चंद्रयान के बारे में शायद ही कोई भारतीय हो जिसे कुछ मालूम न हो,कुछ-न-कुछ हम चन्द्रयान के बारे में जानते ही होंगे,अगर जानते नही होंगे, तो कुछ-न-कुछ सुना तो जरूर ही होगा..।।
मगर क्या आपको पता है..की इसका सफर कैसे शुरू हुआ..??
आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के नींव रखने वाले प्रणेता का जन्म हुआ था...आज हम जिस ISRO पे गुमान करते है..उसकी नीव ही नही बल्कि उसे सींचा भी ,जो आज पूरे भारतीय को गौरवान्वित कर रहा है..
उन्होंने सिर्फ ISRO ही नही बल्कि इस जैसे कई संस्थाओं की स्थापना की जो पूरे विश्व मे अपना लोहा मनवा रहा है,उनमें से ISRO के अलावा IIM अहमदाबाद भी है.. उन्होंने ही होमी भाभा का सपना पूरा किया और पहली बार 1969 मे न्यूक्लियर टेस्ट की नींव रखी.. उन्होंने ही भारतीय सेटेलाइट की परिकल्पना की थी जो आर्यभट्ट के रूप में तब्दील होकर आसमां को चीरते हुए भारत को अग्रणी देशों में लाकर खड़ा कर दिया...
शायद अब आपको उस शख्श का नाम पता चल गया होगा...
उनका नाम विक्रम साराभाई था..।।
विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को एक गुजराती औद्योगिक परिवार में हुआ।
बचपन से ही उन्हें पढ़ने के साथ-साथ प्रयोग करना पसंद था। वे 15 साल के थे जब उन्होंने अपने घर पर ही दो इंजीनियरों की मदद से एक ट्रेन इंजन का वर्किंग मॉडल बनाया। इतना बड़ा जिसपर एक बच्चा भी बैठकर 'घूम सके।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की। और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए।लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने पर उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत वापिस आकर उन्होंने डॉ. सी. वी. रमन के अधीन IIScबेंगलुरु से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। जहाँ उनकी मुलाकात डॉ. होमी भाभा से भी हुई। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज लौटकर Phd भी की।
भारत के आजाद होने के बाद भारत लौट आये और उन्होंने-
●वर्ष 1947 में अहमदाबाद में अपने पारिवारिक घर पर भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की।
●वर्ष 1947 में ही अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री रिसर्च एसोसिएशन (AITRA) की स्थापना की।
● वर्ष 1949 में अपनी पत्नी मृणालिनी साराभाई के साथ 'दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिग आर्ट्स की स्थापना की।
●वर्ष 1961 में IIM अहमदाबाद की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
●वर्ष 1961 में भारत के पहले ऑपरेशन रिसर्च संस्थान (ORG) की स्थापना की।
●वर्ष 1962 में INCOSPAR की स्थापना की। यही संस्थान वर्ष 1969 में जाकर "ISRO" बना।
●वर्ष 1963 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) की स्थापना की।
●वर्ष 1967 में भारतीय यूरेनियम निगम (UCIL) की स्थापना की।
इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 38 संस्थानों की स्थापना में अपना योगदान दिया।
वर्ष 1966 में डॉ. होमी भाभा की अकाल मृत्यु के बाद उन्होंने 'एटॉमिक एनर्जी कमीशन का कार्यभार सँभाला। उन्होंने सबसे पहले NASA के साथ मिलकर भारत के 5000 गाँव में टीवी के सिग्नल पहुँचाना पर काम शुरू किया, वही आगे जाकर वर्ष 1975 में कृषि दर्शन प्रोग्राम' के रूप में प्रसारित हुआ।
वर्ष 1969 में सरकार के 'भारतीय न्यूक्लियर प्रोग्राम' का प्रस्ताव रखा। यहीं पर उन्होंने भारत के पहली न्यूक्लियर टेस्ट की नींव रखी। उन्होंने ही पहली भारतीय सैटेलाइट की परिकल्पना भी की। वही आगे जाकर 'आर्यभट सैटेलाइट बनी।
वर्ष 1971 में वे ISRO के SLV सिस्टम को रिव्यू कर रहे थे। इसी विषय पर एक वैज्ञानिक से बात करने के कुछ देर बाद उनकी तबियत बिगड़ी। उस रात हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई।
जिस वैज्ञानिक से वे बात कर रहे थे उनका नाम था 'एपीजे अब्दुल कलाम' । वे डॉ साराभाई को "भारतीय विज्ञान का महात्मा गाँधी कहते थे।
उन्होंने उस समय ये सब हासिल किया जब पूरे भारत को भर पेट भोजन नसीब नही होता था..
"कुछ हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा संसाधन नही बल्कि हौंसलो की जरूरत होती है"....
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