इक खालीपन सा है,
उसे भरना है...
कैसे..??
मालूम नही,मगर भरना है...।।
किस चीज से भरना है...मालूम नही..
मगर उस चीज की तलाश है..
क्योंकि जिस-जिस से भरना चाहा.. उससे तो खालीपन बढ़ता ही गया..।।
खालीपन इतना है,जैसे शांत समुन्द्र..
मगर वास्तिवकता ये है कि ये उतना ही खाली है,
जितना रेगिस्तान में मृग-मारीचिका के कारण पानी की धार..।।
इक खालीपन सा है...जो वास्तविकता में है ही नही..वो भरा हुआ है,जिसे हम खालीपन समझ बैठे है..।।
इक खालीपन सा नही, इक भरापन सा है..
जिसे खाली करना है..
और फिर खालीपन का अहसास करना है...।।
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