शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

 है कुछ क्षण रेत से बचे हुए,

इसे अगर सही से संभाल पाया,

तो फिर से इमारत बना पाऊंगा..।




है कुछ क्षण रेत से बचे हुए,

इसे अगर सही से इस्तेमाल कर पाया,

तो उन सपनों को फिर से साकार कर पाऊंगा,

जो हमने देखे है..।


है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

अगर इसे सवाँर पाऊ,

तो सिर्फ अपनी ही नही कइयों की जिंदगी सवाँर पाऊंगा..।


है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..

अगर एक भी रेत को जाया होने नही दिया..

तो इन्ही बची हुई रेत से इमारत खड़ा कर पाऊंगा..

और उन इमारतों पे सिर्फ मेरा ही नही,

लाखों लोगों का आशियाना होगा..।।


क्या इन बचे हुए रेत को भी युही जाया होने दूँ..

अगर ये जाया हुआ, तो मैं जाया हो जाऊंगा..

क्योंकि मिट्टी के घर, एक बारिश में ही धूल जाते है..

और मुझे नही धुलना...

है कुछ क्षण रेत से बचे हुए..।।

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