हम सब की अपनी एक विचारधारा होती है,और हम अपने विचारधारा के अनुरूप सही और गलत का निर्णय लेते है... मगर हमारा निर्णय सही ही हो,जरूरी नही..
कभी-कभी हम जो देखते है...हो सकता है, वो सत्य का सिर्फ एक ही पहलू हो..।।
चलिए एक वाकया सुनाता हूँ...
आज सुबह में जेटी(नाव) पे चढ़ा ही था तो एक व्यक्ति को देखा जो अपने मे मस्त था और वो एक व्यक्ति को झिड़क रहा था चल साइड में खड़ा हो..जिसे वो झिड़क रहा था वो शारीरिक दृष्टिकोण से उतना मजबूत नही था..
ये दृश्य देख, अंदर से मुझे गुस्सा आया.. मुझे लगा शायद पिये हुआ है..।।
जेटी किनारे लगा और में इस वाकया को भूल गया..
आते वक़्त देखता हूँ कि किसीने सड़क पर एक छोटा सा बैरियर लगा कर अकेले ही पत्थरो से,सड़क का गड्ढा भर रहा है जो बारिश के कारण कुछ सप्ताहों से था..।।
जब मेरी नजर उस व्यक्ति पे पड़ता है,तो मेरी सोच बदल जाती है,क्योंकि वो व्यक्ति वही था जिसे मैंने सुबह में एक व्यक्ति से बदतमीजी करते हुए देखा था..।।
उसने मुझे सोचने पे विवश किया....
• मैं किसी को पूर्णतया जाने हुए किसी के बारे मैं कैसे अपनी विचारधारा बना सकता हूं...??हो सकता था वो जिस से बदतमीजी कर रहा हो,वो उसका मित्र रहा हो..क्योंकि वो किसी और के साथ तो इस तरह की हरकत नही की..।।
•हरेक इंसान का दो पहलू होता है,हम जिस इंसान से,जिस पहलू से भिज्ञ होते है,हम उसी अनुसार उसे देखते है, की वो अच्छा है या बुरा है...।।
-अगर आप एक पहलू ही देखकर निर्णय लेते है ,तो सबसे बुरे इंसान तो आप ही है..।। तो फिर निर्णय कैसे ले..??
-पहले इंसान के दोनों पहलुओं को देखे किसका पलड़ा भारी है किसका हल्का है..उसके अनुसार निर्णय करें..।।
-मगर ये भी कोई जरूरी नही है कि, जिसे आप जैसे देख रहे है वो वैसा ही रहे..परिस्थितियों के अनुसार वो बदल सकता है..।।
आप अपने समाज में देखते होंगे बचपन/युवावस्था मे कोई व्यक्ति बहुत बुरा/अच्छा था, अब बिल्कुल ही बदल गया..क्योंकि इंसान को अच्छे और बुरे बनने के लिए कुछ हद तक परिस्थितियां भी जिम्मेदार होती है..।।
इसिलिय हम कौन होते है सही और बुरे का निर्णय लेने वाले...बिना परिस्थितियों को जाने हुए??
हमें बस इतना अधिकार है कि हम अपनी कमियों को जाने और उसे दूर करें..
कबीरदास कहते है-
"बुरा जो देखन में चला बुरा न मिलिया कोई,
जब दिल झांका आपना मुझसे बुरा न कोई"..।।
Bahut accha
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
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