मंगलवार, 24 जून 2025

मैं क्या सोच रहा था..

सच हमेशा वो नही होता..
जो आप देखते है,और सुनते है..
सच इससे अलग भी हो सकता है..।।

अभी-अभी ऑटो से आ रहा था..और ऑटो में ग़दर फ़िल्म का गाना बज रहा था.."हो मैं निकला गड्डी लेकर...
वो गाना सुनके मैं भी गुनगुणाने लगा..
मगर बार-बार आवाज कम और ज्यादा हो रहा था..
जिसकारण मेरे अंदर ड्राइवर के प्रति नाराजगी उभरने लगा..
कुछ ही सेकंड के बाद ड्राइवर ने मुझसे कहा देखिए ना मोबाइल मैं क्या हो गया है..
आवाज खुद-ब-खुद कम हो जा रहा है..।
ये सुनते ही मुझे शर्मिंदगी महसूस हुआ..
मैं क्या सोच रहा था..
जबकि वास्तिवकता बिल्कुल इससे अलग था..।।

सोमवार, 23 जून 2025

सफल लोग...

दुनिया सिर्फ सफल लोगों को ही याद रखता है..
क्या आपको कोई असफल लोग याद है..??
आपके जेहन में जितने भी नाम होंगे..
(जान-पहचान वालों को छोड़कर😊)
वो कंही-न-कंही अपने जिंदगी में सफल जरूर होंगें..।

चलिए आंख बंद कीजिए..
और मन मे किसी भी क्षेत्र से किसी का नाम सोचिये..।
क्या आपने सोचा...??
अगर हां,तो आपके जेहन में उसका नाम क्यों आया..
क्योंकि वो अपने क्षेत्र में सफल है..।।

हममें से हरेक लोग सफल होना चाहते है..
और हममें से हरेक लोग(100%) जिंदगी में कभी-न-कभी सफल जरूर होते है..।।

तो फिर आखिर क्या होता है कि हम असफल हो जाता है..??
हम अपनी असफलता के लिए स्वयं ही जिम्मेदार होते है..
अगर हम/आप अगर अपनी असफलता के लिए दूसरों को कोसते है,तो वो इसलिये की हममें इतनी भी हिम्मत नही है कि हम सच्चाई को स्वीकार कर सकें..।।
असफलता की शुरुआत स्वयं से ही होती है..
सफलता त्याग मांगती है..
और हम कुछ त्यागने के लिए तैयार ही नही होते..।

हममें से शायद ही कोई होगा जो गांधी को नही जानता होगा..?
आखिर क्यों..??
क्योंकि गांधी ने अपना सर्श्व त्याग दिया..।।
शायद ही कोई युवा होगा जो भगत सिंह को नही जानता होगा..
क्यों..क्योंकि उन्होंने जिंदगी की भीख को ठुकरा कर फांसी के फंदे को चुना..।

सफलता त्याग से मिलती है..
आप जितना त्याग(काम,क्रोध,मोह,लोभ) करते जाएंगे आप सफलता के ऊंचाइयों पे उतना चढ़ते जाएंगे..।।

सफलता की ऊंचाई पठार की तरह नही बल्कि शूल की तरह है..
जो दूसरों को तो देखने में अच्छा लगता है..मगर स्वयं को चुभता रहता है..अगर इसके साथ तालमेल नही बिठाया तो जिंदगी का बुरा हश्र होता है..।।


हरेक दशक में कई नामचीन हस्ती उभरते है..
मगर अपने सफलता का रजत जयंती(25 वर्ष) भी नही मना पाते है..।
आप जंहा है वंहा से 10 वर्ष पीछे जाए और उस समय के हरेक क्षेत्र के लोकप्रिय लोगों का नाम सोचें..
उनमें से आज कितने लोग अपने सफलता को बरकरार रखें हुए है..।
आप जितने पीछे जाते जाएंगे उतने कम लोग को जानते जाएंगे..।।
मगर आगे हमारा भविष्य पड़ा हुआ है..अगर कोई हमें भी याद रखें.. कोई रखें या न रखें गाँव वाला ही रखें.. या फिर आनेवाली हमारी पीढियां ही याद रखें.. तो उनके लिए ही सही कुछ करना होगा...।
नही तो, हममें से जैसे कई लोग अपने बाप-दादा को कोसते है,उसी तरह हमारी आनेवाली पीढियां भी हमें कोसेगी..।।

अपने कमियों को त्यागे..और सफलता की और अग्रसर हो..।।
सफलता का एक ही रहस्य है..
"अपने लक्ष्य के प्रति सरस्व त्याग के लिए तत्परता,निरंतरता और कर्मठता.."
इन राहों पे चलकर आजतक कोई असफल नही हुआ है..।।
बुद्ध, महावीर से लेकर स्वामी विवेकानंद,अरविंदो..
अशोक,चंद्रगुप्त से लेकर गांधी,पटेल..
आर्यभट,वराहमिहिर से लेकर c.v.रमन,साराभाई..
कालिदास,हरिषेण से लेकर प्रेमचंद्र,दिनकर..

सबके सफलता का एक ही रहस्य था..
"अपने लक्ष्य के प्रति सरस्व त्याग के लिए तत्परता,निरंतरता और कर्मठता.."

शनिवार, 21 जून 2025

मैं रुका नही हूँ..

सब जिंदगी के दौड़ में कंहा से कंहा चले गए..
और मैं..
इस जिंदगी के दौड़ में कंही खो गया..।
दौड़ मैंने भी लगाया था..
मगर कंही पहुंच नही पाया..
एक ऐसे चौराहे पे खड़ा हूँ..
जंहा दलदल में फंसे जा रहा हूँ..
यंहा से हर रोज निकलना चाहता हूं..
मगर फिर इसी दलदल में धसते चला जाता हूँ..।।
एक ऐसी ऊर्जा की जरूरत है..
जो सबकुछ बदल दे..।।
वो ऊर्जा मेरे अंदर ही है..
मगर उसे कैसे विस्फोटित करू यही पता नही है..।।

सब जिंदगी के दौड़ में कंहा से कंहा चले गए..
और मैं..
इस जिंदगी के दौड़ में यंही का यंही रह गया..।
क्वांटम फिजिक्स एक ऐसा विज्ञान है..
जो क्षण में सब कुछ बदल देता है..
इसी क्वांटम मनो-मस्तिष्क की जरूरत है एक बार..
जो सबकुछ बदल कर एक नया स्वरूप दे..।।

सब जिंदगी के दौड़ में कंहा से कंहा चले गए..
और मैं..
इस जिंदगी के दौड़ में यंही का यंही रह गया..।
मुझे अफसोस नही की मैं यही का यही रह गया क्योंकि मैं अभी भी दौड़ रहा हूँ..और दौड़ता रहूंगा..
मगर अफसोस इस बात की है..की मैं कंहा दौड़ रहा हूँ..
जंहा मंजिल का कुछ पता ही नही है..
बस दौड़ रहा हूं, चल रहा हूँ,रेंग रहा हूँ..।।
मगर मैं रुका नही हूँ..।।

शुक्रवार, 20 जून 2025

सबकी अपनी-अपनी कहानी है..

सबकी अपनी-अपनी कहानी है,
हरेक के कहानी में गम की नुमानी है,
शायद ही कोई हो..
जिसकी कहानी में गम की नुमानी न हो..।
जिसके कहानी में गम की नुमानी न हो..
उसका यंहा रहना या न रहना..
दोनों बईमानी है..
सबकी अपनी-अपनी कहानी है.।


सबकी अपनी-अपनी कहानी,
अपनी-अपनी जुबानी है..।
मगर हरेक के कहानी में गम की नुमानी है...
किसी ने अपने कहानी को मजेदार बनाया है,
तो किसी ने अपने कहानी को बोझिल बनाया है..।
जबकि सबके कहानी में गम की नुमानी है..
तो फिर क्यों सबकी कहानी अलग-अलग सी है..
क्योंकि किसी ने गम को जिंदगी का हिस्सा बनाया,
तो किसी ने गम को साथी बनाया..
हममें से कुछ थे बड़े चालाक..
उन्होंने गम को अपने काबू में रखकर सफलता का इमारत बनाया..।।

सबकी अपनी-अपनी कहानी है,
हरेक के कहानी में गम की नुमानी है..।।

प्यार की पांति..

तुम मेरे अंतस मन मे ऐसे बैठे हो जैसे दो फेफड़े के बीच मे हृदय बैठा है..
तुम्हें जब भी भूल जाता हूँ..
मेरे अंतस मन में बैठी तुम्हारी यादें यू ही उभर आती है..
जैसे मुश्किलों में हृदय का धड़कना अहसास कराता है,जैसे वो भी शरीर का एक हिस्सा हो..।


आज फिर तुम मेरे सपनों में आई..
क्यों..??
मैं तो तुम्हें भूल चुका था..
मगर तुमने सपनों के द्वारा मेरे चेहरे पे फिर से मुस्कान लाया..।।
मेरे नीरस हो चुकी जिंदगी में फिर से थोड़ा खुशनुमा बनाने के लिए धन्यवाद..
यू ही कभी-कभी यादों में आकर मेरे बोझिल जिंदगी को
हल्का कर जाया करो..
यू ही मेरे यादों में आकर..
बेकार हो रही जिंदगी की महत्वता को बता जाया करो..
यू ही मेरे यादो में आकर..
कुछ हद से कर गुजर जाने का अहसास करा जाया करो..
यू ही तुम मेरे यादोँ में आकर..
अपना मौजूदगी का अहसास करा जाया करो..
नीरस हो गए चेहरे पे फिर से मुश्कान बिखेर जाया करो..।।

मंगलवार, 17 जून 2025

मछली..बस अब यादें ही रह जायेगी..

मुझे नही पता था..
शायद इसे भी पता नही था
आगे क्या होगा..।
आज इसका आशियाना मेरे हाथों से टूट गया..
और इसे मैंने एक बड़े आशियाने में फेंक दिया..।।

कुछ देर से मैं इसलिये उदास हूँ कि इसके प्रति मेरा लगाव था भी की नही..या फिर मैं मोह माया से ऊपर उठ गया हूँ..।

इसे मैंने पिछले साल खरीद कर लाया था,साथ मे दो गोल्ड फिश भी एक गोल्ड फिश तो कुछ दिनों में ही गुजर गई,और एक महीने अंतराल बाद..।इसने अपने आप को ढाल लिया था..।
ये ठीक मेरे स्टडी टेबल के सामने खिड़की पर रहता था..
कभी-कभी इसके हरकतों को निघारता रहता था..और जब मन खुश होता तो इसके नथुने से नथुने मिलाता था..।
जब भी पानी बदलता तब ये खुब उछल कूद करती..बहुत प्रयास के बाद मेरे पकड़ में आती थी..।।और पानी बदलने के बाद 1-2 दिन तक खूब उछल कूद करती थी..।इसने पानी को अपने रहने अनुकूल ढालना सीख गया था।।

हरेक सप्ताह की तरह इस सप्ताह भी पानी बदलना शुरू किया..
मगर मेरे अंदर कुछ जल्दबाजी था,जो इससे पहले कभी नही रहता था,मैंने आज पानी बदलने की शुरुआत भी कुछ गलत तरीके से किया..
मैंने मछली सहित पानी को बेसिन में उड़ेल दिया..इससे पहले मैंने ऐसा कभी भी नही किया था,मैंने शायद इसलिए ऐसा किया क्योंकि टब के नीचे गाद जम चुका था,शायद इस कारण मेरे अंदर घृणा का भाव पनपा हो और टब फूट गया हो..।।
शायद मछली ने प्रभु से कहा होगा,प्रभु जंहा घृणा हो,वंहा रहना सही नही है..।।इसिलिय टब फूट गया हो..।।

इससे पहले भी साफ करते वक़्त टब कई बार टकराता था,वो मैं सतर्क हो जाता था..मगर आज टकराते ही फुट गया..।।
मछली को मैंने 4 घंटे तक कटोरे में रखा,और 4:30 बजे जब घर से बाहर निकला तो इसे एक पॉलीथिन में रखा..और सोचा तालाब में उड़ेल दूंगा..।।
मगर जब में तालाब किनारे पहुंचा तो पानी का स्तर बहुत नीचे था..मैंने पॉलीथिन के अंदर हाथ डाला उसे पकड़ा..मगर जगह कम होने के वजह से वो ज्यादा उछल-कूद नही कर सका..
मैंने हाथों में पकड़ कर तालाब में फेंक दिया..
इसने हवा को तीरते हुए पानी में डुबकी लगाई और फिर ऊपर आई..शायद मेरे तरफ देखी..मैंने उसे देखा..और फिर उसने पानी की गहराइयों में तैरना शुरू कर दिया..और मेरे आंखों से ओझल हो गया..।।

ये तालाब गर्मी के समय सुख जाता है एक दो महीने के लिए,बस भगवान से दुआ करूँगा की अब ये तालाब कभी न सूखे।।


दाग धुलते है..

आपने कभी कपड़े धोये है..??
अगर हां,तो
धोने के बाद कपड़ा कैसा दिखता है..।
साफ दिखता है,हो सकता है कभी-कभी दाग पूरे नही हटते हो,मगर बार-बार प्रयास करने पर वो दाग हट जाते है..।
अगर तब भी नही हटता है, तो हम धोबी को दे देते है..।
मगर प्रयास नही छोड़ते..।।
दाग धुलते है..।।


जिंदगी का भी यही फलसफा है..
भले ही आपके जिंदगी में असफलता/अपयश के कई दाग लगे हो,अगर आप प्रयास करते रहेंगे तो एक दिन ये दाग धूल जाएंगे..।
सिर्फ धुलेंगे ही नही बल्कि आपके व्यक्तित्व को और बड़ा बनाएगा..।।
दरसल हम प्रयास ही नही करते..
एक-दो बार प्रयास करते है,और हम छोड़ देते है..।।
क्या हम उन कपड़ो के साथ ऐसा करते है..??
शायद नही,हमसे साफ न होने पर हम धोबी को देते है..।
इसी तरह जिंदगी में कई बार प्रयास करने पर असफल होने पर भी किसी अनुभवी व्यक्ति के पास जाए..
वो आपके शिक्षक,गुरु,माता-पिता,भाई-बहन कोई भी हो सकता है..।।
अगर इनके पास जाने से भी कतराते है तो उस परमपिता के पास जाए..।
उनके पास हरेक समस्याओं का समाधान है..।।

क्या हमारे पास धैर्य है..??
जब हम दाग को धोते है तो कई बार प्रयास करने के बाद दाग हटते है..इसे साफ करने में कभी-कभी मिनटों और घंटे भी लग जाते है..अगर तब भी नही होता,तो हम धोबी के पास कई दिन के लिए कपड़े को छोड़ देते है..।।

क्या व्यक्तित्व के दाग धुलने के लिए हमारे पास धैर्य है..??
शायद नही..
हम असफल होने के बाद खड़े तो होते है,कुछ कदम चलते है,सफलता न दिखने पर फिर हम थक हार जाते है..।।
आखिर क्यों..??
हम उन कपड़ो के साथ ऐसा व्यवहार तो नही करते,हम उसके दाग को धुलने के लिए अंत तक प्रयास करते है,जबतक दाग धूल न जाये..।।
इसी तरह जिंदगी में भी ताउम्र प्रयास करते रहना चाहिए जबतक असफलता/अपयश का दाग धूल न जाये..।।
क्योंकि दाग धुलते है..।।