कहते है-
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नोरोपणानि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य
न्यानि संयाति नवानि देहि।।
-जिस प्रकार मनुषय पुराने वस्त्रो को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है।
तो अब आप बताए परम सत्य क्या है..??
मृत्यु या दुःख..??