रविवार, 4 अगस्त 2024

मित्र कौन है..

चाणक्य कहते है - "तनमित्रं यत्र विश्वासः"
"मित्र वही है जिस पर विश्वास किया जा सके"


जीवन मे मित्र का होना बहुत आवश्यक है,क्योंकि..
बिना मित्र के जीवन की गाड़ी आगे बढ़ ही नही सकती..
मित्र ही है जो हमें हताशा और निराशा से बाहर निकलने में मदद करता है,अगर वो न हो तो जीवन कंही फंसा रह जायेगा..

वर्तमान में हमारे पास सबकुछ है मगर मित्र का अभाव है जिस कारण, जिंदगी नीरसता से भरती जा रही है..।

कई ऐसे लोग है जिनके पास सबकुछ है मगर तब भी वो दुःखी है..
क्योंकि उनके पास मित्र नही है..।

जिंदगी मैं वैसा मित्र होना बहुत जरूरी है,जिसपर आप विश्वास कर सके.. वो कोई भी हो सकता है..माँ-बाप,भाई-बहन,पत्नी,या फिर बचपन या स्कूल,कॉलेज के मित्र जिनपर आप विश्वास करके उनसे सबकुछ कह सके..।

मगर अफसोस आज मित्र बनने के लिए कोई तैयार ही नही है,क्योंकि आज आगे बढ़ने की हौड़ में,हम सबको रौंदने में लगे है,चाहे वो हमारा मित्र ही क्यों न हो अगर वो हमारे स्वार्थ के आड़े आता है तो उन्हें भी रौंद रहे है..।
जिसका परिणीति दुःख के सिवा और कुछ भी नही है..।।

महात्मा बुद्ध के जीवन मे मित्रों का बहुत योगदान था,क्योंकि अगर उनके जीवन मे मित्र का प्रादुर्भाव न होता तो वो बुद्ध नही बन पाते.. 
उन्होंने अपने मित्र सारथी(चन्ना) पर विश्वास करके ही गृहत्याग किया,अन्यथा वो कभी अपने राज्य से बाहर नही निकल पाते..।।


बुद्ध मित्र के लिए "कल्याण मित्र"शब्द का इस्तेमाल करते है..
वो कहते है,मित्र वो है जो तुम्हारे कल्याण के बारे में सोचे,तुम्हारा इस्तेमाल न करे,बल्कि तुम्हारा भला करें..
मित्र गुरु जैसा होना चाहिए,जो तुम्हें ऊंचाइयों पे ले जाये..।।

बुद्ध को भविष्य का ज्ञान था शायद इसीलिए बुद्ध कहते थे जब में पुनर्जन्म लूंगा तो "मैत्रेय" के रूप में..।।

क्योंकि वर्तमान में इस दुनिया को मित्र की आवश्यकता है..।(चाहे अमेरिका हो या रुस हो)
जो आपको अंधियारे से निकाल सके,अगर न निकाल सके तो उस अंधियारे को दूर करने के लिए कर्ण जैसे ही अपना सबकुछ न्योछावर कर दे..

जरा सोचिए क्या आपके जीवन मे ऐसा कोई मित्र है..
जिसपे आप विश्वास कर सके..??
(विश्वास इतना कि आप अपनी कमियों को भी उनसे कह सके,इस विश्वास से की वो इस राज को राज ही रहने दे)
शायद आपका जबाब "ना" में ही होगा..
ढूँढिये उस मित्र को..कोई न कोई जरूर मिल जाएगा..
क्योंकि प्यास लगेगी तब ही प्यास बुझेगी..
मगर अफसोस आज स्मार्टफोन ने प्यास बुझा दी है..।

बिना मित्र के जीवन,बिना सुंगंध के फूल के समान है..
बिना मित्र के जीवन,समुन्द्र के पानी के समान है..
बिना मित्र के जीवन,बिन पतवार के नोअका के समान है..
बिना मित्र के जीवन,सावन के पूर्णिमा के समान है..
बिना मित्र के जीवन,पूस के दिन के समान है..
बिना मित्र के जीवन,जीव विहीन ग्रहों के समान है..
सच कहूं तो बिना मित्र के जीवन,जीवन है ही नही..

एक मित्र जरूर बनाइये वो कोई भी हो सकता है...।
जिसपर आप विश्वास कर सके..।।



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