अब आइने में चेहरे बदसूरत दिखने लगे है..
चेहरे पे धूल जम गई है,या फिर आइने पे धूल जम गई है..
सच कहूं तो न आइने पे धूल जमी है,न ही चेहरे पे धूल जमी है..
दृढ़ता,संकल्पता,अनुशासनहीनता के कारण चेहरा धूल धूसरित होती जा रही है..।
आइने के धूल भी हट जायेंगे, और चेहरे का धूल भी धुल जाएंगे..
मगर जो गवाया है,उसे कैसे हासिल कर पाएंगे..??
अब जो गवा दिया,सो गवा दिया..उसके लिए अफसोस क्या करना...
अब जो पा सकते है,उसे पाने का प्रयत्न करें...।।
हमेशा एक राहें खुली रहती है,जब सारे राहें बंद हो जाती है..
उस राहें पे तो चलना मुझे ही है..
इन राहों पे चल के ही,चेहरे पे जमी धूल, धुल पाएगी..
निर्णय मुझे ही करना है...
चेहरे पे जमी धूल से, इस चेहरे को धूल-धूसरित होने दु...
या फिर चेहरे पे जमी धूल को, धुल कर इक मुस्कान बिखरने दूं..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें