दुनिया सिर्फ सफल लोगों को ही याद रखता है..क्या आपको कोई असफल लोग याद है..??
आपके जेहन में जितने भी नाम होंगे..
(जान-पहचान वालों को छोड़कर😊)
वो कंही-न-कंही अपने जिंदगी में सफल जरूर होंगें..।
चलिए आंख बंद कीजिए..
और मन मे किसी भी क्षेत्र से किसी का नाम सोचिये..।
क्या आपने सोचा...??
अगर हां,तो आपके जेहन में उसका नाम क्यों आया..
क्योंकि वो अपने क्षेत्र में सफल है..।।
हममें से हरेक लोग सफल होना चाहते है..
और हममें से हरेक लोग(100%) जिंदगी में कभी-न-कभी सफल जरूर होते है..।।
तो फिर आखिर क्या होता है कि हम असफल हो जाता है..??
हम अपनी असफलता के लिए स्वयं ही जिम्मेदार होते है..
अगर हम/आप अगर अपनी असफलता के लिए दूसरों को कोसते है,तो वो इसलिये की हममें इतनी भी हिम्मत नही है कि हम सच्चाई को स्वीकार कर सकें..।।
असफलता की शुरुआत स्वयं से ही होती है..
सफलता त्याग मांगती है..
और हम कुछ त्यागने के लिए तैयार ही नही होते..।
हममें से शायद ही कोई होगा जो गांधी को नही जानता होगा..?
आखिर क्यों..??
क्योंकि गांधी ने अपना सर्श्व त्याग दिया..।।
शायद ही कोई युवा होगा जो भगत सिंह को नही जानता होगा..
क्यों..क्योंकि उन्होंने जिंदगी की भीख को ठुकरा कर फांसी के फंदे को चुना..।
सफलता त्याग से मिलती है..
आप जितना त्याग(काम,क्रोध,मोह,लोभ) करते जाएंगे आप सफलता के ऊंचाइयों पे उतना चढ़ते जाएंगे..।।
सफलता की ऊंचाई पठार की तरह नही बल्कि शूल की तरह है..
जो दूसरों को तो देखने में अच्छा लगता है..मगर स्वयं को चुभता रहता है..अगर इसके साथ तालमेल नही बिठाया तो जिंदगी का बुरा हश्र होता है..।।
हरेक दशक में कई नामचीन हस्ती उभरते है..
मगर अपने सफलता का रजत जयंती(25 वर्ष) भी नही मना पाते है..।
आप जंहा है वंहा से 10 वर्ष पीछे जाए और उस समय के हरेक क्षेत्र के लोकप्रिय लोगों का नाम सोचें..
उनमें से आज कितने लोग अपने सफलता को बरकरार रखें हुए है..।
आप जितने पीछे जाते जाएंगे उतने कम लोग को जानते जाएंगे..।।
मगर आगे हमारा भविष्य पड़ा हुआ है..अगर कोई हमें भी याद रखें.. कोई रखें या न रखें गाँव वाला ही रखें.. या फिर आनेवाली हमारी पीढियां ही याद रखें.. तो उनके लिए ही सही कुछ करना होगा...।
नही तो, हममें से जैसे कई लोग अपने बाप-दादा को कोसते है,उसी तरह हमारी आनेवाली पीढियां भी हमें कोसेगी..।।
अपने कमियों को त्यागे..और सफलता की और अग्रसर हो..।।
सफलता का एक ही रहस्य है..
"अपने लक्ष्य के प्रति सरस्व त्याग के लिए तत्परता,निरंतरता और कर्मठता.."
इन राहों पे चलकर आजतक कोई असफल नही हुआ है..।।
बुद्ध, महावीर से लेकर स्वामी विवेकानंद,अरविंदो..
अशोक,चंद्रगुप्त से लेकर गांधी,पटेल..
आर्यभट,वराहमिहिर से लेकर c.v.रमन,साराभाई..
कालिदास,हरिषेण से लेकर प्रेमचंद्र,दिनकर..
सबके सफलता का एक ही रहस्य था..
"अपने लक्ष्य के प्रति सरस्व त्याग के लिए तत्परता,निरंतरता और कर्मठता.."