शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

आर्थिक सुधार के नायक...मनमोहन सिंह

हजारों जबाबों से अच्छी है मेरी खामोशी..
न जाने कितने सवालों की आबरू रखी...।



ये उक्तियां भारत के 13वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की है..
इनके बारे में अक्सरहाँ कंहा जाते था कि ये हमेशा मौन रहते थे..
इसके पीछे कारण था,ये कोई राजनीतिज्ञ नही बल्कि ब्यूरोक्रेट्स थे..जो हमेशा अनुशाषित और सधे शब्दों का इस्तेमाल करते थे...।

इनका जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ..
बचपन मे ही माँ के मृत्यु के बाद इनका लालन-पालन इनके दादा-दादी ने किया..।
इनका जीवन कोई ऐशो-आराम वाला नही था इन्होंने लालटेन में अपनी पढ़ाई शुरू की थी और कैम्ब्रिज तक गए..
और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने..
1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने..
1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने..
1982-85- RBI के गवर्नर रहे
1985-1987 तक योजना आयोग के प्रमुख

1991 में P. V नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री बनाया..
और उन्होंने आर्थिक बदलाव की नींव रखी और भारत का बाजार पूरे विश्व के लिए खोल दिया..
(ये काम चीन ने 1978 में ही कर चुका था...)
इसके कारण इन्हें विपक्षि पार्टियों सहित खुद के पार्टियों से भी आलोचना सुननी पड़ी..
मोन्टेन सिंह आहुलियावल अपनी पुस्तक में जिक्र करते है कि,नरसिम्हा राव ने सिंह से कहा अगर ये प्लानिंग सफल रही तो इसका श्रेय हमदोनो लेंगे..अगर असफल हुआ तो इसका श्रेय आपको लेना होगा..
यंहा तक कि जब इनकी आलोचना संसद में बहुत होने लगी तब इन्होंने इस्तीफा देने का मन बना लिया..
तब इन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने समझाया कि आप अब ब्यूरोक्रेट्स नही, बल्कि अब आप राजनीतिज्ञ है..इसीलिए अब आप,अपनी चमड़ी मोटी कर लीजिए..
विपक्ष का काम ही है आलोचना करना..।

इनकी आत्मा अब भी बैचैन होगी..
जब इन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री का पदभार संभाला तो इन्होंने पहले कार्यकाल में तो बहुत कुछ किया मगर दूसरे कार्यकाल में नही कर पाए..
ये भारत को जिस आर्थिक रास्ते पे ले जाना चाहते थे वंहा तक ले जाने में सफल नही हो पाए..क्योंकि इनके हाथ बंधे हुए थे..।मगर अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में इन्होंने कुछ अभूतपूर्व कार्य किये..
मनरेगा
•राइट टू इनफार्मेशन
•आधार
•इंडो-अमेरिका परमाणु ट्रीटी
•फ़ूड सेक्युरिटी बिल..

मगर इनकी आत्मा अब भी बैचैन होगी क्योंकि ये भारत को जिस आर्थिक सुधार पे ले जाना चाहते थे वंहा ले जाने में नाकाम रहे..।।

अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2010 के टोरंटो G-20 सम्मेलन में कंहा था- जब मनमोहन सिंह बोलते है,खासकर आर्थिक मुद्दे पर तो सारी दुनिया सुनती है।इन्होंने सिर्फ न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को बेहतरीन लीडरशिप दी है..।
ओबामा ने अपनी पुस्तक" अ प्रॉमिस्ड लैंड" में मनमोहन सिंह को असाधारण व्यक्ति कहा है..

जापान के पूर्व P. M सिंजे आबे के सहयोगी तोमोहिको तानिगुची 2014 में जब भारत आये तो उन्होंने कहामनमोहन सिंह को सिंजे आबे अपना गुरु मानते है..।

जब 2013 में यूरो क्राइसिस हुआ तो जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इनसे सलाह ली थी..।।

•इन्होंने 2016 में demonetization के बारे में भी कहा था,जब विपक्ष बोल रही थी कि 2025 तक हमारा GDP 10% से बढ़ेगी तो इन्होंने कहा था इससे हमारे GDP पे 2% तक स्लो डाउन रहने का डर है..जो बाद में हुआ भी..।

इन्होंने एकबार कहा था...
" मुझे उम्मीद है कि इतिहास मेरा मूल्यांकन करते समय ज्यादा उदार होगा.."

आर्थिक सुधार का नायक अब हमारे बीच में नही है..
मगर उनके द्वारा बनाया गया मार्ग आज भी है..जिसपे चलकर भारत आज पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की और अग्रसर है..।।



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