मगर अभी तक उन्हें कोई समझ नही पाया..
उन्हें जानने और समझने का प्रयत्न अभी तक जारी है,और आने वाले भविष्य में उन्हें जानने का और प्रयत्न किया जाएगा..।
आज ऐसा कोई क्षेत्र नही है,जंहा कृष्ण प्रासंगिक नही है..
●वो प्रेम के इतने बड़े मानदंड गढ़ दिए है कि कोई अभी तक वंहा तक पहुंच नही पाया..
●उन्होंने मित्रता भी ऐसी निभाई की कोई उनके बराबरी तक नही आ पाया..उन्होंने सुदामा को वो सबकुछ दिया जो उनके पास था..
◆कृष्ण से बड़ा शांतिप्रिय कोई नही है..
उन्होंने शांति की स्थापना के लिए मथुरा छोड़कर द्वारका चले गए..।।
उन्होंने शन्ति के लिए पांडवो का दूत बनना भी स्वीकार किया.1
●वो इतने बड़े राजनीतिज्ञ/कूटनीतिज्ञ थे कि, उन्होंने सबकुछ करके भी कुछ नही किया..
-उन्होंने ही सर्वप्रथम युद्ध को प्रासंगिक बतलाया..
क्योंकि युद्ध जरूरी है उत्थान के लिए,प्रगति के लिए..।।
चाहे वो वाहय युद्ध हो या अंतर्मन का ...
जिसने लड़ा उसने ही नाम किया..
फर्क नही पड़ता कि आप हारे या जीते..
वर्तमान में ही देखिए सबसे ज्यादा समृद्ध देश कौन है..
जिन्होंने युद्ध लड़ा..??
जापान,जर्मनी,दक्षिण कोरिया ने युद्ध हारा,मगर आज वो समृद्ध है..
महत्वपूर्ण ये है कि क्या आप लड़े..??
मगर हम भारतीय लड़ना ही भूल गया..आज हम लड़ रहे है इसलिये आगे बढ़ रहे है..।।
युद्ध की सबसे बड़ी देन क्या है..??
आर्थिक,सांस्कृतिक,सामाजिक,वैज्ञानिक विकास है..
वर्तमान में ही देखिए..
•रशिया सर्वप्रथम अंतरिक्ष मे गया, क्यों..??
•अमेरिका सर्वप्रथम चाँद पे मानव उतारा,क्यों..??
•भारत ने मंगल पर अपना उपग्रह भेजा,क्यों..??
ये सब क्या था एक प्रकार का युद्ध ही तो था..अगर ये युद्ध नही होता तो क्या हम आज इतना जान पाते..??
(युद्ध से तात्पर्य आर्थिक,सांस्कृतिक,सामाजिक,वैज्ञानिक स्तर पर आगे बढ़ने की होड़ से है)
● वर्तमान मे मनुष्य के तकलीफों का सबसे बड़ा कारण क्या है..??
हम हरेक चीज को दमन करते जा रहे है,और जब किसी चीज के दमन का स्तर ज्यादा विषाक्त हो जाता है तो अनेक समस्याओं का उद्गार होता है..और हममें से अक्सरहाँ उस समस्या से लड़ नही पाते है..
कृष्ण का पूरा व्यक्तित्व यही संदेश देता है..
किसी चीज का दमन न करें जब जिस चीज की जरूरत हो,उसे पूरा करें..
चाहे झूठ बोलना पड़े,क्रोध करना पड़े,लड़ना पड़े,भागना पड़े,पाँव पकड़ना पड़े,प्रेम करना पड़े,छल करना पड़े या फिर युद्ध ही क्यों न करना पड़े..उसे करें..
मगर हममें से अक्सरहाँ लोग इन सब चीजों का दमन कर रहे है..
मगर ध्यान रखें ये सब तब करें जब सिर्फ आपका ही नही बल्कि सबसे बड़े वर्ग का हित सधता हो तब ही करें..।।
मगर हम क्या कर रहें है..??
अगर इनमें से कुछ कर भी रहे है तो वो सिर्फ हम तक ही सीमित है..
अगर बहुत बड़े वर्ग का हित छिपा हुआ है तो हम रिस्क नही लेना चाहते..
कृष्ण ही ऐसे व्यक्तित्व हुए जिन्होंने हरेक चीज को प्रासंगिक ठहराया..
बाकी किसी ने नही..
चाहे वो राम हो,बुद्ध हो,महावीर हो,यीशु हो,मोहम्मद साहब हो,गुरु नानक हो..सबो ने शांति का ही पैगाम देने की कोशिश की...
कृष्ण ही सिर्फ एकलौते व्यक्तित्व है जिन्होंने शांति की स्थापना के लिए युद्ध को प्रासंगिक ठहराया..।।
काश कृष्ण जैसे एक-दो व्यक्तित्व इस धरा पर और होता तो क्या होता..??
हम मानव समुदाय अभी तक उतने प्रौढ़ नही हुए की कृष्ण को समझ पाये..
हम जितने प्रौढ़ होते जाएंगे,कृष्ण की प्रासंगिकता और बढ़ती जाएगी..।।
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