आप स्वयं के नजर में कैसे है..??
दूसरों के नजर में अच्छा होने से सम्मान मिलता है,
और स्वयं के नजर में गिरा होने से आत्मग्लानि होता है,मगर इसके लिए अपनी कमियों का भान होना जरूरी है,जो शायद ही किसी-किसी को होता है,और उसमें से विरले ही कोई-कोई उसे दूर कर पाता है..।।
हम सारी क्रियाकलाप दुनिया के नजर में अच्छे दिखने के लिए करते है..
और हम कभी ये मूल्यांकन नही करते कि हम स्वयं के नजर में कैसे है..।।
हम अक्सरहाँ अपनी कमियां दुसरों के नजर से छुपाते है..
मगर उन कमियों को स्वीकार कर उसका न ही मूल्यांकन करते है,और न ही उसे दूर करने की कोशिस करते है..।।
जब तक हम अपनी अच्छाइयों का मुखोटा हटाकर
अपनी कमियों को स्वीकार कर..
उसे दूर करने की कोशिस नही करेंगे तबतक हमें तकलीफों का सामना करना पड़ेगा..।।
आपके सिवा और कोई नही,आपके कमियों के बारे में जानता है..
शायद आप स्वयं भी नही..
अपने अंदर झांके और अपनी कमियों को महसूस कर उसे दूर करें..
इससे सिर्फ आपकी ही नही, दूसरों की जिंदगी भी आनंदमय हो जाएगा..।
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