गुरुवार, 31 अगस्त 2023

मेरी पहचान क्या है...

 मेरी पहचान क्या है,वो ढूंढने चला हूँ,

मेरी राह क्या है,उसे ढूंढने चला हूं,

भला कोई बताए,क्या ढूंढने से वो मिला है..जो है ही नही..

न मेरी पहचान है,न ही मेरी राहें है..।।

तो फिर मैं करू क्या..??

जो है नही उसे बनाने का प्रयत्न करें..

चाहे पहचान हो,या फिर राहें हो..

कब तक यू ही दूसरों के पहचान से जाना जाऊ,

कब तक यू ही दूसरे के बनाये राहें पे चलता जाऊ..।।

क्या मेरी जमीर मर चुकी है.. या फिर हमने ही मार दिया है..

इसिलिय तो खामोश दुसरो के पहचान को ओढ़े हुए दूसरों के बनाये राहों पे चला जा रहा हूँ...

बहन..



माँ के बाद सारी दुनिया से अगर कोई लड़ सकती है, तो वो बहन ही है..

माँ के बाद खुद भूखे रहकर पहले मुझे खिला दे वो बहन ही है..

माँ के बाद बिना शर्त स्नेह उड़ेल दे वो बहन ही है..

माँ के बाद अगर कोई माँ का स्थान ले सके, तो वो बहन ही है..

अपना सबकुछ त्यागकर ,पराए घर चली जाए वो बहन ही है...उसके बाद भी स्नेह का न्यौछावर करें वो बहन ही है..।।


भावनाएं शब्दों पे हावी है..

सच कहूं तो मेरी बहना.. 

मैं तुमसब से उतना स्नेह नही करता.. जितना तुमसब करती हो..।

अगर करता तो मेरी भावनाएं इन शब्दों को उल्लिखित ही नही होने देती..

जितने शब्द लिखने छूट गए,मैं उतना ही तुमसब से स्नेह करता हूँ...।।


शनिवार, 26 अगस्त 2023

इक खालीपन सा है..



इक खालीपन सा है,

उसे भरना है...

कैसे..??

मालूम नही,मगर भरना है...।।

किस चीज से भरना है...मालूम नही..

मगर उस चीज की तलाश है..

क्योंकि जिस-जिस से भरना चाहा.. उससे तो खालीपन बढ़ता ही गया..।।

खालीपन इतना है,जैसे शांत समुन्द्र..

मगर वास्तिवकता ये है कि ये उतना ही खाली है,

जितना रेगिस्तान में मृग-मारीचिका के कारण पानी की धार..।।

इक खालीपन सा है...जो वास्तविकता में है ही नही..वो भरा हुआ है,जिसे हम खालीपन समझ बैठे है..।।

इक खालीपन सा नही, इक भरापन सा है..

जिसे खाली करना है..

और फिर खालीपन का अहसास करना है...।।


रविवार, 20 अगस्त 2023

बुरा जो देखन में चला...

हम सब की अपनी एक विचारधारा होती है,और हम अपने विचारधारा के अनुरूप सही और गलत का निर्णय लेते है... मगर हमारा निर्णय सही ही हो,जरूरी नही..



कभी-कभी हम जो देखते है...हो सकता है, वो सत्य का सिर्फ एक ही पहलू हो..।।

चलिए एक वाकया सुनाता हूँ...

आज सुबह में जेटी(नाव) पे चढ़ा ही था तो एक व्यक्ति को देखा जो अपने मे मस्त था और वो एक व्यक्ति को झिड़क रहा था चल साइड में खड़ा हो..जिसे वो झिड़क रहा था वो शारीरिक दृष्टिकोण से उतना मजबूत नही था..

ये दृश्य देख, अंदर से मुझे गुस्सा आया.. मुझे लगा शायद पिये हुआ है..।।

जेटी किनारे लगा और में इस वाकया को भूल गया..

आते वक़्त देखता हूँ कि किसीने सड़क पर एक छोटा सा बैरियर लगा कर अकेले ही पत्थरो से,सड़क का गड्ढा भर रहा है जो बारिश के कारण कुछ सप्ताहों से था..।।

जब मेरी नजर उस व्यक्ति पे पड़ता है,तो मेरी सोच बदल जाती है,क्योंकि वो व्यक्ति वही था जिसे मैंने सुबह में एक व्यक्ति से बदतमीजी करते हुए देखा था..।।

उसने मुझे सोचने पे विवश किया....

मैं किसी को पूर्णतया जाने हुए किसी के बारे मैं कैसे अपनी विचारधारा बना सकता हूं...??हो सकता था वो जिस से बदतमीजी कर रहा हो,वो उसका मित्र रहा हो..क्योंकि वो किसी और के साथ तो इस तरह की हरकत नही की..।।

हरेक इंसान का दो पहलू होता है,हम जिस इंसान से,जिस पहलू से भिज्ञ होते है,हम उसी अनुसार उसे देखते है, की वो अच्छा है या बुरा है...।।

-अगर आप एक पहलू ही देखकर निर्णय लेते है ,तो सबसे बुरे इंसान तो आप ही है..।। तो फिर निर्णय कैसे ले..??

-पहले इंसान के दोनों पहलुओं को देखे किसका पलड़ा भारी है किसका हल्का है..उसके अनुसार निर्णय करें..।।

-मगर ये भी कोई जरूरी नही है कि, जिसे आप जैसे देख रहे है वो वैसा ही रहे..परिस्थितियों के अनुसार वो बदल सकता है..।।

आप अपने समाज में देखते होंगे बचपन/युवावस्था मे कोई व्यक्ति बहुत बुरा/अच्छा था, अब बिल्कुल ही बदल गया..क्योंकि इंसान को अच्छे और बुरे बनने के लिए कुछ हद तक परिस्थितियां भी जिम्मेदार होती है..।।

इसिलिय हम कौन होते है सही और बुरे का निर्णय लेने वाले...बिना परिस्थितियों को जाने हुए??

हमें बस इतना अधिकार है कि हम अपनी कमियों को जाने और उसे दूर करें..

कबीरदास कहते है-

"बुरा जो देखन में चला बुरा न मिलिया कोई,

 जब दिल झांका आपना मुझसे बुरा न कोई"..।।


शनिवार, 19 अगस्त 2023

शब्दों का प्रभाव...

शब्दों का महत्व हमारे जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान रखता है,कुछ शब्द आपको सम्मानित कर सकते है,तो कुछ शब्दों का चयन आपको अपमानित कर सकता है..।।



शब्दों का प्रभाव हमारे जिंदगी पर इतना है कि आपके शब्दों का सही चयन आपके रिश्ते को प्रगाढ़ या फिर कमजोर कर सकता है...।।

इस विषय में सोचिए...।।

इसके ढेर सारे उदाहरण आपके आसपास में मिल जाएंगे..

आप प्रधानमंत्री मोदीजी को ही लीजिए..उनके लोकप्रियता का सबसे बड़े कारणों में उनके शब्दों का चयन का भी है..जब वो कहते है मेरे प्यारे भाई-बहनों.. तो इसका एक अलग ही प्रभाव पड़ता है,भले ही आप उनके नीतियों से सहमत नही है,मगर दुबे जुवां आप भी उनके प्रशंसा करेंगे...।।

इसी तरह महेंद्र सिंह धोनी को लीजिए हाल ही में हुए IPL मैच में उनके बैटिंग करते उतरते ही JIO की विएवरशिप अचानक दोगुनी हो जाती थी..आखिर क्यों..??

क्योंकि उनके शब्दों में नम्रता है,वो हरेक परिस्थितियों में शांत और सौम्य रहना जानते है..।।

इसी तरह आप APJ abdul kalam को लीजिए..अगर आप इंग्लिश नही भी जानते है तो भी आप उनके भाषणों को सुनिए आपको समझ मे आएगी,क्योंकि वो अपने शब्दों के साथ अपने भावनाओं को प्रकट कर रहे होते थे..इसीलिए वो बहुत लोकप्रिय हुए और उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा गया..।।

कितने उदाहरण है...आपको हरेक क्षेत्र में इस तरह का व्यक्तित्व मिल जाएगा..।।

इसीलिए आप अपने शब्दों के चयन पे काम कीजिये..क्योंकि आपके एक गलत शब्द आपके जिंदगी को गर्त में डाल सकता है,और एक सही शब्द का चयन सही वक्त पे आपको आसमां के उचाईयों पे पहुंचा सकता है...।

इसकी शुरुआत आप मौन रहने से कर सकते है..।



मंगलवार, 15 अगस्त 2023

स्वतंत्रता के मायने..

आपके लिए स्वतंत्रता के क्या मायने है...??



क्या आप सबकुछ करने के लिए स्वतंत्र है..

बेसक बहुत हद तक आप वो सब कुछ करने के लिए स्वतंत्र है,जिससे किसी के अधिकार क्षेत्र में आपकी, दखलंदाजी नही होती है..।

मगर स्वतंत्रता के साथ कर्तव्य भी समाहित है..

क्या हम अपने नैतिक कर्तव्य के साथ संविधान में समाहित मौलिक कर्तव्य का पालन कर रहे..??

बिल्कुल नही..स्थिति ये है कि हमारे नैतिक कर्तव्य का भी क्षरण होते जा रहा है।।


पहले सरकार की बात करते है....



क्या सरकार अपनी स्वतंत्रता के साथ कर्तव्य का पालन कर रही है..??

वर्तमान में सरकार अपनी स्वतंत्रता का दायरा बढ़ाती जा रही है...मगर जो उसका मूल कर्तव्य है,वो अभी भी उस से कोषों  दूर है...।।

संविधान की प्रस्तावना के साथ नीति-निर्देशक तत्व में सरकार को कुछ कर्तव्य निर्देशित किया गया है...




संविधान के प्रस्तावना में सभी भारतीय को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिले की बात की गई है...

क्या आज मिल रहा है..??

#सामाजिक न्याय..की दशा दयनीय है..आप समृद्ध है तो आपको सामाजिक न्याय मिलने में देरी नही लगेगी..मगर वही आप गरीब है तो आपको दर-दर भटकना होगा..।

आज गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा/स्वास्थ्य आम लोगो से दूर होती जा रही है...

क्या आप इसे महससू नही कर रहे है..

अगर आप 15-30 साल के उम्र के दायरे में आते है तो अपने पिताजी से पूछियेगा की सरकारी स्कूल की शिक्षा कैसी थी..।

सरकार जिस तरह से हॉस्पिटल में अपनी सहभागिता कम करती जा रही है उससे सबसे ज्यादा प्रभावित कौन लोग होंगे..??

सरकार भले ही कुछ कहे जमीनी हकीकत कुछ और है..।।

वंही न्याय की बात करे तो आपको भी पता है,पैसों से न्याय बदल जाता है,गुनाहगार जेल से बाहर और बेगुनाह जेल के अंदर चले जाते है,या न्याय के लिए भटकते है.. यही वास्तिवकता है..

आप मानो या न मानो..।।


#आर्थिक न्याय की स्थिति तो बहुत ही विडंबना भरी हुई है..हम GDP के मामले में बहुत जल्द तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे..मगर #प्रति_व्यक्ति_आय के मामले में हमारा स्थान 100वे स्थान के अंदर भी नही आता..IMF के वर्ड इकोनॉमीक आउटलुक पत्रिका के अनुसार 2021 में भारत का स्थान 194वे देशों में 144वॉ था

- वही ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 121 देशों में 107वा है..सोचिएगा क्या सिर्फ 5kg अनाज का आवंटन करने से सबकुछ ठीक हो जाएगा..??


#राजनीतिक_न्याय जरा सोचिएगा वर्तमान स्थिति में कोई व्यक्ति विधान-सभा या लोक-सभा का चुनाव लड़ सकता है..अगर हां तो उसे कम-से-कम कितने पैसे खर्च करने होंगे..??

वर्तमान समय मे सबसे बड़ी समस्या जो उभरकर के आ रही है वो है राजनीतिक-अपराधी गठबंधन..

वर्तमान में लोकतांत्रिक सुधार संघ(Association for Democratic Reforms ADR) के अनुसार हाल ही में कर्नाटक चुनाव में सभी दलों में आपराधिक मामलों  वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है..

वंही 2004 में 24% सांसदों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे,जो बढ़कर 2019 में 44% हो गया है..।।

जरा आप सोचिए ..आम लोगों को राजनीतिक न्याय कैसे मिलेगा..??

और राजनतिक न्याय इतना महत्वपूर्ण है कि वो सामाजिक और आर्थिक न्याय को भी प्रभावित करता है,और वर्तमान में प्रभावित कर रहा है...।।

जरा गूगल पे सर्च कीजियेगा...

भारत मे प्राइवेट B.ed /इंजीनियरिंग/मेडिकल कॉलेज और अस्पताल किसके है..??


प्रस्तावना सरकार को यह भी  निर्देशित करती है कि सभी भारतीय को विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता दी जाय क्या आज सभी भारतीय को मिल पा रहा है...??

हम भारतीय को इतनी विचार और अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है कि हमारे देश का हर न्यूज़ चैनल नंबर-1 है,मगर वास्तिवकता ये है कि विश्व रैंकिंग में हमारा स्थान 180 देशों में 161वा है..।।

ये आपको अहसास होता होगा कि आखिर ऐसी दशा क्यों है,क्योंकि वो जनता के विचार,अभिव्यक्ति को अभव्यक्त ही नही करते..।।

हां जंहा तक धर्म और उपासना की स्वतंत्रता की बात है,सरकार ने वोट-बैंक की राजनीति के कारण ज्यादा ही छूट दे दी है.. हमारा इतिहास साक्षी है कि हमने कभी धर्म के नाम पे किसी को खरोंच तक नही पहुचाई ही,मगर आज किसी की हत्या करने में भी नही सकुचाते है..।।


साथ ही प्रस्तावना सरकार को निर्देशित करती है कि वो #व्यक्ति_की_गरिमा और #राष्ट्र_की_एकता_अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए #बंधुता को बढ़ावा देगी...

क्या सरकार कर रही है..??

जंहा तक व्यक्ति की गरिमा की बात है,तो कुछ घटनाओं को देखकर स्थिति दयनीय लगती है..जिस तरह मणिपुर में एक स्त्री को नग्न किया गया और सरकार मौन रही इससे प्रतीत होता है कि सरकार को व्यक्ति की गरिमा की नही बल्कि उसे अपनी पड़ी हुई थी..और इसी घटना के तहत उसके ऊपर करवाई की जा रही है जिसने सोशल मीडिया पे ये वीडियो जारी किया..

जरा सोचिएगा अगर ये वीडियो जारी न हुआ होता तो क्या होता..??

और इसके बाद सरकार जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप लगा रही थी कि बंगाल में भी हुआ राजस्थान में भी हुआ ये सबसे शर्मसार करने वाली बात थी...।।


कर्तव्य सिर्फ सरकार के ही नही हम नागरिकों के लिए भी है..।।

सरकार से अपने अधिकारों की मांग करने से पहले हमें अपने गिरवां में भी झांकना चाहिए..

संविधान ने हरेक व्यक्ति को निर्देशित किया है कि वो मूल कर्तव्यों का पालन करें..

मगर अफ़सोस भारत की आधी आबादी को मूल कर्तव्य की जानकारी भी नही होगी..

मैं तो कहता हूं की 10% को भी नही मालूम होगा कि संविधान में कितने मूल कर्तव्य निर्दर्शित किये है.. 

कुल 11 मूल कर्तव्य है..।।



अगर आप इन कर्तव्यों को नही जानते है कोई बात नही..

आप अपने नैतिक कर्तव्यों को तो जानते है, उसका पालन करें.. क्योंकि 90% नैतिक कर्तव्य ही मूल कर्तव्य में समाहित है..।।

जरा सोचिएगा....

क्या आप अपने से बड़ों का सम्मान करते है..??

क्या आप महिलाओं,वृद्धजनों,असहाय लोगों की सहायता एवं सम्मान करते है...

क्या आप जीव-जंतु/पेड-पौधों की संरक्षण के लिए कदम उठाते है..??

क्या आप ट्रैफिक/अन्य नियमों का पालन करते है..??

•क्या आप अपने मन,कर्म,वचन से सही है...सबसे महत्वपूर्ण यही है...अगर आप सही है तो आप सक्ता से सिर्फ सवाल ही नही उसे अपने अधिकारों के लिए चुनौती भी दे सकते है..।।


प्रकृति का नियम है,यंहा कुछ भी मुफ्त में नही मिलता..

हरेक चीज की किसी न किसी तरह कीमत चुकानी होती है,या प्रत्यक्ष रूप से या फिर अप्रत्यक्ष रूप से...।।


इसीलिए हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि स्वतंत्रता का सदुपयोग करते हुए, हम अपने नैतिक और मौलिक कर्तव्य का भी पालन करें..।।

सही अर्थों में यही है स्वतंत्रता के मायने...


शनिवार, 12 अगस्त 2023

विक्रम साराभाई

चंद्रयान के बारे में शायद ही कोई भारतीय हो जिसे कुछ मालूम न हो,कुछ-न-कुछ हम चन्द्रयान के बारे में जानते ही होंगे,अगर जानते नही होंगे, तो कुछ-न-कुछ सुना तो जरूर ही होगा..।।



मगर क्या आपको पता है..की इसका सफर कैसे शुरू हुआ..??

आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के नींव रखने वाले प्रणेता का जन्म हुआ था...आज हम जिस ISRO पे गुमान करते है..उसकी नीव ही नही बल्कि उसे सींचा भी ,जो आज पूरे भारतीय को गौरवान्वित कर रहा है..

उन्होंने सिर्फ ISRO ही नही बल्कि इस जैसे कई संस्थाओं की स्थापना की जो पूरे विश्व मे अपना लोहा मनवा रहा है,उनमें से ISRO के अलावा IIM अहमदाबाद भी है.. उन्होंने ही होमी भाभा का सपना पूरा किया और पहली बार 1969 मे न्यूक्लियर टेस्ट की नींव रखी.. उन्होंने ही भारतीय सेटेलाइट की परिकल्पना की थी जो आर्यभट्ट के रूप में तब्दील होकर आसमां को चीरते हुए भारत को अग्रणी देशों में लाकर खड़ा कर दिया...

शायद अब आपको उस शख्श का नाम पता चल गया होगा...

उनका नाम विक्रम साराभाई था..।।



विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को एक गुजराती औद्योगिक परिवार में हुआ।

 बचपन से ही उन्हें पढ़ने के साथ-साथ प्रयोग करना पसंद था। वे 15 साल के थे जब उन्होंने अपने घर पर ही दो इंजीनियरों की मदद से एक ट्रेन इंजन का वर्किंग मॉडल बनाया। इतना बड़ा जिसपर एक बच्चा भी बैठकर 'घूम सके।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की। और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए।लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने पर उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।

भारत वापिस आकर उन्होंने डॉ. सी. वी. रमन के अधीन IIScबेंगलुरु से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। जहाँ उनकी मुलाकात डॉ. होमी भाभा से भी हुई। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज लौटकर Phd भी की।



 भारत के आजाद होने के बाद भारत लौट आये और उन्होंने-

●वर्ष 1947 में अहमदाबाद में अपने पारिवारिक घर पर भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की।

●वर्ष 1947 में ही अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री रिसर्च एसोसिएशन (AITRA) की स्थापना की।

● वर्ष 1949 में अपनी पत्नी मृणालिनी साराभाई के साथ 'दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिग आर्ट्स की स्थापना की।

●वर्ष 1961 में IIM अहमदाबाद की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।

●वर्ष 1961 में भारत के पहले ऑपरेशन रिसर्च संस्थान (ORG) की स्थापना की।

●वर्ष 1962 में INCOSPAR की स्थापना की। यही संस्थान वर्ष 1969 में जाकर "ISRO" बना

●वर्ष 1963 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) की स्थापना की।

●वर्ष 1967 में भारतीय यूरेनियम निगम (UCIL) की स्थापना की।



इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 38 संस्थानों की स्थापना में अपना योगदान दिया।

वर्ष 1966 में डॉ. होमी भाभा की अकाल मृत्यु के बाद उन्होंने 'एटॉमिक एनर्जी कमीशन का कार्यभार सँभाला। उन्होंने सबसे पहले NASA के साथ मिलकर भारत के 5000 गाँव में टीवी के सिग्नल पहुँचाना पर काम शुरू किया, वही आगे जाकर वर्ष 1975 में कृषि दर्शन प्रोग्राम' के रूप में प्रसारित हुआ।




वर्ष 1969 में सरकार के 'भारतीय न्यूक्लियर प्रोग्राम' का प्रस्ताव रखा। यहीं पर उन्होंने भारत के पहली न्यूक्लियर टेस्ट की नींव रखीउन्होंने ही पहली भारतीय सैटेलाइट की परिकल्पना भी की। वही आगे जाकर 'आर्यभट सैटेलाइट बनी।


वर्ष 1971 में वे ISRO के SLV सिस्टम को रिव्यू कर रहे थे। इसी विषय पर एक वैज्ञानिक से बात करने के कुछ देर बाद उनकी तबियत बिगड़ी। उस रात हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई।

जिस वैज्ञानिक से वे बात कर रहे थे उनका नाम था 'एपीजे अब्दुल कलाम' । वे डॉ साराभाई को "भारतीय विज्ञान का महात्मा गाँधी कहते थे।



उन्होंने उस समय ये सब हासिल किया जब पूरे भारत को भर पेट भोजन नसीब नही होता था..

"कुछ हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा संसाधन नही बल्कि हौंसलो की जरूरत होती है"....

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

मौन ही रहो तो बेहतर है

मौन ही रहो तो बेहतर है...

नही तो राज खुल जाएंगे..।

राज जो खुल जाएंगे..

तो फिर किधर को जाएंगे..।।



है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

 है कुछ क्षण रेत से बचे हुए,

इसे अगर सही से संभाल पाया,

तो फिर से इमारत बना पाऊंगा..।




है कुछ क्षण रेत से बचे हुए,

इसे अगर सही से इस्तेमाल कर पाया,

तो उन सपनों को फिर से साकार कर पाऊंगा,

जो हमने देखे है..।


है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

अगर इसे सवाँर पाऊ,

तो सिर्फ अपनी ही नही कइयों की जिंदगी सवाँर पाऊंगा..।


है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

अगर एक भी रेत को जाया होने नही दिया..

तो इन्ही बची हुई रेत से इमारत खड़ा कर पाऊंगा..

और उन इमारतों पे सिर्फ मेरा ही नही,

लाखों लोगों का आशियाना होगा..।।


क्या इन बचे हुए रेत को भी युही जाया होने दूँ..

अगर ये जाया हुआ, तो मैं जाया हो जाऊंगा..

क्योंकि मिट्टी के घर, एक बारिश में ही धूल जाते है..

और मुझे नही धुलना...

है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..।।