मंगलवार, 17 जून 2025

मछली..बस अब यादें ही रह जायेगी..

मुझे नही पता था..
शायद इसे भी पता नही था
आगे क्या होगा..।
आज इसका आशियाना मेरे हाथों से टूट गया..
और इसे मैंने एक बड़े आशियाने में फेंक दिया..।।

कुछ देर से मैं इसलिये उदास हूँ कि इसके प्रति मेरा लगाव था भी की नही..या फिर मैं मोह माया से ऊपर उठ गया हूँ..।

इसे मैंने पिछले साल खरीद कर लाया था,साथ मे दो गोल्ड फिश भी एक गोल्ड फिश तो कुछ दिनों में ही गुजर गई,और एक महीने अंतराल बाद..।इसने अपने आप को ढाल लिया था..।
ये ठीक मेरे स्टडी टेबल के सामने खिड़की पर रहता था..
कभी-कभी इसके हरकतों को निघारता रहता था..और जब मन खुश होता तो इसके नथुने से नथुने मिलाता था..।
जब भी पानी बदलता तब ये खुब उछल कूद करती..बहुत प्रयास के बाद मेरे पकड़ में आती थी..।।और पानी बदलने के बाद 1-2 दिन तक खूब उछल कूद करती थी..।इसने पानी को अपने रहने अनुकूल ढालना सीख गया था।।

हरेक सप्ताह की तरह इस सप्ताह भी पानी बदलना शुरू किया..
मगर मेरे अंदर कुछ जल्दबाजी था,जो इससे पहले कभी नही रहता था,मैंने आज पानी बदलने की शुरुआत भी कुछ गलत तरीके से किया..
मैंने मछली सहित पानी को बेसिन में उड़ेल दिया..इससे पहले मैंने ऐसा कभी भी नही किया था,मैंने शायद इसलिए ऐसा किया क्योंकि टब के नीचे गाद जम चुका था,शायद इस कारण मेरे अंदर घृणा का भाव पनपा हो और टब फूट गया हो..।।
शायद मछली ने प्रभु से कहा होगा,प्रभु जंहा घृणा हो,वंहा रहना सही नही है..।।इसिलिय टब फूट गया हो..।।

इससे पहले भी साफ करते वक़्त टब कई बार टकराता था,वो मैं सतर्क हो जाता था..मगर आज टकराते ही फुट गया..।।
मछली को मैंने 4 घंटे तक कटोरे में रखा,और 4:30 बजे जब घर से बाहर निकला तो इसे एक पॉलीथिन में रखा..और सोचा तालाब में उड़ेल दूंगा..।।
मगर जब में तालाब किनारे पहुंचा तो पानी का स्तर बहुत नीचे था..मैंने पॉलीथिन के अंदर हाथ डाला उसे पकड़ा..मगर जगह कम होने के वजह से वो ज्यादा उछल-कूद नही कर सका..
मैंने हाथों में पकड़ कर तालाब में फेंक दिया..
इसने हवा को तीरते हुए पानी में डुबकी लगाई और फिर ऊपर आई..शायद मेरे तरफ देखी..मैंने उसे देखा..और फिर उसने पानी की गहराइयों में तैरना शुरू कर दिया..और मेरे आंखों से ओझल हो गया..।।

ये तालाब गर्मी के समय सुख जाता है एक दो महीने के लिए,बस भगवान से दुआ करूँगा की अब ये तालाब कभी न सूखे।।


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