सोमवार, 4 दिसंबर 2023

जब मन अशांत होता है..

जब मन अशांत होता है

तो मैं समुन्द्र किनारे आ जाता हूं...



क्यों..???

क्योंकि अथाह समुन्द्र के आगे मेरा अशांत मन ,शांत हो जाता है...

जब कुछ बातें करनी होती है..

तो लहरों से बाते कर लेता हूँ...

क्यों..??

क्योंकि ये मेरे बातों का बुरा नही मानता..

कुछ शिकायत करनी होती है

तो ढलते हूए सूरज से कर लेता हूँ..

क्यों..??

क्योंकि सूरज डूबते ही मेरे शिकायत को भूल कर, अगले सुबह फिर से नई ऊर्जा भर देती है.. 

जब मन शांत और...बातें शिकायत खत्म हो जाती है..

तो मैं घर को चला आता हूँ..

इक नई ऊर्जा,एक नई उत्साह,एक नई उमंग,

इक नई उम्मीद लिए..

जब मन अशांत होता है..

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