आपके लिए स्वतंत्रता के क्या मायने है...??
क्या आप सबकुछ करने के लिए स्वतंत्र है..
बेसक बहुत हद तक आप वो सब कुछ करने के लिए स्वतंत्र है,जिससे किसी के अधिकार क्षेत्र में आपकी, दखलंदाजी नही होती है..।
मगर स्वतंत्रता के साथ कर्तव्य भी समाहित है..
क्या हम अपने नैतिक कर्तव्य के साथ संविधान में समाहित मौलिक कर्तव्य का पालन कर रहे..??
बिल्कुल नही..स्थिति ये है कि हमारे नैतिक कर्तव्य का भी क्षरण होते जा रहा है।।
पहले सरकार की बात करते है....
क्या सरकार अपनी स्वतंत्रता के साथ कर्तव्य का पालन कर रही है..??
वर्तमान में सरकार अपनी स्वतंत्रता का दायरा बढ़ाती जा रही है...मगर जो उसका मूल कर्तव्य है,वो अभी भी उस से कोषों दूर है...।।
संविधान की प्रस्तावना के साथ नीति-निर्देशक तत्व में सरकार को कुछ कर्तव्य निर्देशित किया गया है...
संविधान के प्रस्तावना में सभी भारतीय को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिले की बात की गई है...
क्या आज मिल रहा है..??
#सामाजिक न्याय..की दशा दयनीय है..आप समृद्ध है तो आपको सामाजिक न्याय मिलने में देरी नही लगेगी..मगर वही आप गरीब है तो आपको दर-दर भटकना होगा..।
आज गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा/स्वास्थ्य आम लोगो से दूर होती जा रही है...
क्या आप इसे महससू नही कर रहे है..
अगर आप 15-30 साल के उम्र के दायरे में आते है तो अपने पिताजी से पूछियेगा की सरकारी स्कूल की शिक्षा कैसी थी..।
सरकार जिस तरह से हॉस्पिटल में अपनी सहभागिता कम करती जा रही है उससे सबसे ज्यादा प्रभावित कौन लोग होंगे..??
सरकार भले ही कुछ कहे जमीनी हकीकत कुछ और है..।।
वंही न्याय की बात करे तो आपको भी पता है,पैसों से न्याय बदल जाता है,गुनाहगार जेल से बाहर और बेगुनाह जेल के अंदर चले जाते है,या न्याय के लिए भटकते है.. यही वास्तिवकता है..
आप मानो या न मानो..।।
#आर्थिक न्याय की स्थिति तो बहुत ही विडंबना भरी हुई है..हम GDP के मामले में बहुत जल्द तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे..मगर #प्रति_व्यक्ति_आय के मामले में हमारा स्थान 100वे स्थान के अंदर भी नही आता..IMF के वर्ड इकोनॉमीक आउटलुक पत्रिका के अनुसार 2021 में भारत का स्थान 194वे देशों में 144वॉ था।
- वही ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 121 देशों में 107वा है..सोचिएगा क्या सिर्फ 5kg अनाज का आवंटन करने से सबकुछ ठीक हो जाएगा..??
#राजनीतिक_न्याय जरा सोचिएगा वर्तमान स्थिति में कोई व्यक्ति विधान-सभा या लोक-सभा का चुनाव लड़ सकता है..अगर हां तो उसे कम-से-कम कितने पैसे खर्च करने होंगे..??
वर्तमान समय मे सबसे बड़ी समस्या जो उभरकर के आ रही है वो है राजनीतिक-अपराधी गठबंधन..
वर्तमान में लोकतांत्रिक सुधार संघ(Association for Democratic Reforms ADR) के अनुसार हाल ही में कर्नाटक चुनाव में सभी दलों में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है..
वंही 2004 में 24% सांसदों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे,जो बढ़कर 2019 में 44% हो गया है..।।
जरा आप सोचिए ..आम लोगों को राजनीतिक न्याय कैसे मिलेगा..??
और राजनतिक न्याय इतना महत्वपूर्ण है कि वो सामाजिक और आर्थिक न्याय को भी प्रभावित करता है,और वर्तमान में प्रभावित कर रहा है...।।
जरा गूगल पे सर्च कीजियेगा...
भारत मे प्राइवेट B.ed /इंजीनियरिंग/मेडिकल कॉलेज और अस्पताल किसके है..??
प्रस्तावना सरकार को यह भी निर्देशित करती है कि सभी भारतीय को विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता दी जाय क्या आज सभी भारतीय को मिल पा रहा है...??
हम भारतीय को इतनी विचार और अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है कि हमारे देश का हर न्यूज़ चैनल नंबर-1 है,मगर वास्तिवकता ये है कि विश्व रैंकिंग में हमारा स्थान 180 देशों में 161वा है..।।
ये आपको अहसास होता होगा कि आखिर ऐसी दशा क्यों है,क्योंकि वो जनता के विचार,अभिव्यक्ति को अभव्यक्त ही नही करते..।।
हां जंहा तक धर्म और उपासना की स्वतंत्रता की बात है,सरकार ने वोट-बैंक की राजनीति के कारण ज्यादा ही छूट दे दी है.. हमारा इतिहास साक्षी है कि हमने कभी धर्म के नाम पे किसी को खरोंच तक नही पहुचाई ही,मगर आज किसी की हत्या करने में भी नही सकुचाते है..।।
साथ ही प्रस्तावना सरकार को निर्देशित करती है कि वो #व्यक्ति_की_गरिमा और #राष्ट्र_की_एकता_अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए #बंधुता को बढ़ावा देगी...
क्या सरकार कर रही है..??
जंहा तक व्यक्ति की गरिमा की बात है,तो कुछ घटनाओं को देखकर स्थिति दयनीय लगती है..जिस तरह मणिपुर में एक स्त्री को नग्न किया गया और सरकार मौन रही इससे प्रतीत होता है कि सरकार को व्यक्ति की गरिमा की नही बल्कि उसे अपनी पड़ी हुई थी..और इसी घटना के तहत उसके ऊपर करवाई की जा रही है जिसने सोशल मीडिया पे ये वीडियो जारी किया..
जरा सोचिएगा अगर ये वीडियो जारी न हुआ होता तो क्या होता..??
और इसके बाद सरकार जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप लगा रही थी कि बंगाल में भी हुआ राजस्थान में भी हुआ ये सबसे शर्मसार करने वाली बात थी...।।
कर्तव्य सिर्फ सरकार के ही नही हम नागरिकों के लिए भी है..।।
सरकार से अपने अधिकारों की मांग करने से पहले हमें अपने गिरवां में भी झांकना चाहिए..
संविधान ने हरेक व्यक्ति को निर्देशित किया है कि वो मूल कर्तव्यों का पालन करें..
मगर अफ़सोस भारत की आधी आबादी को मूल कर्तव्य की जानकारी भी नही होगी..
मैं तो कहता हूं की 10% को भी नही मालूम होगा कि संविधान में कितने मूल कर्तव्य निर्दर्शित किये है..
कुल 11 मूल कर्तव्य है..।।
अगर आप इन कर्तव्यों को नही जानते है कोई बात नही..
आप अपने नैतिक कर्तव्यों को तो जानते है, उसका पालन करें.. क्योंकि 90% नैतिक कर्तव्य ही मूल कर्तव्य में समाहित है..।।
जरा सोचिएगा....
•क्या आप अपने से बड़ों का सम्मान करते है..??
•क्या आप महिलाओं,वृद्धजनों,असहाय लोगों की सहायता एवं सम्मान करते है...
•क्या आप जीव-जंतु/पेड-पौधों की संरक्षण के लिए कदम उठाते है..??
•क्या आप ट्रैफिक/अन्य नियमों का पालन करते है..??
•क्या आप अपने मन,कर्म,वचन से सही है...सबसे महत्वपूर्ण यही है...अगर आप सही है तो आप सक्ता से सिर्फ सवाल ही नही उसे अपने अधिकारों के लिए चुनौती भी दे सकते है..।।
प्रकृति का नियम है,यंहा कुछ भी मुफ्त में नही मिलता..
हरेक चीज की किसी न किसी तरह कीमत चुकानी होती है,या प्रत्यक्ष रूप से या फिर अप्रत्यक्ष रूप से...।।
इसीलिए हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि स्वतंत्रता का सदुपयोग करते हुए, हम अपने नैतिक और मौलिक कर्तव्य का भी पालन करें..।।
सही अर्थों में यही है स्वतंत्रता के मायने...