शनिवार, 3 अगस्त 2024

कभी उदास मत होये..

आपने कभी सब्जी खरीदा है..??
आप किस तरह की सब्जी खरीदते है..
अक्सरहाँ ताजी सब्जी ही खरीदते होंगे..
और जो थोड़ा बासी या खराब हो जाता है,उसकी कीमत कम हो जाती है..।।

आपने कभी गुलाब के फूल का सुंगंध लिया है..
सबसे ज्यादा सुगंध उन फूलो में रहता है,जो ताजी हो..
बासी फूल तो भगवान पे भी नही चढ़ाते है..
कभी सोचा है क्यों..??

प्रकृति का नियम ही है..
की इस प्रकृति में उसी का महत्व रहेगा जो जिंदा और ताजगी से लबरेज है..।।
आपने छोटे बच्चे को हंसते हुए या फिर रोते हुए देखा होगा..
आप रोते हुए, या फिर हंसते हुए बच्चे को देखकर आनंदित हुए..??

जरूर आप हंसते हुए बच्चे को देखकर ही आनंदित हुए होंगे..
रोते हुए बच्चे को देख कर आपके अंदर करुणा और दया का भाव आया होगा.. और आप खुद को असहाय महसूस कर रहे होंगे..।।

इसी तरह जब हम उदास होते है..
तो लोगों का हमारे प्रति सिर्फ दया का भाव जागृत होता है,मगर अफसोस वो कुछ कर नही सकते..और आपके उदासी में वो भी शामिल हो जाते है..
और ये सिलसिला चलता रहता है..एक से दो,दो से चार,और चार से आठ मालूम नही कंहा तक जाएगा..??
मगर आप इस सिलसिला को रोक सकते है..
कैसे..??
अगर आप अपनी उदासी को दूसरे के सामने जागृत ही न होने दे..
न किसी को पता चलेगा और न ही ये सिलसिला आगे बढ़ेगा..
अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान रखें..
भले अंदर कितना भी तकलीफ हो..।।

हमारी महत्वता तबतक ही है,जबतक हमारी सांस चल रही है..मगर हम अपनी महत्वता को अक्सरहाँ गिराते है,
जब-जब हम उदास होते है..।।

प्रकृति की नियति ही है खिलना,चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो उसे खिलना ही है,
मगर हमने प्रकृति से दूरी बना ली है..
इसीलिए तो हम खिलना भूल गए है..।।

जबतक सांस चल रही है,
तबतक चेहरे पे मुस्कान रखिये..
प्रकृति रूपी माली का नजर आप पे जरूर पड़ेगा..
और उसकी कृपा जरूर होगी..😊

क्योंकि हमें भी खिलखिलाते हुये बच्चे ही पसंद आते है..।।

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